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20 October 2022

आश्रू गैस और गैस गन का परिचय IWT

 इस ब्लॉग पोस्ट में हम आश्रू गैस तथा आश्रू गैस गन के इतिहास, किस्मे और उससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करेंगे ! जैसे की हम जानते है की क्राउड कण्ट्रोल के समय आश्रू गैस एक कारगर हथियार की तरह कार्य करता है और इसके इस्तेमाल से पुलिस क्राउड जो की अन कण्ट्रोल होगया है उससे भगाने में इस्तेमाल करती है ! आश्रू गैस आश्रू गैस गन  का इतिहार तथा  किस्मे इसप्रकार से है :

टियर स्मोक गैस- इतिहास, किस्में, गन और प्रयोग करना परिचय:-(टीएसयू) केमिकल एजेन्ट का परिचय और अश्रुगैस का इस्तेमाला अश्रुगैस बनानेवाले प्रथम वैज्ञानिक फेडरल ब्रेकर भट्टेवार थे। अश्रुगैस के इस्तेमाल. जानी नुकसान पहुँचाए बिना भीड़ को तितर-बितर करने का सबसे कारगर और आसान तरीका है। इसलिए विश्वभर के करीब 30 देश भीड़ नियंत्रण तथा साम्प्रदायिक दंगों के विरुद्ध इसे प्रयोग कर रहे हैं। इसके केमिकल का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांस ने सन् 1832 ई. में चोर-उच्चकों के विरुद्ध किया। उस समय यह तरल पदार्थ के रूप में था। इथाईल ब्रोमोएसीटेट (तरल) का प्रयोग सही होने के कारण सन् 1914 में सर्वप्रथम प्रथम विश्व युद्ध के दौरान क्लोरिन साइनाइड के रूप में किया गया। भारत में सर्वप्रथम सन् 1984 ई० में केमिकल एजेन्ट का प्रयोग पाटलीपुत्र, पटना बिहार) जंग-ए-आजादी में कारगर सिद्ध हुआ।

किस्में - केमिकल एजेन्ट चार प्रकार के होते हैं -

  • 1. सी०एम०(क्लोरो एसीटोफोनोन)- सन् 199 में जर्मन के गर्यो नामक वैज्ञानिक ने प्रयोग के बाद इसेबनाया। इस अम्युनिशन को सी०एम०पी० के नाम से भी जाना जाता है। 
  • 2. सी०एस०- अमेरिका के वैज्ञानिक कारशन और स्ट्राधन ने इसे बनाया । दोनो वैज्ञानिकों के नाम को बरकरार रखने के लिए इसका नाम सी०एस० दिया गया है। सी०एस० सर्वप्रथम सन् 1961 में इंग्लैण्ड में प्रयोग किया गया। यह अभ्युनिशन सी०एम० से 10 गुण प्रभावशाली है। 
  • 3. डी0एन0 - सन् 1917 में अमेरिका के वैज्ञानिक मेजर एडम ने इसे बनाया। इसका धुओं पीला होता है और इसका दिमागी असर बहुत हानिकारक होने के कारण भारत में इसका इस्तेमाल नहीं होता है। 
  • 4. सीमा0- केमिकल एजेन्ट में सीआर0 सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। इसका धुओं सबसे ज्यादा असरदार होता है। सी0एम0 से 100 प्रतिशत तथा सी०एस० से 30 प्रतिशत ज्यादा इसका धुओं असरदार होता है। यह सबसे सुरक्षित तथा इस्तेमाल करना आसान है। इसको सन् 1963 ई० में इंग्लैण्ड ने बनाया था। इसका असर अस्थाई है। पहले यह केमिकल यू०एस० से मैंगवाया जाता था। 12 मई, 1976 ई० में भारत सरकार ने इस केमिकल एजेन्ट को बी०एस०एफ० ऐकेडमी टेक्कनपुर (म०प्र०) में इसे बनाना शुरू किया। जिससे देश को अरबों रुपया विदेशी मुद्रा की बचत होती है। 
गैसगन का डाटा
रायट कण्ट्रोल गन
रायट कण्ट्रोल गन 

1. गैसगन का पूरा नाम - फेडरल राईट गैस गन।

2 गैसगन का वजन -6 पौण्ड 10 औंस या 372 किग्रा०

3. गैसगन की लम्बाई -28 इंच या 750 एम.एम.

4. बैरल की लम्बाई -12 इंच

5. बट की लम्बाई :16 इंच

6. कैलिवर: 1.5 इंच

7. कारगर रेंज: 50 गज से 200 गज

गन को दो भागों में खोला जाता है

(क) बैरल ग्रुप- बैरल ग्रुप के हिस्सों-पुर्जो के नाम- फोरसाइट, बैकसाइट, साइट पिन, बैरल बॉडी ज्वाइंट स्क्रू, बैरल कैच और बैरल कैच- स्क्रू ।

(ख) बट ग्रुप- बट ग्रुप के हिस्सों-पुर्जो नाम- बट प्लेट, बट प्लेट, स्क्रू टो एण्ड हिल बट

,बॉडी के पुर्जो का नाम - बॉडी, बॉडी कवर, पिस्टन ग्रिप, फायरिंग पिन, फायरिंग पिन स्प्रिंग, ट्रिगर, ट्रिगर गार्ड, बैक साइट, बैकसाइट बेड और बट बैरल ज्वाइंट स्क्रू

नोट :- गैसगन के द्वारा अलग-अलग रेंज पर दंगा नियंत्रण के लिए सेल फायर किया जाता है।

इसके साथ ही आश्रू गैस और गैस गन का इतिहास और परिचय  से  सम्बंधित IWT का पाठ समाप्त हुवा !उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे! 

इन्हें भी पढ़े :

  1. 7.62mm LMG का दुरुस्त शिस्त , दुरुस्त पकड़ और दुरुस्त फायर का तरीका
  2. LMG के चाल तथा फौरी इलाज से दूर होने वाले 4 LMG के रोके l
  3. ट्राईपोड़ और LMG को माउंट और डिसमाउंट करने का तरीका
  4. 7.62 LMG को फिक्स्ड लाइन पर लगाने और फायर करने का तरीका
  5. 51 mm मोर्टार तथा इसके डायल साईट के बेसिक टेक्निकल जानकारी
  6. 51mm मोर्टार को खोलना जोड़ना और उसके पार्ट्स के नाम
  7. 51mm मोर्टार की साफ सफाई का तरीका
  8. 51mm मोर्टार के हाई एक्सप्लोसिव बम की चाल और पहचान
  9. स्मोक और इल्लू बम का चाल और बेसिक डाटा
  10. 30mm AGL के बेसिक टेक्नीकल डाटा , विशेषताए और पार्ट्स का नाम

19 October 2022

.38 इंच रिवाल्वर को पकड़ना, कॉक, अन कॉक और फायर करना IWT

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने  38 इंच रिवाल्वर के सफाई , भरना और खाली करना   की और अब इस इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के इस लेसन में हम.38 इंच रिवाल्वर को पकड़, कॉक, अन कॉक और फायर करना  को सरल शब्दों में जानेगे (.38 inch revolver ko  pakad, cock, uncock aur fire karna ka IWT  ) ! इस पोस्ट को आसान बनानके लिए हमने इसे कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग में जिस क्रमबद्ध तरीके से सिखाया जाता है उसी क्रम में लिखेगे! 
.38" रिवाल्वर का पार्ट्स का नाम
.38" रिवाल्वर का पार्ट्स का नाम 
1. शुरू-शुरू का काम -
  • (क) क्लास की गिनती और ग्रुपों में बाँट
  • (ख) हथियार और सामान का निरीक्षण 
  • (ग) बंदोबस्ती की कार्यवाही 
2 दोहराई-रिवाल्वर की विशेषताएँ और भरना-खाली करना पर किये जायें।
3. पहुँच रिवाल्वर के साथ दुश्मन को बर्बाद करने के लिए मजबूत पकड़, स्वाभाविक उठाव और ट्रिगर को निचोड़ना बहुत जरूरी है। रिवाल्वर दो किस्म के हैं। एक केम वाला और दूसरा बगैर केम के। केम ले रिवाल्वर से सिंगल और डबल एक्शन से फायर किया जाता है। इससे एम्युनिशन की बचत और निशाना दुरुस्त लगता है। बगैर केम वाले रिवाल्वर से डबल एक्शन से फायर किया जाता है।
4. उद्देश्य :-रिवाल्वर की पकड़, कॉक, अनकॉक, फायर करना और बैटल क्रौच पोजीशन लेने का तरीका सिखाना है (उद्देश्य को दोहराये) ।
5. सामान -रिवाल्वर, ड्रील कार्टिज, टारगेट सीक्यू.बी.. एक लकीर वाला शीशा और ग्राउण्डशीट।
6. भागों में बॉट-
  • भाग 1- रिवाल्वर पकड़ना, कॉक और अनकॉक करना।
  • भाग 2- फायर करना और बैटल क्रौच पोजीशन।
भाग 1- रिवाल्वर पकड़ना, कॉक और अनकॉक करना
(क) रिवाल्वर को पकड़ना:- खिाल्वर की दुरुस्त पकड़ फायर करनेवाले हाथ की अंगुली पर निर्भर है। फायर करते वक्त अँगुलियों को बट पर इस प्रकार लपेटें कि बीच का जोड़ ट्रिगर गार्ड के बायीं तरफ, तीसरी और चौथी उँगलियाँ बट के बीच मजबूती से लपेटी हों और चौथी अँगुली की मजबूत पकड़ से सारी पकड़ की मजबूती कायम रहे। जब रिवाल्वर को इस प्रकार पकड़ी जायेगी तो वह हाथ का हिस्सा मालूम । पैर खुली रखते हुए खिाल्वर को दाहिने हाथ से पकड़ें और बायें हाथ के चार उँगलियों को दाहिने हाथ की तीन उँगलियों पर रखें ताकि बायें अंगूठे से कॉक किये हुए खिाल्वर के केम को रुकावट न पड़े। रिवाल्वर को पकड़कर इस तरह खड़े हों कि जिस हाथ से रिवाल्वर पकड़ा हो वही पैर आगे हो।
(ख) कॉक करना - रिवाल्वर को सीखे हुए तरीके से पकड़ें। हथेली ऊपर करें और कलमे वाली अंगुली ट्रिगर से अलग करके उसे ट्रिगर गार्ड के आगे करें. अंगूठा हैमर कम्ब के आर-पार रखें और ढीली पकड़ से हाथ पलट दें। तीसरी और चौथी अँगुली को ढीला कर सकते हैं पस्तु बीचवाली अंगुली को नहीं हिलना चाहिए। हैमर को पीछे खींचें और रेस्ट पोजीशन में जाएँ। यदि रिवाल्वर को दोनो हाथों से पकड़े हों तो हैमर काम्ब को बायें हाथ के अंगूठे से पीछे खींचा जा सकता है।
(ग) अनकॉक करना: रिवाल्वर भरा हो या नहीं अनकॉक की कार्रवाई केवल ट्रिगर दबाकर नहीं बल्कि हैमर को काबू में रखकर की जाय हाथ इस प्रकार घुमाएँ कि हथेली जमीन की ओर हो जाय और अंगूठा हैमर काम्ब के ऊपर हो अब ट्रिगर को दबाएँ और काम्ब वाले अंगूठे से हैमर को काबू में रखते हुए आहिस्ते से आगे जाने दें। बायें हाथ से फायर करनेवाली पूरी कार्रवाई इससे उल्टा करें। याद रखना चाहिए कि भरे हुए रिवाल्वर को कॉक किया जाता है तो, जो राउण्ड हैमर के सामने है, वह दोबारा ट्रिगर दबाने पर फायर नहीं होगा बल्कि 2 बजे या 10 बजे की लाईन में आ जाएगा। इसीलिए यदि अनकॉक करते समय केवल तीन जिंदा राउण्ड रहे तो ऐसी दशा में तुरंत प्रयोग के लिए केवल दो राउण्ड मौजूद रहेंगे। इनको फायर करने के बाद उस राउण्ड को फायर करने के लिए खाली चैम्बर को तीन बार ट्रिगर दबाने की आवश्यकता होगी, ताकि वह राउण्ड फायर करने के लिए हैमर के सामने आ जाय ।

भाग 2- फायर करना और बैटल क्रौंच पोजीशन
(क) फायर करना :- जब आदेश मिले रेडी तो कार्रवाई इस प्रकार करें
  • (i) केश खोलें और बट को मजबूती से पकड़कर रिवाल्वर को केश से बाहर निकालें।
  • (ii) रिवाल्वर को बदन के बीच लाते हुए टारगेट के मध्य में मिलाएँ। रिवाल्वर बदन के बीच में 6 इंच से 12 इंच आगे हो ।
  • (iii) सीखे हुए तरीके से रिवाल्वर को कॉक करें और कलमे वाली अँगुली ट्रिगर पर रखें।
  • (iv) यदि कोई टारगेट न हो तो बैरल को सुरक्षित दिशा की ओर रखें।
(ख) बैटल क्रौंच पोजीशन :- नजदीक फासले पर अचानक दुश्मन निकले पर उसकी नजरों में छोटा टारगेट बनाने के लिए बैटल क्रौंच पोजीशन से फायर किया जाता है, जो इस प्रकार है
  • (i) रेस्ट पोजीशन के हुक्म पर रिवाल्वर को सीखे हुए तरीके से केश से निकालें रिवाल्वरवाले हाथ के विपरीत पैर को एक कदम आगे लें।
  • (ii)बदन आगेवाले घुटने के ऊपर कूल्हे से आगे झुका हुआ, दोनो कंधे झुके हुए लेकिन फायर करनेवाले बाजू का कंधा दूसरे कंधे से कुछ नीचे होना चाहिए। बदन के किसी भाग में तनाव न हो।
  • (iii) रिवाल्वर बायें पंजे के ऊपर आयत की सीध में दुश्मन पर लगाई जाय। ध्यान रहे, रिवाल्वर टारगेट की सीध में हो तथा हाथ को लम्बा न किया जाय ।
  • (iv) फायर करनेवाली कोहनी और हाथ अंदर की तरफ इस प्रकार खिंचे हों कि फायर करनेवाले की नाभि और लक्ष्य एक सीध में आ जाएँ।
  • (v) हाथ और बैरल जमीन के समानान्तर हो। कोहनी का पोजीशन बदन के बीच बेल्ट कड़ी के सामने बीच में हो। जब इस प्रकार फायर किया जाय तो गोली फायर करनेवाले के बदन के जिस हिस्से की तरफ से रवाना होगी, दुश्मन के उसी भाग में लगेगी।
  • (vi) यदि अचानक दुश्मन दाहिने या बायें निकले तो आगेवाले पैर को पिवट मानते हुए दाहिने या बायें को घूम जाएँ । यदि दुश्मन पीछे निकल आये तो आगेवाले पैर को पिवट मानते हुए बायें से पीछे घूम जाएँ।
नोट :- और पोजीशन 9 एम.एम.पिस्टल की तरह।
अभ्यास :- क्लास को जोड़ी जोड़ी में अभ्यास कराया जाय।
संक्षेप :- सबक के ऊपर क्लास से सवाल-जवाब ।

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17 October 2022

.38 इंच रिवाल्वर के सफाई , भरना और खाली करना IWT

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने .38 इंच रिवाल्वर की बेसिक डाटा की और अब इस इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के इस लेसन में हम.38 इंच रिवाल्वर के सफाई , भरना और खाली करना  को सरल शब्दों में जानेगे (.38 inch revolver ki safai, bharna aur khaali karna ka IWT  ) ! इस पोस्ट को आसान बनानके लिए हमने इसे कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग में जिस क्रमबद्ध तरीके से सिखाया जाता है उसी क्रम में लिखेगे! 

.38 inch Revolver ke parts ka naam
.38 inch Revolver ke parts ka naam

1. शुरू-शुरू का काम :-

  • (क) क्लास की गिनती और ग्रुपों में बाँट
  • (ख) हथियार और सामान का निरीक्षण
  • (ग) बंदोबस्ती की कार्यवाही 
2. दोहराई-रिवाल्वर की विशेषताएँ और सी.क्यू.बी. पर किये जायें। 

3. पहुँच :- अचानक और कम रेंज पर निकलनेवाले टारगेट को जल्दी से बर्बाद करने के लिए यह जरूरी

है कि रिवाल्वर को भरना और खाली करना प्रत्येक जवान जानता हो।

4. उद्देश्य :- रिवाल्वर की सफाई. भरना और खाली करने का तरीका सिखाना है (उद्देश्य को दोहराये) 5. सामान - रिवाल्वर, ड्रील कार्टिज, क्लिनिंग रॉड, चिन्दी. टारगेट फिगर 11 और ग्राउण्डशीट।

6. भागों में बांट -

  • भाग 1- रिवाल्वर की सफाई
  • भाग 2- भरना और खाली करना। 

भाग 1- रिवाल्वर की सफाई

  • (क) वेबले एण्ड स्कॉड:- क्लिनिंग रॉड में 10x5 cm चिन्दी के साथ मजल की तरफ से दाखिल कर के बैरल को साफ करें, साथ ही चैम्बर को घुमाकर साफ करें। 
  • (ख) स्मिथ एण्ड वेसन:- क्लिनिंग रॉड को उसी प्रकार मजल की तरफ से दाखिल करके बैरल को साफ करें, पॉल की सुरक्षा के लिए बायाँ अंगूठा पॉल पर लगाये रखें तथा चेम्बर को बारी-बारी घुमाकर साफ करें। तेल लगाने के लिए 10x3.75 cm चिन्दी का प्रयोग करें। 
भाग 2- भरना और खाली करना :

भरना - भरने का सबसे अच्छा पोजीशन रेस्ट पोजीशन है। 'भर" के आदेश पर बायाँ पैर आगे करें, दाहिने मुडें और रिवाल्वर के चैम्बर को खोलें । विश्वास करने के लिए कि सिलेन्डर किस तरफ घूमता है. पॉल को देखें, यदि पॉल बायीं तरफ हो तो सिलेन्डर घड़ी के रुख में घूमेगा। यदि दाहिने तरफ हो तो उर उल्टा घूमेगा । बायें हाथ के अंगूठे से सिलेन्डर को मजबूती से दबाकर रखते हुए आवश्यक राउण्ड से निकालें. यदि सिलेन्डर घड़ी के रुख में घूमता है तो चैम्बर इस क्रम से भरें कि पहला राउण्ड 10 बजे की लाईन वाले चैम्बर में और बाद का राउण्ड घड़ी के उल्टे रुख के चैम्बर में डालें । यदि सिलेन्डर घड़ी के उल्टे रुख घूमता है तो पहला राउण्ड 2 बजे की लाईन वाले चैम्बर में डालें। रिवाल्वर के सिलेन्डर को बंद करे और रस्ट पोजीशन में जायें।

खाली करना - स्मिथ एण्ड वेसन- रेस्ट पोजीशन से भरने का पोजीशन बनाएँ और सीखे हुए ढंग से सिलेन्डर खोलें । बायें हाथ से बैरल को नीचे से पकड़ें और बाएँ हाथ के अंगूठे से इजेक्टर रॉड को पीछे धकेले। ध्यान रहे दाहिना हाथ सिलेन्डर के पीछे और नीचे रखें और खाली केश दाहिने हाथ में लें। वेबले एण्ड स्कॉट-जो रिवाल्वर बट टूटकर खुलते हैं, उनके लिए अच्छा तरीका है कि रिवाल्वर को थोड़ा सा खोलें और दाहिने पैर के रान पर टिकाएँ। बैरल सामने की तरफ रखते हुए बैरल को पूरा खोलें और खाली केश को दाहिने हाथ में पकड़ें । रिवाल्वर को बंद करें। खाली केश पाउच में रखें और रेस्ट पोजीशन में जाएँ। वापस रिवाल्वर के आदेश पर रिवाल्वर को केश में बंद करें।

इसके साथ ही 9 mm  पिस्टल का चाल और रोके तथा दूर करने का तरीका    से  सम्बंधित IWT का पाठ समाप्त हुवा !उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे! 

इसे भी पढ़े :

  1. 51 mm मोर्टार तथा इसके डायल साईट के बेसिक टेक्निकल जानकारी
  2. 51mm मोर्टार को खोलना जोड़ना और उसके पार्ट्स के नाम
  3. 51mm मोर्टार की साफ सफाई का तरीका
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  5. स्मोक और इल्लू बम का चाल और बेसिक डाटा
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  7. 51 mm मोर्टार छोटी छोटी बाते
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  9. 51 mm मोर्टार के भरना और खली करने का तरीका तथा बम को तैयार करना
  10. 51 mm मोर्टार का ले और फायर तथा मिस फायर पे करवाई

15 October 2022

.38 रिवाल्वर बेसिक डाटा की जानकारी

 पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने 9 mm पिस्टल के चाल और रोके के बारे में जानकारी प्राप्त की और अब इस नई ब्लॉग में हम .38 रुगेर रिवाल्वर के बारे में जानेगे ! यह रिवाल्वर पहले  ज्यादातर पुलिस ऑफिसर्स के  पास होती थी  और अभी भी इसे आप पुलिस के अर्मौरी में देख सकते है ! यह  अपने समय का बहुत ही प्रभावी हथियार था !

इसका नाम रिवाल्वर इसलिए पडा की इसका चैम्बर है जिसमे राउंड फीड किया जाता है चैम्बर  रेवोल्व होता है !इसको सिक्सर भी कहा जाता है क्यों की एक बार लोड कर देने पर इससे 6 राउंड बिना फिर से लोड किये हुए ही फायर किया जा सकता है !.38 इंच रिवाल्वर बनावट के अनुसार दो प्रकार के होते हैं : रूगर और टिटेन ट्रिगर -

.38 रिवाल्वर का पार्ट्स का नाम
.38 रिवाल्वर का पार्ट्स का नाम 

इसका बेसिक डाटा इस प्रकार से है :

  • (i) रिवाल्वर का वजन - 1 पौण्ड 15 औंस
  • (ii) रिवाल्वर की लम्बाई - 11.5 इंच
  • (ii) बैरल की लम्बाई -4 इंच
  • (iv) कारगर रेंज- 15 गज 
  • (v) चैम्बर क्षमता- 6 राउण्ड 
  • (vi) मजल वेलोसिटी - 715 फीट / से0 870 ft/s 
  • (vii) लैण्ड गुब्ज- 6 दाहिने
  •  (viii) कैलिवर- 38 इंच 
  • सिलेन्डर के घूमने के कारण इस शस्त्र का नाम रिवाल्वर रखा गया है। 
  • पुलिस विभाग में प्रायः दो प्रकार के रिवाल्वर प्रयोग में आते हैं - 
  • 1. स्मिथ एण्ड वेसन (Smith & Winson) 
  • 2 वेबले एण्ड स्कॉट (Webley & Scot)
अच्छी आदतें :- रिवाल्वर इस्तेमाल करनेवाले जवान को चंद एक अच्छी आदतों पर अमल करना चाहिए -
  • (क) बद रिवाल्वर को हमेशा भरा हुआ समझा जाय।
  • (ख) रिवाल्वर को किसी को देते या लेते समय निरीक्षण किया जाय।
  • (ग) निरीक्षण करने के बाद ट्रिगर दबाते समय बैरल आसमान की तरफ रखा जाय, जब रिवाल्वर भराहुआ हो तो हैमर को आगे के पोजीशन में रखा जाय।
  • (घ) जब फायर करने की जरूरत न हो तब अंगुली को ट्रिगर पर न रखा जाय।
  • (ड) रिवाल्वर का मजल किसी साथी की तरफ या ऐसे हालात में जहाँ फायर करने से कोई हादसा हो सकता है न किया जाय ।
  • (च) रिवाल्वर के साथ नाजायज छेड़छाड़ न किया जाय और इसे बगैर जरूरत होल्स्टर से बाहर न निकाला जाय।

इसके साथ ही .38 रिवाल्वर के बेसिक डाटा  से  सम्बंधित पोस्ट  समाप्त हुवा !उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे! 

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  1. Basic data of 5.56mm INSAS and It characteristics.
  2. 5.56mm INSAS ki chal in hindi , 5.56mm INSAS की चाल हिंदी में.
  3. 9 mm पिस्तौल ब्राउनिंग का बेसिक टेक्नीकल डाटा
  4. 7.62 mm एसएलआर राइफल की खुबिया और खामिया
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  6. .303 LE राइफल का इतिहास
  7. Lee Enfield .303राइफल का टेक्नीकल डाटा
  8. Lee Enfield 303राइफल की खूबिय और खामिया
  9. 9 mm कार्बाइन मचिन या सब मचिन गन का इतिहास और खुबिया
  10. 9mm कार्बाइन का टेक्नीकल डाटा -II


14 October 2022

9 mm पिस्टल की चाल और रोके और उसे दूर करने का तरीका

 पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने 9 mm पिस्टल का फायर करने जानकारी प्राप्त की और अब इस इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के इस लेसन में हम 9 mm पिस्टल की चाल और रोके और उसे दूर करने का तरीका  का इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के लेसन को सरल शब्दों में जाएँगे (9 mm Pistol ki chaal aur roke aur use dur karne ka tarika ka IWT saral shabdo me  ) ! इस पोस्ट को आसान बनानके लिए हमने इसे कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग में जिस क्रमबद्ध तरीके से सिखाया जाता है उसी क्रम में लिखेगे! 

1. शुरू-शुरू का काम -
  • (क) क्लास की गिनती और गुपों में बाँट
  • (ख) हथियार और सामान का निरीक्षण
  • (ग) बंदोबस्ती की कार्यवाही 
2 दोहराई :- पिस्टल के रेडी और फायर से लिया जाय।
3. पहुँच :-9 एम.एम. पिस्टल शॉट रिक्वाइल के सिद्धांत पर काम करता है। इसका बैरल छोटा होता है।
इसलिए इस हथियार के हादसों से बचने के लिए इसकी चाल को जानना जरूरी है, ताकि किसी मुठभेड़ या फायरिंग रेंज में पड़नेवाली रोकों को जल्दी से दूर किया जा सके। पिस्टल में पड़ने वाली रोकों को तभी दूर किया जा सकता है. जब इसकी चाल के बारे में मालूम हो तथा रोकों को दूर करने का अभ्यास किया हो।
4. उद्देश्य:-9 एमएम पिस्टल की चाल, पड़ने वाली रोकें तथा उन्हें दूर करने का तरीका सिखाना है
(उद्देश्य को दोहराये) ।
5. सामान :-9 एमएम पिस्टल, मैगजीन. ड्रील कार्टिज, लाइनिंग यार्ड, पिस्टल केश, टारगेट फिगर 11
और ग्राउण्डशीट।
6. भागों में बाँट :-
  • भाग 1- हिस्से-पुर्जे के नाम और काम।
  • भाग 2- पिस्टल की चाल।
  • भाग 3- रोकों को दूर करना।

भाग 1- हिस्से-पुर्जे के नाम और काम :

पिस्टल को मुख्यतः तीन बड़े भागों में बाँटा गया है- 1. फ्रेम 2 स्लाइड 3. बैरल ।
पोजीशनल लैग :- यह बैरल के पीछे और ऊपर होता है, इसका काम बैरल और स्लाइड को लॉक करना है।
लॉकिंग पीस :-रिसीवर पर फ्रेम इस प्रकार माउंट होता है कि जब बैरल पीछे की हरकत करता है तो इसका काम बैरल को नीचे की तरफ खींचना है।
ट्रिगर मैकेनिज्म के हिस्से-पुर्जे :- ट्रिगर ट्रिपिंग लीवर. ट्रिपिंग लीवर टेल, सियर लीवर, सेफ्टी कैच और स्लाइड के अन्य भाग।
पिस्टल की चाल:- पिस्टल की चाल 8 एक्शन में पूरा होता है।

पीछे की चाल में 4 एक्शन-
  • अनलॉक,
  • एक्सट्रेक्ट,
  • इजेक्ट एवं
  • कॉक
और आगे की चाल में 4 एक्शन-
  • फीड,
  • लोड,
  • लॉक
  • और फायर।
पीछे की चाल :- फायर हुए राउण्ड से पीछे की ओर धक्का लगता है. जिसे रिक्वाइल कहते हैं। इस धक्के से ब्रिज ब्लॉक, स्लाइड और बैरल एकसाथ पीछे की हरकत शुरू करते हैं। इस दौरान सियर लीवर का अगला हिस्सा ट्रिगर लीवर के नोज के पिछले भाग से पीछे हो जाता है। स्लाइड और बैरल एकसाथ पीछे की हरकत करने के बाद बैरल नीचे की ओर चला जाता है और स्लाइड से अलग हो जाता है। यहाँ पर अनलॉक की कार्रवाई पूरी होती है। स्लाइड के पीछे की हरकत जारी रहती है। इस दौरान एक्सट्रेक्टर खाली केश को पकड़कर पीछे लाता है। इसे एक्सट्रेक्ट की कार्रवाई कहते हैं। खाली केश इजेक्टर से टकराकर इजेक्शन स्लॉट से दाहिनी ओर नीचे गिर जाता है. कार्रवाई इजेक्ट की होती है। रिटर्न लिंग सिकुड़ जाता है और स्लाइड चैम्बर के ऊपर से गुजरता है. जिससे हैमर कॉक हो जाता है, कार्रवाई कॉक की होती है। जब स्लाइड रिसीवर में लगे फॉरवर्ड लेग से टकराता है. यहाँ पर पीछे की चाल पूरी हो जाती है।

आगे की चाल-सिकुड़ा हुआ रिटर्न स्प्रिंग अपनी तनाव को पूरा करता है, तो स्लाइड को आगे धकेलता है, इस दौरान ब्रिज ब्लॉक का फीड पीस मैगजीन के ऊपरवाले राउण्ड को धकेलकर चैम्बर में दाखिल करता है। इस कार्रवाई को फीड कहते हैं। एक्सट्रेक्टर चैम्बरवाले राउण्ड को मुंह में पकड़ लेता है, इस कार्रवाई को लोड की कार्रवाई कहते हैं। ब्रिज ब्लॉक के दबाव से बैरल आगे की हरकत करता है, जिससे केश के नीचे वाली सतह पर लॉकिंग पीस का जोड़ पड़ता है और ब्रिज ब्लॉक ऊपर उठ जाता है, जिससे बैरल का लौकिग लेग स्लाइड के लोकिग रिसस में फस जाता है और बरल लाकहा जाता है। इस लोक की कार्रवाई कहते हैं । इस दौरान ब्रिज ब्लॉक और बैरल आगे की हरकत करते हैं। स्लाइड के साथ सियर लीवर आगे की हरकत करता है और ट्रिगर लीवर को आगे धकेल देता है, जिससे सियर लीवर के नीचे आ जाता है, ट्रिगर दबाने पर ट्रिगर लीवर ऊपर उठता है. जिससे कि सियर लीवर का अगला सिरा ऊपर दबता है और पिछला सिरा नीचे दबता है। रिसीवर में लगे लेग सियर पर जोड़ डालता है, चैम्बर लिंग की ताकत से आगे की ओर ऊपर की हरकत करता है, जिससे हैमर ब्रिज ब्लॉक में लगी फायरिंग पिन के पिछले सिरे पर ठोकर मारता है और गोली फायर हो जाती है. इसे फायर की कार्रवाई कहते हैं।
रोकों को दूर करना:- अगर पिस्टल शुरू से फायर न करे या फायर के दौरान रोक पर जाता है, तो फायर न होने के ये कारण हो सकते हैं।
  • (क) खाली मैगजीन-पिस्टल में आखरी राउण्ड फायर होने के बाद स्लाइड पूरा पीछे रुक जाता है। फायर के दौरान स्लाइड और हैमर पूरा पीछे दिखाई दे तो खाली मैगजीन की रोक समझकर खाली मैगजीन को उतारे भरी मैगजीन को चढ़ाएँ और फायर करें।
  • (ख) मिसफायर- हैमर और स्लाइड पूरा आगे हो तो राउण्ड को मिसफायर समझकर पिस्टल को कॉक करे और फायर जारी करें।
  • (ग) अनफिट राउण्ड -हेमर पूरा पीछे हो और स्लाइड चैम्बर से थोड़ा पीछे हो तो अनफिट राउण्ड समझकर स्लाइड के पीछेवाले भाग पर थपकी लगायें जिससे अनफिट राउण्ड चैम्बर में फिट हो जाएगा। पिस्टल को फायर में शामिल करें।
  • (घ) बॉडी में रोक- स्लाइड पूरा आगे और हैमर पूरा पीछे हो तो बॉडी की रोक समझकर कार्रवाई करें। मैगजीन को निकालें. पिस्टल को दाहिने टर्न करें, स्लाइड को पीछे खींचें जिन्दा राउण्ड या खाली केश बाहर गिर जाएगा । अगर न निकले तो पिस्टल को हिलायें, निकल जाने के बाद फायर जारी करें।
अन्य रोकें :
  • (क) गंदा मैगजीन या खराब एम्युनिशन – फिट एवं फायर न होना ।
  • (ख) टूटा फायरिंग पिन-फायर न होना, राउण्ड के पेंदे पर चोट नहीं।
  • (ग) फिट न होना- भरने में रुकावट, पुर्जी की सही हरकत नहीं होना।
रोकों को कम करने के लिए कार्रवाई :
  • (क) मैगजीन लिप्स एवं स्प्रिंग को चेक करें।
  • (ख) फायरिंग पिन को पीछे से धकेलकर चेक करें ।
  • (ग) एक्सट्रेक्टर साफ और टूटा न हो ।
संक्षेप :- रोकों को दूर करने का सभी जवानों से अभ्यास करायें। अभ्यास के दौरान सवाल-जवाब भी साथ किये जाएँ।

इसके साथ ही 9 mm  पिस्टल का चाल और रोके तथा दूर करने का तरीका    से  सम्बंधित IWT का पाठ समाप्त हुवा !उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे! 

इन्हें भी पढ़े :
  1. Basic data of 5.56mm INSAS and It characteristics.
  2. 5.56mm INSAS ki chal in hindi , 5.56mm INSAS की चाल हिंदी में.
  3. 9 mm पिस्तौल ब्राउनिंग का बेसिक टेक्नीकल डाटा
  4. 7.62 mm एसएलआर राइफल की खुबिया और खामिया
  5. 9 mm पिस्तौल का खुबिया और खामिया
  6. .303 LE राइफल का इतिहास
  7. Lee Enfield .303राइफल का टेक्नीकल डाटा
  8. Lee Enfield 303राइफल की खूबिय और खामिया
  9. 9 mm कार्बाइन मचिन या सब मचिन गन का इतिहास और खुबिया
  10. 9mm कार्बाइन का टेक्नीकल डाटा -II


11 October 2022

9 mm पिस्टल का फायर करने का इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के लेसन को सरल शब्दों

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने 9 mm पिस्टल  की सुरक्षा , खोलना ,जोड़ना, भरना और खाली करना  के बारे जानकारी प्राप्त की और अब इस इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के इस लेसन में हम 9 mm पिस्टल का फायर करने  का इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के लेसन को सरल शब्दों में जाएँगे (9 mm Pistol ka fire karne ka IWT saral shabdo me  ) ! इस पोस्ट को आसान बनानके लिए हमने इसे कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग में जिस क्रमबद्ध तरीके से सिखाया जाता है उसी क्रम में लिखेगे! 


1. शुरू-शुरू का काम -

  • (क) क्लास की गिनती और ग्रुपों में बाँट
  • (ख) हथियार और सामान का निरीक्षण
  • (ग) बंदोबस्ती की कार्यवाही

2. दोहराई - पिस्टल को भरना और खाली करना से लिया जाय।

3. पहुँच-9 एम.एम. पिस्टल नजदीक से मार करनेवाला हथियार है। इसका फायदा तभी उठाया जा

सकता है, जबकि अचानक मिलनेवाले शत्रु के फायर करने से पहले तेज हरकत और फुती के साथ शत्रु के ऊपर फायर करके बर्बाद किया जा सके। सही कारगर फायर तभी डाला जा सकता है जब रुख अपनाने का तरीका इस प्रकार हो जैसा कि कलमे वाली अंगुली से किसी चीज का इशारा करते हुए एक ही गोली से शत्रु को बर्बाद किया जा सके।

4. उद्देश्य - 9 एम.एम. पिस्टल से फायर करने का तरीका सिखाना है (उद्देश्य को दोहराये) ।

5. सामान - 9एमएम. पिस्टल, मैगजीन ड्रील काट्रिज, पिस्टल केश, टारगेट फिगर 11 और ग्राउण्डशीट।

6. भागों में बाँट -

  • भाग 1- रेडी पोजीशन और फायर करना।
  • भाग 2- अलग-अलग पोजीशनों का इस्तेमाल।

भाग 1- रेडी पोजीशन और फायर करना :- (नमूना बयान से)

रेडी पोजीशन-लड़ाई के मैदान में या फायरिंग रेंज पर जब पिस्टल को फायर के लिए रेडी पोजीशन में लाना हो तो कार्रवाई इस प्रकार करें-

  • (क) होल्स्टर को खोलें. दाहिने हाथ से पिस्टन ग्रिप को पकड़कर पिस्टल को होल्स्टर से बाहर निकालें।
  • ख) पिस्टन ग्रिप को मजबूती से पकड़ते हुए तेजी से पिस्टल को बदन के बीच में लाएँ, दाहिना बाजू सीधा रखते हुए टारगेट के बीच में लाएँ
  • (ग) बायें हाथ से स्लाइड के खुरदरें हिस्से को पकड़ते हुए पीछे खींचें और आगे जाने दें. ऐसा करने से राउण्ड चेम्बर में दाखिल हो जाएगा।
  • (घ) कलमे वाली अँगुली ट्रिगर पर रखें. पिस्टल फायर के लिए तैयार हो जाएगा।

फायर करना -

  • (क) अगर टारगेट 10 गज की दूरी पर हो तो बैटल क्रौच पोजीशन को अपनाएँ
  • (ख) टारगेट पर नजर जमाएँ और पिस्टल को टारगेट के बीच में मिलाते हुए तेजी के साथ कम से कम दो राउण्ड फायर करें।
  • (ग) राउण्ड फायर हो जाने के बाद ट्रिगर से दबाव हटाएँ ।
  • (घ) अगर टारगेट गज के अंदर हो तो पिस्टलवाले बाजू को पूरा सीधा करें और शिस्त लेकर फायर करें। इस तरह फायर करते समय जिस हाथ में पिस्टल हो वहीं पाँव आगे करें।
  • (ड) फायर करते समय गोली लगने की जगह देखे और जरूरत के मुताबिक तबदीली करें।

शिस्त का कायदा- बायीं आँख को बंद करें, फोरसाइट नोज को बैंकसाइट के बीच कटाव के लाइन में मिलाते हुए टारगेट के सेन्टर में मिलाएँ। बैंकसाइट का मध्य, फोरसाइट का नोज और टारगेट का मध्य एक सीध में हो जाने पर फायर करें।

ध्यान में रखनेवाली बातें-25 गज से 5 गज तक शिस्त हमेशा टारगेट से ऊपर लिया जाया क्योकि पिस्टल को इस प्रकार से जीरो किया जाता है कि 12 गज के रेंज पर गोली टारगेट के मध्य में लगे।

भाग 2- अलग-अलग पोजीशनों का इस्तेमाल :

मुठभेड़ की लड़ाई में अलग-अलग पोजीशन से पिस्टल को फायर करने की जरूरत पड़ती है। आड़ के मुताबिक पोजीशन अख्तियार करना जरूरी है ताकि दुश्मन के फायर से बचाव करते हुए दुश्मन के ऊपर तेजी से फायर डाला जा सके। पिस्टल से चार पोजीशनों से फायर किया जाता है -

स्टैंडिंग पोजीशन - इस पोजीशन को अख्तियार करने के लिए खुले में खड़े न हों बल्कि आड़ का इस्तेमाल करें। यदि पेड़ का इस्तेमाल किया जा रहा हो तो जिस हाथ में पिस्टल पकड़ा हो उसके विपरीत पेड़ छोड़ा जाय। किसी दीवार के पीछे से फायर करने पर बायें हाथ से पिस्टलवाले हाथ को सहारा दें।

निलिंग पोजीशन- सीखे हुए तरीके से निलिंग पोजीशन को अख्तियार करें। ध्यान रहे बाथी कोहनी बायें घुटने पर रखते हुए पिस्टल को बायें हाथ से सहारा दें।

सिटिंग पोजीशन- सीखे हुए तरीके से सिंटिंग पोजीशन को अख्तियार करें। ध्यान रहे दोनो हाथों की कोहनी दोनो पैरों के घुटनों के अंदर हो।

पोजीशन- लाईन पोजीशन अख्तियार करने के लिए एलएमजी. की तरह पोजीशन बनायें, दोनो कोहनियों को छाती के आगे टिकाते हुए पिस्टल को बायें हाथ का सहारा दें।

अभ्यास-सभी पोजीशनों का क्लास से अभ्यास करायें। संक्षेप सबक को तरतीबवार दोहराते हुए सबक के हर भाग से सवाल-जवाब करें।

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  10. 9mm कार्बाइन का टेक्नीकल डाटा -II

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