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23 January 2022

HHMD का सही इस्तेमाल करने का तरीका हिंदी

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने DFMD को इस्तेमाल करने के तरीका के बारे में जानकारी शेयर की और अब इस नई ब्लॉग पोस्ट में हम हैण्ड हेल्ड मेटल डिटेक्टर (HHMD- Hand Held Metal Detector) की जानकारी हिंदी में जानेगे!

जैसे की हम जानते है की पुलिस बंदोबस्त कही भी जहा लोगो का इकट्ठा होने का संभावना होती है  ओ चाहे किसी नेता की मीटिंग हो या कोई और मजमा या फंक्शन हम अक्सर देखते है की पुलिस के लोग एक्सेस यानि आने जाने वाले गेट के पास में HHMD(HAND HELD METAL DETACTOR) हाथ में लिए और DFMD  गेट पे लगाये खड़े रहते है ! ऐसे तो आज कल केवल पुलिस वाले ही नहीं बड़े बड़े मॉल और सिनेमा घर या बड़े बड़े प्रतिष्ठान के पास भी वहा  के सिक्यूरिटी इन चार्ज के पास ए सब सिक्यूरिटी गैजेट होते है ! इस सब होने के बाद भी ऐसे तो आम जनता को नहीं मालूम लेकिन अक्सर यह देखा जाता है की इन गैजेट को वहा खड़े सिक्यूरिटी के जवान सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते है क्यों की  उन लोगो को शायद इस सिक्यूरिटी गैजेट के बारे में पूरी तरह से ट्रेनिंग नहीं दी गई है या ओ लोग भूल गए है !

उपरोक्त बातो को ध्यान में रखते हुवे आज मै HHMD की जानकारी हिंदी में इस  पोस्ट के माध्यम से लिख रहा हु ! इस विषय को अच्छी तरह से समझने के लिए इसको मैने इसे छोटे छोटे समूह में बाँट दिया है ! इस पोस्ट को पढने के बाद आप HHMD के निम्न विषयो के बारे में भली भाति जाकारी पा चुके होंगे इस लिए इस पोस्ट को अंत तक जरू पढ़िए और पसंद आये तो ब्लॉग को लिखे तथा शेयर करे यह पुलिस के जवानों के लिए काफी उपयोगी होगा !

HHMD kya hota hai
HHMD ka rekhachitr 

  • टेक्निकल स्पेसिफिकेशन और ऑपरेशन स्टेटस ऑफ़ HHMD(technical specification of HHMD and operational status)
  • HHMD के इस्तेमाल करने का तरीका (HHMD ka istemal karne ka tarika)
  • इन दोनों गैजेट का सेहद पे पड़ने वाले असर (HHMD ka health par asar)
1.HHMD क्या होता है ?(HHMD kya hota hai ?): यह एक छोटे  डंडे के  अकार  का  जिसके अंदर  न दिखाई देनेवाला मैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न होता  है जो उसके पास से कोई भी मेटल पदार्थ के आने पर एक अलार्म पैदा करता है !
2. HHMD किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?(HHMD kis siddhant par kary karta hai) यह इलेक्ट्रो मैग्नेटिक पल्स फील्ड टेक्नोलॉजी के सिद्धांत पर कार्य करता है ! जो की मैग्नेटिक पल्स फील्ड को ट्रांसमिट  करता है जो कभी भी कोई मेटल के पार्ट्स इसके नगदिक आक कर पल्स फील्ड को डिस्टर्ब करता है तो एक अलार्म बजता है जो इंडीकेट करता है की कोई मेटल  है ! इसी सिद्धांत से जब इन गैजेट के इस्तेमाल करते है और अलार्म बजता है तो पता चलता है की जो व्यति इसके नजदीक से गुजरा है उसके पास कोई न कोई बस्तु है जिसमे मेटल है और उसे फिर हाथ से सर्च कर के देखा जाता है!

3. एक अच्छे  HHMD के अन्दर क्या गुण होना चाहिए(Characteristic of a good HHMD) :एक अच्छे HHMD के अन्दर निम्नलिखित गुण होना चाहिए :
  • उसके अन्दर सेंसिटिविटी चारो एक सामान होनी ची और उसके पास कोई मेटल आये तो अलार्म बजना चाहिए !
  • और उसके अन्दर गुण होना  चाहिए  की वह फेरस और नॉन फेरस तथा मेटल का पता लगा सके !
  • HHMD के अन्दर गुण होना चाहिए की वह .5 ग्राम या उससे ज्यदा वजन के मेटल को आसानी से डिटेक्ट कर ले !
  • 2.5 सेंटीमीटर की दुरी से कोई भी मेटल की बस्तु जो .5 ग्राम से ज्यादा वजन की हो उसे डिटेक्ट करे 
  • 1 मीटर के दुरी पे वाकी - टाकी, मोबाइल और रेडियो के इस्तेमाल से HHMD के कार्य करने के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए !
  • एक अच्छे HHMD में विसुअल और ऑडियो अलार्म होना चाहिए  
  • और वह नेशनल तथा इंटर नेशनल  स्टैण्डर्ड का होना चाहिए 
  • वह रिचार्ज होने वाली बैटरी से चला हो !
  • उसमे बैटरी कितना चार्ज है उसका इंडिकेशन दिखा देता हो 
  • उसके ऊपर इन्फ्रा रे , अल्ट्रा वायलेट या RF किरणों का कोई असर नहीं होना चाहिए !
  • एक अच्छा HHMD का वजन 250-300 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए !
4. HHMD को इस्तेमाल करने से पहले इन बातो सुनिश्चित करनी चाहिए (HHMD ko karne se pahle dhyan denewali baate  ?) : HHMD को जहा कही भी इस्तेमाल की  जा रही हो उससे उतम रिजल्ट प्राप्त करने के लिए इन बातो को ध्यान रखना चाहिए :
  • HHMD इस्तेमाल करने से पहले उसका बैटरी चार्ज  है या नहीं इसका यकीं कर लेना चाहिए ! 
  • स्विच ओन  करने के बाद सबसे पहले अपने यूनिफार्म के स्तिथ किसी मेटल से 2.5 सेंटीमीटर दूर रख कर  चेक करना चाहिए की सही काम कर रहा है की !
  • और यह भी सुनिश्चित करनी चाहिए की अलार्म और अलर्म लाइट सही काम कर रहे है की नहीं !
5. HHMD से फ्रिश्किंग करने का सही तरीका(HHMD ka sahi istemal karne ka Tarika) :HHMD फ्रिश्किंग करने का सही तरीका :
Use of HHMD
Use of HHMD
  • जब कभी भी किसी व्यक्ति को फ्रिश्क करनी हो सबसे पहले उस व्यक्ति को विश करे !
  • और उस व्यक्ति को बोले की उनके पास जो कोई भी बस्तु पॉकेट या कही पे भी रखे है उसे निकल कर बहार रखे !
  • जिस व्यक्ति को फ्रिश्क करनी है उससे बात करे ताकि वह व्यकी भी आप को जबाब दे सके जिससे अगर वह कुछ मुह के अन्दर छुपा के ले जा रहा हो वह दिख सकती है !
  • व्यक्ति को बोले की हाथ जमीन के समानांतर तथा अंगुलिय खुली हुई और हथेली जमीन के तरह हो और सीधा खड़ा हो जाये !
  • फ्रिश्किंग करते समय ध्यान दे की HHMD बॉडी से 2.5 सेंटीमीटर दूर रहे और बॉडी को टच ना करे !
  • फ्रिश्किंग सिर या बालो से शुरू करनी चाहिए !
  • सिर से शुर करके HHMD को हाथो के ऊपर होते हुए अंगुलियो से फिर हाथ के निचे होते हुए कांख और वहा  से सीधे पैरोकी ओर ले जाये 
  • जूते और ग्रोविंग एरिया को विशेष चेक करे !
  • शारीर के अगले  भाग को   M शेप  और पिछले भाग को W के शेप में चेक करना चाहिए !
  • जहा कही भी बीप की आवाज आये वह उस व्यक्ति से पूछना चाहिए की क्या रखा है और उसके बात करने की अंदाज को भी देखना चाहिए !
  • अगर जवाब संतोष जनक न होते बिट देने वाली बस्तु को निकल कर चेक करना चाहिए !
  • पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद व्यक्ति द्वारा जो सामान अपने पोचेत से निकला है उसे भी चेक कर लेना चाहिए !
  • HHMD को इस्तेमाल करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए की इसका मूवमेंट तेजी से नहीं करना चाहिए बल्कि एक नार्मल मूवमेंट करना चाहिए नहीं तो यह गलत अलार्म देने लगे गा !
इस प्रकार से HHMD के इस्तेमाल करने से  सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह  पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

इन्हें भी  पढ़े :

  1. पुलिस ड्यूटी
  2. फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट में होनेवाली कुछ कॉमन गलतिया
  3. 6 कॉमन गलतिया अक्सर एक आई ओ सीन ऑफ़ क्राइम पे करता है
  4. क्राइम सीन पे सबसे पहले करनेवाले काम एक पुलिस ऑफिसर के द्वारा
  5. बीट और बीट पेट्रोलिंग क्या होता है ?एक बीट पट्रोलर का ड्यूटी
  6. पुलिस नाकाबंदी या रेड् क्या होता है ?नाकाबंदी और रेड के समय ध्यान में रखनेवाली बाते 
  7. निगरानी और शाडोविंग क्या होता है ? किसी के ऊपर निगरानी कब रखी जाती है ?
  8. अपराधिक सूचना कलेक्ट करने का स्त्रोत और सूचना कलेक्ट करने का तरीका
  9. चुनाव के दौरान पुलिस का कर्तव्य
  10. थाना इंचार्ज के चुनाव ड्यूटी सम्बंधित चेक लिस्ट



22 January 2022

DFMD WTMD का इस्तेमाल करने का सही तरीका जो की सभी सिक्यूरिटी पेरसोंनेल को जानना चाहिए

 पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने महिला और बच्चो के साथ पुलिस का व्यवहार कैसे होना चाहिए!और इस ब्लॉग पोस्ट में हम डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (DFMD- Door Frame Metal Detector) या WTFD( Walk Through Metal Detector) के बारे में जानकारी  हिंदी में  शेयर करेंगे !

जैसे की हम जानते है की पुलिस बंदोबस्त कही भी जहा लोगो का इकट्ठा होने का संभावना होती है  ओ चाहे किसी नेता की मीटिंग हो या कोई और मजमा या फंक्शन हम अक्सर देखते है की पुलिस के लोग एक्सेस यानि आने जाने वाले गेट के पास में HHMD(HAND HELD METAL DETACTOR) हाथ में लिए और DFMD  गेट पे लगाये खड़े रहते है ! ऐसे तो आज कल केवल पुलिस वाले ही नहीं बड़े बड़े मॉल और सिनेमा घर या बड़े बड़े प्रतिष्ठान के पास भी वहा  के सिक्यूरिटी इन चार्ज के पास ए सब सिक्यूरिटी गैजेट होते है ! इस सब होने के बाद भी ऐसे तो आम जनता को नहीं मालूम लेकिंग अक्सर यह देखा जाता है की इन गैजेट को वहा खड़े सिक्यूरिटी के जवान सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते है क्यों की  उन लोगो को शायद इस सिक्यूरिटी गैजेट के बारे में पूरी तरह से ट्रेनिंग नहीं दी गई है या ओ लोग भूल गए है !

उपरोक्त बातो को ध्यान में रखते हुवे आज मै DFMD की जानकारी हिंदी में इस  पोस्ट के माध्यम से लिख रहा हु ! इस विषय को अच्छी तरह से समझने के लिए इसको मैने इसे छोटे छोटे समूह में बाँट दिया है ! इस पोस्ट को पढने के बाद आप DFMD के निम्न विषयो के बारे में भली भाति जाकारी पा चुके होंगे इस लिए इस पोस्ट को अंत तक जरू पढ़िए और पसंद आये तो ब्लॉग को लिखे तथा शेयर करे यह पुलिस के जवानों के लिए काफी उपयोगी होगा !

DFMD DETECTION LIST
DFMD DETECTION LIST

  • टेक्निकल स्पेसिफिकेशन और ऑपरेशन स्टेटस ऑफ़ DFMD(technical specification of DFMD and operational status)
  • DFMD और WTMD के इस्तेमाल करने का तरीका (DFMD/WTMD ka istemal karne ka tarika)
  • इन दोनों गैजेट का सेहद पे पड़ने वाले असर (DFMD/WTMD ka health par asar)
  • DFMD को लगते समय ध्यान में रखने वाली बाते (DFMD lagate samay dhyan dene wali bate)
1. DFMD या WTMD क्या होता है ?(DFMD kya hota hai ?): यह एक दरवाजे के अकार  का  जिसके अंदर से होक आराम से गुजरा जा सकता है ! यह न दिखाई देनेवाला मैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न करता है जो उसके पास से कोई भी मेटल पदार्थ के आने पर एक अलार्म पैदा करता है !

2. DFMD या WTMD या HHMD किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?(DFMD/WTMD kis siddhant par kary karta hai) यह इलेक्ट्रो मैग्नेटिक पल्स फील्ड टेक्नोलॉजी के सिद्धांत पर कार्य करता है ! जो की मैग्नेटिक पल्स फील्ड को ट्रांसमिट  करता है जो कभी भी कोई मेटल के पार्ट्स इसके नगदिक आक कर पल्स फील्ड को डिस्टर्ब करता है तो एक अलार्म बजता है जो इंडीकेट करता है की कोई मेटल  है ! इसी सिद्धांत से जब इन गैजेट के इस्तेमाल करते है और अलार्म बजता है तो पता चाह्लता है की जो व्यति इसके नजदीक से गुजरा है उसके पास कोई न कोई बस्तु है जिसमे मेटल है और उसे फिर हाथ से सर्च कर के देखा जाता है!

3. एक अच्छे DFMD या HHMD के अन्दर क्या गुण होना चाहिए(Characteristic of a good DFMD/WTMD) :एक अच्छे DFMD या WTMD के अन्दर निम्नलिखित गुण होना चाहिए :
  • उसके अन्दर सेंसिटिविटी चारो एक सामान होनी ची और उसके पास कोई मेटल आये तो अलार्म बजना चाहिए !
  • वह मल्टी  जोनल होना चाहिए और सभी जोन के अन्दर एक सामान सेंसिटिविटी होनी चाहिए 
  • और उसके अन्दर गुण होना  चाहिए  की वह फेरस और नॉन फेरस तथा मेटल का पता लगा सके !
  • DFMD के अन्दर गुण होना चाहिए की वह 30 ग्राम या उससे ज्यदा वजन के मेटल को आसानी से डिटेक्ट कर ले !
  • इसके दरवाजे का साइज  2 मीटर ऊँचा तथा .75 मीटर या .85 मीटर चौड़ा होना चाहिए !
  • 1 मीटर के दुरी पे वाकी - टाकी, मोबाइल और रेडियो के इस्तेमाल से DFMD के कार्य करने के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए !
  • एक अच्छे DFMD में विसुअल और ऑडियो अलार्म होना चाहिए  
  • और वह नेशनल तथा इंटर नेशनल  स्टैण्डर्ड का होना चाहिए 
  • उसको टेस्ट पिस से टेस्ट किया जाना चाहिए !
  • उसके ऊपर इन्फ्रा रे , अल्ट्रा वायलेट या RF किरणों का कोई असर नहीं होना चाहिए !
4. DFMD  को लगते या INSTALL करते समय ध्यान में रखने वाली बाते  कौन कौन सी है(DFMD/WTMD install karte samay dhyan me rakhne wali bate kaun kaun si hai ?) : DFMD को जहा कही भी लगाई जा रही हो उससे उतम रिजल्ट प्राप्त करने के लिए इन बातो को ध्यान रखना चाहिए :
  • फिक्स्ड मेटलिक ऑब्जेक्ट से कम से कम 10 सेंटीमीटर दूर लगा ना चाहिए !
  • मूविंग मेटलिक ऑब्जेक्ट से कम से कम .5 मीटर से लेकर 2 मीटर की दुरी रखनी चाहिए !
  • इलेक्ट्रिक इंटरफियरेंस उत्पन्न करने वाले ऑब्जेक्ट से कम से कम  .5 से लकर 4 मीटर की दुरी रखनी चाहिए !
  • यह पर भी इनस्टॉल किया जा रहा हो वह की ग्राउंड हार्ड और समतल होनी चाहिए !
  • दो DFMD के बीच की दुरी कम से कम 35 सेंटी मीटर होनी चाहिए !
5.  DFMD स्वास्थ्य के ऊपर प्रभाव(DFMD/WTMD ka health par prabhaw) : DFMD का ऐसे को प्रेग्नेंट लेडी तथा पेसमेकर इस्तेमाल करने वालो के ऊपर कोई दुर्प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिंन इससे सम्बंधित जानकारी निर्माता से लिखित में जरुर ले लेना चाहिए  नहीं प्रेग्नेंट लेडी तथा पेसमेकर इस्तेमाल करने वाले को फिजिकल सर्च ही करना चाहिए !

6. DFMD के पार्ट्स (Parts of DFMD): DFMD के निम्न पार्ट्स होते है :
DFMD KA SIZE
DFMD KA SIZE
  • ट्रांसमीटर पैनल 
  • रिसीवर पैनल 
  • क्रॉस पिस 
  • इलेक्ट्रॉनिक यूनिट (पॉवर सप्लाई यूनिट)
  • रिमोट  कण्ट्रोल यूनिट 
7. DFMD का एडवांटेज(Advantage of DFMD) : DFMD के इस्तेमाल का निम्लिखित एडवांटेज होते है :
  • यह फेरस और नॉन फेरस दोनों प्रकार के मेटल को डिटेक्ट कर लेता है !
  • यह एक फेयर आईडिया देदेता है की बॉडी में मेटल कहा है !
  • इस के इस्तेमाल से बॉडी की चेकिंग तेजी से की जा सकती है !
  • इसको इस्तेमाल करना आसान है !
  • इसका इस्तेमाल कर के टच फ्री चेकिंग की जाती है !
  • यह जिसका चेक किया जाता है उसके लिए भी आसान !
  • यह पेस मेकर इस्तेमाल करने वाले तथा प्रेग्नेंट लेडी दोनों के लिए अनुकूल है !
  • इसके अन्दर से मैग्नेटिक टेप ले जाने पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता है मैग्नेटिक टेप के ऊपर !
8. DFMD का डिस एडवांटेज(Disadvantage of DFMD) : DFMD के इस्तेमाल का निम्लिखित डिस एडवांटेज होते है :
  • अच्छी रिजल्ट पाने के लिए दो व्यक्तिओ को चेक करते समय कम से कम 3 सेकंड का अंतर रखना चाहिए नहीं तो गलत अलार्म देता है !
  • इसके मदद से नॉन फेरस प्रतिबंधित आइटम का पता नहीं लगा सकते !
  • 30 ग्राम से कम वजन वाले मेटल के पदार्थ को पता नहीं लगाया जा सकता है !
  •  इससे प्लास्टिक एक्सप्लोसिव को डिटेक्ट नहीं कर सकते है !
इस प्रकार से हम ने आज DFMD के बारे में बहुत सटीक जानकारी यहाँ प्राप्त की और अगले पोस्ट में हम HHMD के इस्तेमाल के बारे में जानेगे !

इस प्रकार से DFMD के इस्तेमाल करने से  सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह  पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

इन्हें भी  पढ़े :

  1. पुलिस ड्यूटी
  2. फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट में होनेवाली कुछ कॉमन गलतिया
  3. 6 कॉमन गलतिया अक्सर एक आई ओ सीन ऑफ़ क्राइम पे करता है
  4. क्राइम सीन पे सबसे पहले करनेवाले काम एक पुलिस ऑफिसर के द्वारा
  5. बीट और बीट पेट्रोलिंग क्या होता है ?एक बीट पट्रोलर का ड्यूटी
  6. पुलिस नाकाबंदी या रेड् क्या होता है ?नाकाबंदी और रेड के समय ध्यान में रखनेवाली बाते 
  7. निगरानी और शाडोविंग क्या होता है ? किसी के ऊपर निगरानी कब रखी जाती है ?
  8. अपराधिक सूचना कलेक्ट करने का स्त्रोत और सूचना कलेक्ट करने का तरीका
  9. चुनाव के दौरान पुलिस का कर्तव्य
  10. थाना इंचार्ज के चुनाव ड्यूटी सम्बंधित चेक लिस्ट

17 January 2022

फायरिंग रेंज पे सुरक्षित फायरिंग करने के लिए भी कुछ उसूल है

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने इंसास राइफल तथा AK-203 के बारे में जानकारी प्राप्त की और अब इस नई पोस्ट में हम फायरिंग रेंज पे सुरक्षित फायरिंग करने के लिए भी कुछ उसूल है उनके बारे में हम जानेगे !

जैसे की हम देखते है कभी एनुअल फायरिंग तो कभी डेमो फायरिंग के लिए हम बहुत बार फायरिंग रेंज पे फायरिंग के लिए जाते रहते है कभी हमे उचित समय मिलता है और पूरी तैयारी के साथ जाते है तो कभी बहुत ही कम समय मिलता है और उसी कम समय में तैयारी कर के फायरिंग के लिए जाता है ! और जैसे की हम जानते है की फायरिंग रेंज पे हम लाइव राउंड को फायर करते है और वह कोई एक्सीडेंट हो जाये तो जिंदगी और मौत के सामान होता है इसलिए फायरिंग रेंज पर हमेश ही उच्चतम दर्जे का अनुशाशन होना चाहिए ! ऐसे तो अनुशासन हर क्षेत्र में होनी चाहिए लेकिंग फायरिंग रेंज जहा की हम लाइव राउंड से फायर करते है इसलिए अनुशासन की काफी जरुरत होती है फायरिंग रेंज के ऊपर !

Firing Range ke Usul
Firing Range ke Usul 
1. फायरिंग रेंज के फायर का उद्देश्य( FIRING RANGE TRAINING MOTTO: 

फायरिंग रेंज की फायरिंग हम इसलिए करते है की हम अपने आप को रियल लाइफ ऑपरेशन के लिए तैयार रखे इस लिए हमे फायरिंग रेंज की फायरिंग को निम्न उद्देश्य से करनी चाहिए  :

  • वास्तविक ऑपरेशन  के दौरान उपयोगिता को ध्यान में रख करे फायरिंग करे !
  • वास्तविक ऑपरेशन और फायरिंग रेंज ट्रेनिंग को जितना क्लोज la सकते है लेन की कोसिस करे !
  • फायरिंग रेंज की दर्द और कठिनाइया छडिक है लेकिंग इसकी उपयोगिता पूरी सर्विस के दौरान रहती है इसीलिए छडिक दर्द से भागे न बल्कि सीखे !
2. फायर आर्म सेफ्टी रूल्स(FIRE ARM SAFETY RULES ): फायर आर्म्स सेफ्टी रूल कुछ  इस प्रकार से है जिन्हें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए और फायरिंग रेंज पे तो इसे और ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए :

  • फायर आर्म डिसिप्लिन(Fire arm discipline) : हमेशा सभी हथियार को लोडेड समझे (All guns are always loaded)
  • मजल डिसिप्लिन(Muzzle discipline): किसी भी हथियार के मजल किसी के ऊपर पॉइंट ना करे या  को कभी भी किशा दिशा में पॉइंट ना करे जब तक की आपको उसे शूट करके बर्बाद न करना हो(Never point your muzzle towards any one, any thing or in any direction if you do not want to destroy or shoot.) !
  • ट्रिगर डिसिप्लिन:अपने अंगुली को ट्रिगर से बहार रखे जब तक की टारगेट को बर्बाद करने का हुकुम न मिल गया हो (Keep your finger off the trigger on the frame until your muzzle is on the Target.)
  • टारगेट डिसिप्लिन: अपने टारगेट और उसके के बारे निश्चित हो ले (Be sure of your target and what is in front and behind it.)

3. रेंज रूल्स( FIRING RANGE RULES)

  • फायर आर्म्स  के साथ कभी भी छेड़ छड नहीं करना चाहिए अगर फायरिंग फिपर तैयारी चल रही हो तो(Never handle a fire arm if some present down range.)
  • फायरिंग रेंज पर आर्म्स का हैंडलिंग तब तक नहीं करनी चाहिए जब तक की उसके लिए बोला न जाए ! (Never handle a fire arm until instructed to do so.)

4. फायर अनुशासन से सम्बंधित चेतावनी(CAUTION):फायरिंग रेंज या ट्रेनिंग के दौरान बताई गई चेतानियो पर अगर ध्यान नहीं देने से यह पूरी तरह से संभव है की उसी गलतिय को वास्तविक ऑपरेशन में भी अनुसरण होगा और जहा की किखुद की और अपने साथियो के जान माल की भरी कीमत भी चुकानी पद सकती है ! इस लिए यह बहुत जरुरी है की ट्रेनिंग और फायरिंग रेंज पे जितनी भी निर्देश या ड्रिल बताई जाती है उसी को पूरी तन्मयता से पालन करना चाहिए !

5. स्वास्थ सम्बंधित हिदायते(HEALTH WARNING): फायरिंग रेंज पर फायर के दौरान बहुत ही मात्र में लीड बतारावरण में सामिल होता है जिससे कैंसर होने का खतरा रहता है  इसीलिए फायरिंग के बाद अपने हाथ को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए !


6. फायरिंग के दौरान की डिसिप्लिन (FIRE DISCIPLINE) :

  •  सावधानी  और फोकस के साथ फायरिंग पे ध्यान देना चाहिए (Attention and focus of mind and body in the class.)
  • उच्चतम क्लास की सिंसेरिटी रखनी ची फायरिंग करते वक्त (Maximum sincerity as if you are in live fire.)
  • हमेशा फायरिंग के ऊपर फिर्निंग केलिए बताये गए ड्रेस पहने (Always proper uniforms)
  • फायरिंग के दौरान इधर उधर नहीं देखना चाहिए (No talking, looking and searching away.)
  • कोऑर्डिनेटेड फॉर्म में एक्कटरना चाहिए( Begin slowly and work on coordination first.)
  • अभ्यास के साथ स्पीड अपने आप आ जायेगा !
  • रेंज पे मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए(No cell phone.) !
  • कोई शक हो तो उस्ताद से ही पूछे (Ask questions to the trainer only.)
  • खुद ट्रेनर बनने  का कोशिस न करे (Do not try to play the role of trainer.)
  • फायरिंग के तरतीब को कभी ना तोड़े जब तक की उसके लिए परमिशन न मिल गया हो (Do not break the formation without permission of the trainer.)!

इसके साथ ही फायरिंग रेंज के सुरक्षात्मक करवाई  से सम्बंधित ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुई ! उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी !इस ब्लॉग को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे!

इसे भी  पढ़े :
  1. भारतीय पुलिस ड्रिल ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाले परेड कमांड का हिंदी -इंग्लिश रूपांतरण
  2. ड्रिल में अच्छी पॉवर ऑफ़ कमांड कैसे दे सकते है
  3. ड्रिल का इतिहास और सावधान पोजीशन में देखनेवाली बाते
  4. VIP गार्ड ऑफ़ ऑनर के नफरी और बनावट
  5. विश्राम और आराम से इसमें देखने वाली बाते !
  6. सावधान पोजीशन से दाहिने, बाएं और पीछे मुड की करवाई
  7. आधा दाहिने मुड , आधा बाएं मुड की करवाई और उसमे देखने वाली बाते !
  8. 4 स्टेप्स में तेज चल और थम की करवाई
  9. फूट ड्रिल -धीरे चल और थम
  10. खुली लाइन और निकट लाइन चल




सम्मन का प्रारूप और उसे तमिल करने के विधिया

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने  पुलिस रेक्रुइट्स के लिए सरकार गठन की परक्रिया के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त की और अब इस नै पोस्ट में हम सम्मन का प्रारूप और उसे तमिल करने के विधिया क्या है उसके बारे में जानकारी प्राप्त जरेंगे !

1. सम्मन   क्या है (what is Summon?): न्यायिक प्रक्रिया में साक्षी के रूप में शामिल होने के लिए न्यायालय द्वारा भेजे गए लिखित बुलावे को ही सम्मन  कहते हैं! सम्मन  अभिप्राय न्यायालय के द्वारा साक्षी को बुलाने के लिए दिए गए नोटिस से है !

2.कानूनी प्रावधान(What is law regarding issue of Summon?): सीआरपीसी की धारा 61 से लेकर 69  के बीच और धारा 244 में सम्मन  के बारे में बताया गया है! इस CrPc धाराओ  में बताया गया है की सम्मन को कैसे तामिल करना चाहिए !

3.सम्मन  का प्रारूप(Important points for summon):सम्मन का प्रारूप इस प्रकार से होता है :

  • सम्मन लिखित होता है। 
  • इस की दो प्रतियां होती है।
  •  दोनों प्रतियां असल होती है। 
  • न्यायालय की मुहर लगी  होती है। 
  • मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर होते हैं। 
4.समन की तामील कौन कर सकता है (Who can be asked to  implement  the summon?):सम्मन  को तमिल निम्न एजेंसियां कर सकती है:

  • पुलिस 
  • राज्य सरकार द्वारा निर्मित नियमानुसार संबंधित न्यायालय के किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा 
  • अन्य लोक सेवक द्वारा 
5.समन की तामील कैसे की जाएगी(How summon can be implemented?): समन की तामील करने की प्रक्रिया निम्न है 
  • संबंधित व्यक्ति को एक प्रति देकर। 
  • दूसरी प्रति पर संबंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर होना चाहिए 
  • हस्ताक्षरित प्रति  की रिपोर्ट सहित न्यायालय को वापस भेजना। 
6.सम्मन तामील की विधियां(Procedure for implementing summon): सम्मन तामील करने की विभिन्न विधियां इस प्रकार से है :
  • निगमित निकाय व सोसायटी पर तमिल  जो की CrPc की धारा  63  में बताया गया  उस के अनुसार होगी !
  • सम्मन किया गया व्यक्ति न मिलने पर तामील  की विधि CrPc की  धारा 64  बताया गया है !
  • जब धारा 63 व 64  के अनुसार तमिल न हो सके तो  तमिल की प्रक्रिया धारा 65 पर बताया गया है!
  • सरकारी लोकसेवक ऊपर सम्मन कैसे तामील की जाएगी उसके बारे में CrPc की धारा  66 में बताया गया है
  • स्थानीय सीमाओं से बाहर की तामील सीआरपीसी की धारा 67 में बताया गया है 
  • अगर तामिल किया गया व्यक्ति  न्यायालय में उपस्थित ना हो तो करवाई क्काया की जाएगी इसकी जानकारी  धारा 68 सीआरपीसी में बताया गया है 
  • साक्षी तथा डाक द्वारा तामिल करने की विधि  धारा 69 सीआरपीसी में बताया गया है 
7. सम्मन को  तमिल के समय ध्यान देने योग्य बातें(Points should be ensure while implementing summon) : सम्मन को तामिल करते समय निम्न बातो को ध्यान में रखना चाहिए :
  • सम्मन तामिल करने वाले  को देख लेना चाहिए की सम्मन बैध्य तो है !
  •  सम्मन की तामिल   समय से पहले होनी चाहिए। 
  • तामिल की गई सम्मन को  यथा समय न्यायालय में भेजें। 
  • जहां तक संभव हो उसी व्यक्ति को सम्मन देना चाहिए जिसके नाम से निकला है। 
  • सम्मन को ठीक से रिपोर्ट करे !
  • सम्मन  का लेखा-जोखा रिकॉर्ड ठीक रखें तथा मासिक लिस्ट तैयार रखना चाहिए ।
इस प्रकार से सम्मन के प्रारूप तथा सम्मन को तामिल करने  से  सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह  पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

इन्हें भी  पढ़े :

  1. पुलिस ड्यूटी
  2. फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट में होनेवाली कुछ कॉमन गलतिया
  3. 6 कॉमन गलतिया अक्सर एक आई ओ सीन ऑफ़ क्राइम पे करता है
  4. क्राइम सीन पे सबसे पहले करनेवाले काम एक पुलिस ऑफिसर के द्वारा
  5. बीट और बीट पेट्रोलिंग क्या होता है ?एक बीट पट्रोलर का ड्यूटी
  6. पुलिस नाकाबंदी या रेड् क्या होता है ?नाकाबंदी और रेड के समय ध्यान में रखनेवाली बाते 
  7. निगरानी और शाडोविंग क्या होता है ? किसी के ऊपर निगरानी कब रखी जाती है ?
  8. अपराधिक सूचना कलेक्ट करने का स्त्रोत और सूचना कलेक्ट करने का तरीका
  9. चुनाव के दौरान पुलिस का कर्तव्य
  10. थाना इंचार्ज के चुनाव ड्यूटी सम्बंधित चेक लिस्ट


15 January 2022

पुलिस रेक्रुइट्स के लिए केन्द्रीय और राज्य सरकार के गठन सम्बंधित जानकारी

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने महिला और बच्चो के प्रति होने वाले अपराध के विषय में जानकारी प्राप्त की और अब इस ब्लॉग पोस्ट में पुलिस कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग के दौरान दी जाने केन्द्रीय सरकार के गठन से सम्बंधित बेसिक जानकारी यहाँ दी जाएगी जो की एक बेसिक रिक्रूट ट्रेनीज के मालूम होना चाहिए !

Government formation
Government formation

1. इंट्रोडक्शन: भारत एक प्रजातांत्रिक गणराज है जिस की सरकार व्यवस्था संविधान के अनुसार संघीय प्रणाली है। भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक तथा एकात्मक है। संविधान के अनुसार लोगों के मताधिकार से निर्वाचित केंद्रीय और राज्य सरकारों की व्यवस्था की गई है। इसमें शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों में किया गया है जो निम्न है:

  • संघीय सूची(Union List) - इसमें राष्ट्रीय महत्व के मामले आते हैं। 
  • राज्य सूची(State List)- इसमें राज्य स्तरीय मामले आते हैं। 
  • समवर्ती सूची(Concurrent list)-  यह  संघ और राज्य  की साझी सूची है यदि केंद्र की प्रभुसत्ता है। 
भारतवर्ष में वर्तमान में 28 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश है :

जैसे ऊपर बताया गया है कि भारत एक संघीय राज है इस संघीय राज्य का जिसका राष्ट्रपति अध्यक्ष होता है।

2.राष्ट्रपति (President)

  • राष्ट्रपति का चुनाव(President Election) :राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों राज्य  विधानसभा और विधान परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति अपनी इच्छा अनुसार पद त्याग कर सकता है या इसे महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति की योग्यताएं(Eligibility for President) :
    • भारतीय नागरिक होना चाहिए। 
    • आयु 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
    •  संसद के किसी भी सदन का सदस्य ना हो। 
    • केंद्र सरकार के अधीन किसी भी लाभ के पद पर आसीन ना हो। 
    • वह दिवालिया वह पागल ना हो। 
  • राष्ट्रपति की शक्तियां (Power of President)
    • कार्यपालिका की शक्तियां। 
    • वैधानिक शक्तियां। 
    • न्याय  पालिका की शक्तियां।
    • वित्तीय शक्तियां। 
    • आपातकालीन शक्तियां। 
      • विदेशी मामला या देश के आंतरिक अशांति 
      • राज्यों में सरकारों का असफल होना 
      • वित्तीय संकट 
3. उपराष्ट्रपति(Vice President) :संविधान के अनुसार भारत में उपराष्ट्रपति का भी प्रावधान होता है जो स्थाई सदन यानी राज्यसभा का सभापति होता है। राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यताएं होती है! इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है!परन्तु  संसद को अवधी से पूर्व  भी से हटाने का अधिकार होता है या वह स्वयं भी पद से त्यागपत्र दे सकता है। राष्ट्रपति के पद छोड़ने लंबी   बीमारी पर निधन होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का कार्यभार संभालता है परंतु 6 महीने के अंदर राष्ट्रपति का चुनाव होना अनिवार्य है। 

4.सरकार के महत्वपूर्ण अंग(Organ of Government)

  • विधान पालिका 
  • कार्यपालिका 
  • न्यायपालिका। 
5.संसद:संविधान के अनुसार भारतीय संसद के दो सदन होते हैं। 

  • लोकसभा(Parliament):लोकसभा यह संसद का निम्न सदन होता है इसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य होते हैं इसमें संविधान के अनुसार 545 सदस्य होते हैं। जिन का चुनाव प्रत्यक्ष व गुप्त मतदान से होता है इसमें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए कुछ स्थान सुरक्षित रखे जाते हैं तथा 2 सदस्य एंग्लो इंडियन जाति का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें राष्ट्रपति मनोनीत करता है। प्रत्येक 25 वर्षीय भारतीय नागरिक लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो सकता है। लोकसभा के सदस्यों में से ही एक लोकसभा का अध्यक्ष चुना जाता है। 
  • राज्यसभा(Rajy Shabha): यह संसद का स्थाई सदन होता है!  उपराष्ट्रपति इस का पदेन अध्यक्ष होता है इसमें राज्य  विधान मंडलों द्वारा चुने हुए राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य होते हैं। जिनकी कुल संख्या 250 है जिसमें निर्वाचित 238 व मनोनीत 12 होते हैं! और 2 बर्केष  पश्चात एक तिहाई सदस्य पद मुक्त हो जाते हैं। इसका सदस्य होने के लिए 30 वर्ष की आयु होना अनिवार्य है। 
6.मंत्री परिषद(Council of Minister) 

राष्ट्रपति अपनी सहायता व सलाह के लिए संसद में प्राप्त बहुमत वाले दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जिस की सलाह से मंत्री परिषद का गठन किया जाता है जो लोकसभा के लिए उत्तरदाई होता है। प्रधानमंत्री मंत्री परिषद का अध्यक्ष होता है जिस की सलाह पर ही मंत्रिपरिषद का गठन होता है। मंत्रिपरिषद का विभिन्न बैठकों में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले कानून का रूप लेते हैं। जो सरकारी कामकाज का संचालन करते हैं जो संसद के प्रति उत्तरदाई होते हैं। सरकारी कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए अलग-अलग भागों में बांट दिया जाता है कुछ महत्वपूर्ण विभाग या मंत्रालय निम्न है। 

    • गृह मंत्रालय 
    • रक्षा मंत्रालय 
    • वित्त मंत्रालय 
    • विदेश मंत्रालय 
    • स्वास्थ्य मंत्रालय 
    • रेल मंत्रालय 
    • कृषि मंत्रालय 
    • उद्योग मंत्रालय 
    • खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय
    • विधि एवं न्याय मंत्रालय 
 7. राज्यों का प्रशासनिक ढांचा(Structure of state administration): भारतीय संविधान के अनुसार देश के शासन की जिम्मेदारी केंद्र व विभिन्न राज्यों की सरकारों में विभाजित की गई है। 
  • राज्यपाल(Governor): राज्य का संपूर्ण शासन राज्यपाल के नाम से चलाया जाता है !जो राज्य सरकार के मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है लेकिन राष्ट्रपति इसे जनहित में समय से पहले भी हटा सकता है। जब किसी राज्य की संविधान द्वारा स्थापित सरकार असफल हो जाती है तो राष्ट्रपति के आदेश अनुसार राज्यपाल राज्य की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से संभाल लेता है। 
  • राज्य मंत्रिमंडल का गठन(Council of minister of State Government) :राज्य में विधानसभा से प्राप्त बहुमत वाले दल के नेता को राज्यपाल मुख्यमंत्री नियुक्त करता है तथा उसकी सिफारिश सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है जो राज्य के शासन को सुचारू रूप से चलाता है। 
  • राज्य  विधान परिषद(: संविधान के अनुसार विधान परिषद के सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों की संख्या का एक तिहाई होता है। इन का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है तथा कुछ सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करता है। इसके एक तिहाई सदस्य हर  2 बर्ष स बाद रिटायर हो जाते हैं ! इसका पूरा कार्यकाल 6 साल का होता है। 
8.केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासनिक ढांचा(Administrative structure of Union Teritorry)  :केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की सीधी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है। मंत्रिमंडल की सिफारिश पर प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्रपति  उप राज्यपाल या एडमिनिस्कीट्रेटर को  नियुक्ति करता है जो राज्यों की तरह प्रशासनिक कार्यों का चलाता है। 
9.स्थानीय स्वशासन संस्थाएं 
  • नगर निगम: कोलकाता मद्रास मुंबई जैसे बड़े बड़े नगरों में स्थानीय शासन की इकाई को निगम कहते हैं इनकी स्थापना राज्य सरकार के एक विशेष कानून के द्वारा की जाती है जिसके लिए निगम बनाना होता है उसके लिए राज्य विधानमंडल एक कानून पास करता है जिसमें इसके निर्माण एवं कार्य का उल्लेख होता है। निगम तीन प्रकार के सदस्य होते हैं:
    •  मेयर 
    • एल्डरमैन 
    • पार्षद 
  • पार्षद  का चुनाव : पार्षद का चुनाव  नगर की जनता द्वारा होता है। पार्षद एल्डरमैन का चुनाव करते हैं तथा पार्षद एवं एल्डरमैन मिलकर मेयर के चुनाव करते हैं। मेयर निगम का सभापति होता है! निगम का कार्यकाल साधारण तक 5 बरस का होता है। 
  • कार्य 
    • नगर की सफाई 
    • पानी की आपूर्ति का 
    • सड़कों की मरम्मत 
    • बिजली का प्रबंधन 
    • इमारतो के मैप अनुमोदन 
    • शिक्षा का प्रबंधन 
    • स्वास्थ्य सेवाए 
  • नगर पालिका: नगर पालिका नगर के स्थानीय मामलों का  प्रबंधन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्थापित की जाती है। इन सदस्यों का चुनाव नगर निवासियों द्वारा होता है। सदस्य अपने में से एक प्रधान चुनते हैं! नगरपालिका का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है परंतु इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। इसके कार्यों को चार भागों में बांटा जा सकता है :
    • सार्वजनिक सुरक्षा /रखवाली 
    • सार्वजनिक स्वस्थ 
    • सार्वजनिक सुविधाएं 
    • सार्वजनिक शिक्षा। 
  • छावनी बोर्ड :छावनी में सार्वजनिक प्रबंधन के लिए यह बोर्ड होते हैं इनका कार्य नगरपालिका से मिलता-जुलता है। 
पुलिस के दूसरे विभागों से आपसी संबंध 
  • न्यायपालिका :भारतीय प्रशासन प्रणाली के अंतर्गत जिला मजिस्ट्रेट मजिस्ट्री का प्रमुख है और पुलिस अधीक्षक जिला पुलिस का अध्यक्ष होता है। अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता दोनों द्वारा जिला मजिस्ट्रेट का पुलिस पर नियंत्रण की शक्तियां प्रदान की गई है। पुलिस एक्ट की धारा 4 के अनुसार कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस व न्यायपालिका में मधुर संबंध महत्वपूर्ण है!
  •  राजस्व विभाग: यह विभाग जिला कलेक्टर के अधीन होता है जिला मजिस्ट्रेट जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक के बीच अच्छा तालमेल सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से चलाते हैं जो कि एक दूसरे के कार्य में परस्पर सहयोग करते हैं। 
  • स्वास्थ्य विभाग: बहूत से पुलिस के कार्य चिकित्सा विभाग से संबंधित होते हैं जैसे घायलों का परीक्षण व स्वास्थ्य जांच आदि इनके आपसी संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। समय-समय पर पुलिस भी आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य विभाग की सहायता करती है। 
  • सार्वजनिक निर्माण विभाग :सार्वजनिक निर्माण विभाग प्रमुख कार्य भवन निर्माण व मरम्मत करना है पुलिस विभागों की इमारतों का निर्माण व रखरखाव बी पी डब्लू डी करती है। यदि पुलिस विभाग के अधिकारी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से निरंतर रखेंगे और निर्माणाधीन इमारत की साइट पर जाकर आपस में मिलकर बातचीत करेंगे तो अच्छी इमारत बनेगी ! यदि पुलिस विभाग किसी अन्य स्थान पर किसी प्रकार की असुविधा का अनुभव करता है तो उसे पीडब्ल्यूडी से मिलकर दूर कराया जा सकता है!
  • सीमा शुल्क विभाग :इस विभाग से निरंतर संपर्क से विशेष रूप से नारकोटिक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण मदद मिलती है! केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग क्षेत्र के अपराध व अपराधियों का रिकॉर्ड रखता है। इस प्रकार पुलिस की मदद कर सकते हैं !
  • रेल विभाग: यदयपि रेलों  में पुलिस की व्यवस्था करना सरकारी रेल पुलिस की सीधी है  जिम्मेवारी है। फिर भी जिला पुलिस रेलवे की सहायता के लिए आती है। त्योहारों मेलो आदि पर भीड़ पर नियंत्रण के लिए साथ दोनों विभागों के बीच अच्छे संबंध जरूरी है। कभी-कभी बिना टिकट चेकिंग ड्राइव में भी पुलिस सहायता करती है। उधर जब कभी समय कम समय में पुलिस को कहीं जाना पड़ता है तो रेलवे विभाग उन्हें सीट देकर पुलिस की मदद करता है।
इस प्रकार से केन्द्रीय और राज्य सरकार के गठन तथा काम  से  सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह  पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

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