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15 September 2018

टेररिस्ट सुसाइड अटैक करने पर कब उतारू हो जाते है ?

पिछले पोस्ट में हमने सुसाइड अटैक के खतरे और उससे बचाव के तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त किये ! अब इस पोस्ट में हम जानेगे की आतंकवादी सुसाइड अटैक (Terrorist suicide attack kab karte hai)  करने पे कब उतारू हो जाते है !


जैसे की हम जानते है फिदायीन आरबी भाषा फ़िदा शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है न्योछौवर होना , मर मिटना है ! ऐसे नुमैदे  जिन्दगी की परवाह किये बैगर अपना मिशन पूरा करने के लिए निकल पड़ते है उसे फिदायीन कहलाते है जिसे अंग्रेजी में सुसाइडल बॉम्बर कहते है  !
जरुर पढ़े:सेक्शन फार्मेशन एंड प्लाटून फार्मेशन के फायदे और नुकशान
यह कोई धार्मिक विश्लेषण नहीं है बल्कि एक सुरक्षा बालो के ड्यूटी और ट्रेनिंग के पॉइंट व्यू से तैयार किया हुवा आसानी से समझ ने वाला परिभाषा है !


वर्तमान समय का सबसे  पहला सुसाइड अटैक आर्म्ड फ़ोर्स के ऊपर हुवा था वह अक्टूबर 1993 बेरूत में अमेरिकन और फ्रेंच मिलिट्री के बैरक्स के ऊपर हुवा था जिसमे करीब 300 जवान मारे गए थे !

उसके बाद से अब तक 1000 से ज्यादा सुसाइड अटैक की घटनाये अभी तक हो चूका है  ! ये सुसाइड अटैक की ज्यादातर हमले दुनिया के 9 देशो के अन्दर ही हुवा है और वो देश है : लेबनान , श्रीलंका , इजराइल , टर्की , भारत (कश्मीर) रूस(चेचन), अफगानिस्तान , इराक , और पाकिस्तान !


इस पोस्ट में हम जानेगे की क्या कारण होता है की आतंकवादी सुसाइड अटैक करने पे उतारू हो जाते है !

क्यों आतंकवादी सुसाइड अटैक करने पे उतारू हो जाते है ?


इस का एक कारण नहीं है बल्कि बहुत से ऐसे कारण है जिससे की आतंकवादी संगठन सुसाइड अटैक के बारे में सोचने लगते है और सुसाइड अटैक करने भी लगते है और उन कारणों में से कुछ निम्न है :
  1. जब आतंकवादी संगठनों में तुक्छ्ता और हीनता की भवन पैदा होने लगती हो !
  2. जब आतंकवादी संगठन के तबाह और बर्बाद होने की मानसिकता पैदा होने लगती हो 
  3. जब आतंकवादी संगठन की कार्यवाई में रूकावटे पैदा होने लगती हो 
  4. जब जनता की हमदर्दी/सहयोग खो देने का भय पैदा होने लगता हो !
  5. जब उन्हें लगता है की उनकी बातो पर कोई उनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देता है !
  6. मौत ही उनकी अपनी शक्ति दिखने का जरिया दिखाई देने लगती हो !
  7. जब आतंकवादी सगठन अपने सदस्यों को मनोबैज्ञानिक खतरों से बचने के लिए आगाह करने लगते हो !
  8. आतंकवाद में आत्मघाती कार्यवाहिय करना उस आतंकवादी संगठन के निराश और हताश होने को जाहिर करता है !

यानि सक्षेप में कहा जाए तो एक आतंकवादी सगठन खुद आतकवादी तरीको को अपनाने से परहेज करता है क्यों की ऐसा करने से उस संगठन कमजोर होने लगता है और उसके बाद फिर कोई दूसरा तरीका उसको अपने उद्देश्य प्राप्ति के लिए नहीं बचता है !

यह सच नहीं है की कोई भी आतंकवादी संगठन सिर्फ प्रसिद्धि हासिल करने या राजनैतिक नाम जुटाने  के लिए  आत्मघाती हमला करता है! सच तो यह है की जब उसे अपने उद्देश्य को प्राप्त करना असंभव लगने लगता है और जब वो बहुत ही हताश हो जाता है तो आखरी दाव की तरह आत्मघाती हमले प्रयोग में लता है !

आत्मघाती हमला करना कोई आसन काम नहीं , यह आतंकवादी संगठन को बहुत ही घटक सिद्ध होता है और संगठन में उथल पुथल पैदा कर उसे चरमरा देता है !
जब आत्मघाती हमले होने लगे तो ये समझना चाहिए की आब आतंकवादी पूरी तरह से निराश और हताश हो चुके है ! इसलिए आत्मघाती हमले का डट कर मुकाबला करना चाहिए ताकि उनका सब आत्मघाती हमले असफ हो जाये ! फलस्वरूप आतंकवाद समाप्ति की ओर बढ़ने लगेगा !

ये कुछ कुछ कारण है जिसके कारण आतंकवादी सुसाइड अटैक करते है !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !
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