#Metoo मूवमेंट आज कल जोरो पे है पिछले दो सप्ताह से यह देखा गया आये दिन किसी न किसी नए सेलेब्रेटी का नाम इस #MeToo के लिस्ट में जुड़ रहा है ! और तरह तरह के चुटकुले सोसिअल मीडिया और व्हात्सप्प ग्रुप में चल रहे है ! लेकिन इस मूवमेंट का सबसे ज्यादा अगर किसी सरकारी महकमा के ऊपर असर डालने वाला है वो है पुलिस डिपार्टमेंट!
#Metoo |
और आम जनता तथा मीडिया ये प्रचारित करने लगेगी की पुलिस कंप्लेंन होने के बाद भी पुलिस ये करवाई नहीं कर रही है तो पुलिस ओ करवाई नहीं कर रही है और हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है!
ज्यादातर मीडिया रिपोर्टर बिना टाई के वकील बनेगे और जो पुलिस की पहले से धूमिल छवि है उसे और धूमिल करेगे और पुलिस कितना भी अपनी सफाई दे लोग उनके सफाई के ऊपर उतना विश्वास नहीं करेंगे !
इसलिए मै यह जानने की कोसिस किया की अगर आरोपकर्ता पुलिस कोम्प्लेंन करता है तो पुलिस क्या कर सकती है ! इसको जानने केलिए मैंने बहुत से ख्याति प्राप्त वकीलों का पोस्ट पढ़ा और जानकर लोगो का इंटरव्यू देखा और समझने के कोसिस किया की अगर पुलिस कंप्लेंन होने पर क्या होगा !
# Metoo कोम्पैन वाले जो विक्टिम है अगर पुलिस कंप्लेंन करते है तो उनके FIR जो साधारणतः IPC सेक्शन लगेगा वह निम्न हो सकता है :
- IPC सेक्शन 354-
- IPC सेक्शन 354A
- IPC सेक्शन 354B
- IPC सेक्शन 354C
- IPC सेक्शन 354D
- और IPC सेक्शन 509
यहा यह बताना बेहद जरुरी है की IPC सेक्शन 354 के साथ 354A,354B,354C,354D को 2013 में सामिल किया गया इसलिए जोभी गुनाह अगर सन 2013 से पहले हुवा है उसका केस IPC की धरा 354A, B,C,और D के अंतर्गत फाइल नहीं किया जा सकता और केवल IPC की धरा 354 के अंतर्गत ही फाइल किया जा सकता है !
इस विषय में एक विस्तृत पोस्ट सोसिअल साईट Quora पर सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील श्री अशोक धमीजा जी ने लिखा है जो बहुत ही सरल भाषा में समझा दिए है की क्या होसकता है !
रही बात IPC सेक्शन 354 का तो सन 2013 से पहले इस सेक्शन के अंतर्गत अधिकतम सजा की जो अवधि थी वह 2 साल की थी जिसे सन 2013 में तीन साल कर दिया गया ! तो सन 2013 से पहले इस सेक्शन की अधिकतम सजा 2 साल थी इसलिए समानतः 3 साल के अन्दर कंप्लेंन फाइल होना चाहिए नहीं तो बिना कोर्ट के परमिशन इंसिडेंट के 3 साल के बाद इस सेक्शन अंतर्गत केस नहीं चलाया जा सकता है !
कोर्ट के पास अधिकार है की वह स्पेशल परिस्थिति में अनुमति दे सकता है 3 साल के बाद केस चलाने के लिए लेकिन उसके लिए कोर्ट को तथ्य के साथ सहमत कराना पड़ेगा अगर कोर्ट प्रस्तुत किये गए कारण और तथ्यों को नहीं माना तो केस नहीं चल सकता है !
कोर्ट के पास अधिकार है की वह स्पेशल परिस्थिति में अनुमति दे सकता है 3 साल के बाद केस चलाने के लिए लेकिन उसके लिए कोर्ट को तथ्य के साथ सहमत कराना पड़ेगा अगर कोर्ट प्रस्तुत किये गए कारण और तथ्यों को नहीं माना तो केस नहीं चल सकता है !
यही बात IPC सेक्शन 509 पे लागु होता है सन 2013 से पहले इस सेक्शन के अंतर्गत भी अधिकतम सजा 1 साल का था जिसे सन 2013 में बढ़ा कर 3 साल कर दिया गया !और इस सेक्शन के अंतर्गत केस रजिस्टर करने का समय गुनाह होने के 1 साल के अन्दर था ! इस केस में भी कोर्ट चाहे तो तथ्यों को ध्यान में रखते हुए केस फाइल करने का सीमा को बढ़ा सकता है और केस फाइल कर केस चलाने को बोल सकता है !
अभी तक जितना भी #Metoo के आरोप आये है ओ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2013 से पहले के है तो अगर ये लोग पुलिस के पास अपना फरियाद लिखाते है तो पुलिस तो मना नहीं कर सकती है लेकिन ये अब पुलिस से ज्यादा फरियादी के ऊपर निर्भर करता है की ओ कोर्ट को कैसे राजी कर पाते है अपने तथ्य और साबुत से की कोर्ट यह मान ले और लेप्स पीरियड को कंडोंनेशन (Condonation of delay period) कर दे अगर कोर्ट नहीं माना तो पहले स्टेज में ही केस को ख़ारिज कर देगा !
पुलिस डिपार्टमेंट के ऊपर असर (Police Department ke upar #Metoo ka asar)
किसी भी तरह के महिला उत्पीडन गलत है वह चाहे कार्यस्थल पे हो या घर पे इसका जितना भी घोर निंदा किया जाय काम है इसमें गुनाहगार को सख्त से सख्त सजा मिलिनी ही चाहिए लेकिन ऊपर बताई गई सारी बाते रही क़ानूनी बैधता की बात है !अब इन सब केसों के कारण पुलिस डिपार्टमेंट के ऊपर क्या असर पड़ेगा!
जैसे की हम पहले से जानते है की भारतीय पुलिस बहुत ही ओवर स्ट्रेच है बिभिन्न तरह की डियूटीज के कारण अभी ही ही औसतन एक पुलिस जवान दिन में करीबन 14 से 16 घंटा ड्यूटी करता है !
अभी तक केवल एक केस फाइल हुवा है जिसमें एक FIR रजिस्टर और स्टेटमेंट लेने में करने में चार घंटा लग गया जिसमे जिसमे उच्च अधिकारी से लेकर कांस्टेबल तक सभी व्यस्त रहे ! और लोग भी आगे आते है और केस रजिस्टर करते है तो इसी के अनुसार ही समय लगेगा क्यों की एलिगेसन कभी पुराने इंसिडेंट के ऊपर है जिसका साबुत मिलने में बहुत कठिन होगा !
ये ज्यादातर केस में बोलीवूड के लोगो के बिच का है और बोलीवूड आलरेडी डिवाइड होगया है तो यह पता नहीं की जो बॉलीवुड के लोग मौके बारदात पे मौजूद थे ओ किस खेमे के साथ है और ओ गवाही में किसका सपोर्ट करेंगे ! क्यों की अभी तक बॉलीवुड का रिकॉर्ड इस मामले में बहुत अच्छा नहीं रहा है ये लोग हल्ला बहुत मचाते है लेकिन कोर्ट कचहरी से दूर रहते है !
अब ये हाई प्रोफाइल केस है और रजिस्टर होने के दिन से पुलिस का मीडिया ट्रायल शुरू हो जायेगा की पुलिस ये नहीं कर रही, पुलिस ओ नहीं कर रही लेकिन जो पुलिस कर रही है उसके बारे में मीडिया कुछ नहीं बताएगी और इसके कारण पुलिस के ऊपर बहुत दबाव आएगा और जो पुलिस अभी अपने काम के बोझ तले दबी हुई है किसी अहम् केस को छोड़ के इन केसों के ऊपर ज्यादा समय देना पड़ेगा !
और अगर पुलिस की यह केस पहले दिन ही कोर्ट से ख़ारिज होगया तो मीडिया आरोपकर्ता को जिमेवार नहीं ठहरायेगी की वो लोग इतने दिनों तक क्यों चुप रहे बल्कि पुलिस के ऊपर मालवा आ कर गिरेगा की पुलिस केस को अच्छी तरह से विवेचना नहीं की इसलिए केस गिर गया कोर्ट में !
यहाँ तक तो एपिसोड का पहला भाग है पुलिस का काम यही ख़त्म नहीं होगा अगर पुलिस केस कोर्ट में गिर गया तो आरोपी वर्ग काउंटर केस आत्मसम्मान(defamation) को ठेस पहुचने का केस करेगा फिर पुलिस वाले एक केस से निकलेगे दुसरे में सुरु हो जायेगे और मीडिया ट्रायल जारी रहेगा ! और दोनों अपना अपना काम करेंगे यानि पुलिस अपनी काम करेगी और मीडिया अपनी !
All the best to both party media and police!
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