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29 July 2018

सिल्वा कंपास को सेट करने का तरीका क्या होता है ?

पिछले पोस्ट में हमने सिल्वा कंपास क्या होता है और उसके हिस्से पुरजो के नाम के(Silva compass ke hisse purje)  बारे में जानकारी प्राप्त की और अब इस पोस्ट में हम ये जानेगे की सिल्वा कंपास का इस्तेमाल(silva Compass ka use) क्या होता है और उसे सेट कैसे किया जाता है !


जैसे की हम जानते है की काफी समय से सशस्त्र फाॅर्स के जवान जब एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाने के लिए मैप रीडिंग के अभ्यासों के लिए सर्विस प्रिस्माटिक कंपास(Service Prismatic Compass) इस्तेमाल होता है लेकिन आज के आधुनिक युग के स्वीडन कंपनी ने सशस्त्र सेना के जवानों के जरुरत को ध्यान में रखते हुए हल्का व आधुनिक सिल्वा कंपास मॉडल -54 बनाया !
जरुर पढ़े:नाईट मार्च में नेविगेशन पार्टी का काम और सामान

इस पोस्ट को पढने के बाद आप निम्न बाते सिल्वा कंपास के बारे में जान  पाएंगे :
1.सिल्वा कंपास का इस्तेमाल क्या होता है ?(Silva compass ka use kya hota hai)
2.सिल्वा कंपास को सेट कैसे किया जाता है ?(Silva compass ke set kaise karte hai )
3. सिल्वा कंपास से मार्च कैसे करते है?(Silva compass se march kaise karte hai)
4. सिल्वा कंपास से अपनी  पोजीशन मैप के ऊपर कैसे फाइंड करते है ?(Silva compass se own position maip pe kaise find karte hai )
5. सिल्वा कंपास के फायदे क्या क्या है ?(Silva compass ke fayde kya kya hai?)
6. सिल्वा कंपास में कमिया क्या क्या है ? (Silva compass me kamiya kya kya hai?)

जरुर पढ़े:नाईट मार्च चार्ट कैसे बनाते है और उसकी तैयारिया

1.सिल्वा कंपास का इस्तेमाल क्या होता है ?(Silva compass ka use kya hota hai):सिल्वा कंपास का इस्तेमाल निम्न कामो के लिए होता है :
(a) जमीनी निशान की डिग्री पढना(Silva compass se jameeni nishan padhna) : सिल्वा कंपास से हम जमीनी निशान की डिग्री इस प्रकार से पढ़ सकते है :
  • जिसकी मास्टर आँख दाहिनी है ओ कंपास को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकडे की बेस पलट पूरी दाहिने हो !
  • और जिसकी मास्टर आँख बाई है ओ बाए हाथ में इस प्रकार से पकडे की बेस प्लेट पूरी बाये हो 
  • उसके बाद कंपास हाउसिंग को इतना दाहिने या बाए घुमाये की कंपास हाउसिंग पर लिख (E) अपनी तरफ आ जाये !
  • अब बेस प्लेट /कंपास को जमीन के सामानांतर रखते हुए जिस जमीनी निशान की डिग्री पढनी हो उसकी तरफ मुह करके खड़े हो जाये ताकि डायल घूम कर अपनी जगह पर रुक जाये !
  • कंपास को मास्टर आँख के नजदीक लाये !और दूसरी आँख को बंद कर मास्टर आँख से लेंस के द्वारा देखे साईंटिंग लाइन (काली खाड़ी लाइन ) दिखाई देंगी !
  • साईंटिंग लाइन को निशान से मिलाये! साईंटिंग लाइन के सामने डिग्रिया आयेंगे (जो घडी के सुलटे रूख में बढ़ रहे होंगे )जो निचे खड़े अक्षरों में उस निशान का फॉरवर्ड बेअरिंग व ऊपर छोटे अक्षरों में उस निशान का बैक बेअरिंग होगा !

(b) मैप पर एक निशान से दुसरे निशान की डिग्री पढना(Silva compass se ek nishan se dusre nishan ki bearing padhna) :सिल्वा कंपास से एक निशान से दुसरे निशान की बेअरिंग इस प्रकार से पढ़ते है :
  • मैप पर जिन निशानों की बेअरिंग पढनी है उन्हें स्केल के द्वारा एक सीधी लाइन से मिलाये !
  • फिर कंपास को मैप के ऊपर इस प्रकार रखे की एड लाइन खिंची गई लाइन के ऊपर व बेस प्लेट आगे की तरफ हो 
  • अब बेस पलट को बिना हिलाए कंपास हाउसिंग को इतना दाये या बाए करे की कंपास हाउसिंग पर लिखा (N) मैप के शीर्ष की तरफ आ जाये !
  • यकीन करे की कंपास हाउसिंग की नार्थ - साउथ (लाल व काली  ) लाइन मैप की इस्टिंग लाइन्स के सामानांतर हो 
  • अभी इंडेक्स लाइन पर जितनी  डिग्री का निशान है वही उस निशान का फॉरवर्ड बेअरिंग है !
2.सिल्वा कंपास को सेट कैसे किया जाता है ?(Silva compass ke set kaise karte hai ):सिल्वा कंपास को सेट करना बहुत ही आसन है ! इसके कंपास हाउसिंग पर ग्रेडयुल स्केल कटी हुई है ! जिस पर N, S, E, W लैटर लिखे है ! जो नार्थ साउथ , ईस्ट और वेस्ट को दर्शाते है !बाकी डिग्रिया 20-20 डिग्री के अंतर से लिखी रहती है ! 

20 के बिच में 10 डिग्री को जाहिर करने के लिए थोड़ी बड़ी लाइन व एक कटव से दूसरी कटाव 2 डिग्री को जाहिर करता है !दी गई डिग्री का निशान इंडेक्स लाइन पर लाये ! अभी कंपास दी गई डिग्री पर पूरी तरह से सेट है !

3. सिल्वा कंपास से मार्च कैसे करते है?(Silva compass se march kaise karte hai):सिल्वा कंपास से मार्च इस प्रकार से करते है :
  • ऊपर बताये तरीके से कंपास सेट करने के बाद कंपास को हथेली पर जमीन के सम्नानातर रखे !
  • हथेली पर रखने के बाद इतना दाये व  बाए घुमे की कार्ड पर लिखा (N) कंपास हाउसिंग में बने नार्थ एरो के ठीक ऊपर आ जाये !
  • अब बेस प्लेट पर बना ट्रेवलिंग एरो जिधर इशारा करे उधर ही मार्च करे !
  • ध्यान रखे की मार्च करते समय दोनों एरो ऊपर निचे न हो !
4. सिल्वा कंपास से अपनी  पोजीशन मैप के ऊपर कैसे फाइंड करते है ?(Silva compass se own position maip pe kaise find karte hai ):सिल्वा कंपास के मदद से मैप के ऊपर अपनी जगह ऐसे मालूम करते है :
  • पहले दो या तीन ऐसे निशान चुने जो मैप व जमीन दोनों पर हो !
  • कंपास से जमीनी निशानों डिग्री पढ़े ! यह मैग्नेटिक बेअरिंग होगा !
  • उस मैग्नेटिक बेअरिंग को मैप पर दी गई सुचना के आधार  पर ग्रिड बेअरिंग में बदले !
  • उस प्राप्त ग्रिड बेअरिंग को बैक  बेअरिंग में बदली करे 
  • और सिल्वा कंपास को उस बैक  बेअरिंग पर सेट करे !
  • अब एड लाइन को मैप पर उस निशान के कन्वेंशनल साईंन  पर रखते हुए कंपास को इतना दाहिने बाए घुमाये की कंपास हाउसिंग के बाटम पर बनी नार्थ साउथ लाइन्स मैप की इस्टिंग लाइन्स के समानान्तर आ जाये !
  • कंपास को हटाये तथा कन्वेंशनल साईंन को एक सीधी रेखा से मिलाये !
  • दुसरे निशान  से भी येही करवाई करे !
  • इस प्रकार दोनों रेखाए  आपस में जिस स्थान पर कटती है !
  • मैप पर उसी स्थान पर हमारी अपनी पोजीशन होगी !

5. सिल्वा कंपास के फायदे क्या क्या है ?(Silva compass ke fayde kya kya hai?):सिल्वा कंपास के फायदे इस प्रकार :
  • सिल्वा सिस्टम इस्तेमाल में आसन है !
  • बीटा लाइन इलुमिनेसन के साथ उपलब्ध है !
  • छोटे छोटे पुर्जे नहीं होने के कारण गुम व रिपेयरिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती है !
  • इस सर्विस प्रोटेक्टर के तरह इस्तेमाल कर सकते है और 10 सेमी  लम्बी लाइन खीच सकते है !
  • लिक्विड नहीं होने के कारण बबल नहीं बनता है !
  • मैग्निफाई ग्लास होने से मैप के छोटी छोटी डिटेल्स भी आसानी से देख सकते है !
  • बेस प्लेट पर चार रोमर बने होने के कारण इन स्केल के मैप पर काम करते समय रोमर बनने की जरुरत नहीं पड़ती है !
  • बेस प्लेट पर रोमर बने होने की वजह से मैप पर 6 और 8 फिगर ग्रिड रिफरेन्स मालूम करना आसन हो जाता है !
  • लिक्विड मार्क -3 की बनस्पत अकुरेसी ज्यादा है !
  • यह हल्का है !

 6. सिल्वा कंपास में कमिया क्या क्या है ? (Silva compass me kamiya kya kya hai?): सिल्वा कंपास में निम्लिखित कमिया है :
  • प्लाटिक के बना होने के कारण टूटने के संभावना ज्यादा होता है !
  • बेस प्लेट बड़ा होने के कारण कैरी करना थोडा मुस्कील  होता है !
  • टूटने पर रिपेयर नहीं होसकता है !
  • हिफाजत से रखने की ज्यादा जरुरत पड़ती है !
इस प्रकार से  सिल्वा कंपास को सेट करने का तरीका और सिल्वा कंपास से अपनी पोजीशन ज्ञात करने से समबन्धित पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे  और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज  लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !

इन्हें  भी  पढ़े :
  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  6. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  7. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

28 July 2018

सिल्वा कंपास क्या होता है और उसके पार्ट्स के नाम और काम ?

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने फील्ड स्केच के बारे  में जानकारी प्राप्त किया और इस पोस्ट में हम जानकारी सिल्वा कंपास मॉडल-54 (Silva Compass Model-54)के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !


जैसे की हम जानते है की काफी समय से सशस्त्र फाॅर्स के जवान जब एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाने के लिए मैप रीडिंग के अभ्यासों के लिए सर्विस प्रिस्माटिक कंपास(Service Prismatic Compass) इस्तेमाल होता है लेकिन आज के आधुनिक युग के स्वीडन कंपनी ने सशस्त्र सेना के जवानों के जरुरत को ध्यान में रखते हुए हल्का व आधुनिक सिल्वा कंपास मॉडल -54 बनाया !

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जरुर पढ़े:दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका


इस ब्लॉग पोस्ट को पढने के बाद इन विषयों के बारे में जान पायेगे :
Silva Compass model-54 ke parts ka name
Silva Compass model-54
1. सिल्वा कंपास मॉडल -54 क्या है ?(Silva Compass model-54 kya hai)
2. सिल्वा कंपास के हिस्से के नाम व काम क्या है ?(Silva compass ke hisse ke name aur uska kam)

1. सिल्वा कंपास मॉडल -54 क्या है ?(Silva Compass model-54 kya hai): यह आयातकर बेस प्लेट  पर सेट किया हुवा गोल डिबिया के आकर का प्लास्टिक से बना ऐसा यंत्र है जिसके सहायता से मैप और जमीन पर बेअरिंग पढ़ सकते है व बेअरिंग की लाइन खीच सकते है ! यह स्वीडन का बना हुवा है !

2. सिल्वा कंपास के हिस्से के नाम व काम क्या है ?(Silva compass ke hisse ke name aur uska kam): सिल्वा कंपास के हिस्सों  को हम  दो भाग में बाँट सकते है जो निम्न है ;

जरुर पढ़े:कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका


(a) बेस प्लेट(Base Plate) : कंपास इसके ऊपर सेट किया गया है ! डिग्रिय पढ़ते समय व मैप पर काम करते समय बेस प्लेट को जमीन के सामानांतर रखा जाता है ! बेस प्लेट प्लेट पर निम्न जानकारी होती है :

  • रोमर(Romar) : 1/25000, 1/50000, व 1/63360 की स्केल के रोमर बने होते है ! जिसकी सहायता से इन स्केल के मैपो पर 4,6,व 8 फिगर जी आर(G.R.) मालूम कर सकते है !
  • मैगनिफाई गिलास(Magnify Glass) : ये ट्रेवलिंग एरो के पीछे होता है , इसकी सहायता से मैप की छोटी डिटेल्स को आसानी से देख सकते है !
  • स्केल(Scale) : इसके एक साइड में 100 mm व दूसरी तरफ 2 इंच दुरी की स्केल बनी होती है !
  • ट्रेवलिंग एरो(Taveling arrow) : कंपास सेट करने के बाद ट्रेवलिंग एरो जिधर इशारा करेगा उसी दिशा में मार्च करते है ! यह मैगनिफाई गिलास के ऊपर होता है !
  • सिल्कोन ग्रिप फिट(Silicon grip fit) : ये बेस प्लेट के निचे लगे हुए होते है ! ये कंपास को निचे के सतह पर स्लिप होने से बचाता है !
  • लुमिनस स्ट्रिप(Luminus strip) : ये ट्रेवलिंग एरो के आगे लगी होती है रात को मार्च करते समय चमकती है !
(b) कंपास हाउसिंग(Compass Housing) : कंपास हाउसिंग बेस प्लेट के ऊपर सेट किया हुवा है जो चारो तरफ घुमाया जा सकता है ! इसके ऊपर व निचे निम्नलिखित जानकारी दिया होता है :

  • ग्रेडयुसन स्केल(Gradution scale) : टरनेबल कंपास हाउसिंग के ऊपर  चार बड़ी दिशाए जो N, S, E, W लिखी हुई है ! जो 360, 180, 90 व 270 डिग्री  जाहिर करती है !बाकि 20-20 डिग्रियों के निशान व अंक लिखे होते है !10 की डिग्री जाहिर करने के लिए दोनों अंको के बिच एक लम्बी लाइन दर्शया गया होता है !एक बड़े अंक से लेकर एक बड़ी लाइन के बिच पांच भाग किये गए होते है !जो एक भाग दो डिग्री को दर्शाता है !इन्ही के सहायता से मैप पर डिग्रिया  पढ़ते है तथा एक स्थान से दुसरे स्थान तक मार्च करने के लिए डिग्री सेट करते है !
  • लेंस(Lense) : यह रोटेटिंग हाउसिंग के ऊपर कैप्सूल के साइड में होता है इसकी सहायता से ऑप्टिकल साईट सिस्टम से किसी भी जमीनी निशान की फॉरवर्ड और बेक बेअरिंग एक साथ पढ़ सकते है !
  • साईटिंग लाइन(Sighting line) : यह हाउसिंग के क्पसुल के साइड में तथा लेंस के सामने होती है ! इसकी सहायता से जमीनी निशानों की डिग्रिया  पढ़ी जाती है !
  • नार्थ -साउथ लाइन और नार्थ एरो (North South line and North arrow): यह कंपास हाउसिंग के निचे लाल और काले रंग की होती है इनके बिच में एक एरो होता है ! जिसका लाल रंग उतर और कला रंग दक्षिण को दर्शाता है ! मैप पर डिग्रिया  पढ़ते समय लाल भाग मैप के शीर्षक की तरफ रखते हुए मैप की ईस्टिंग लाइन के समानांतर रखते है उसके बाद डिग्रि मालूम की जाती है !
  • कंपास डायल/कार्ड(Compass dail/card) : यह कंपास हाउसिंग के बिच में एक धुरी पर सेट है इसके ऊपर एक लाल रंग का तीर का निशान है जिस पर N लिखा हुवा है जो उत्तार दिशा को दर्शाता है बाकि उसके निचे S दाहिने E तथा बाए W जो क्रमशः दक्षिण , पूर्व तथा पश्चिम दिशाओ को दर्शाता है !इसके एरो के बहार की तरफ एक सर्किल में मोटे व छोटे अंको में उलटी डिग्रिया लिखी होती है जो घडी के सुलटे रुख में बढती है !
  • इंडेक्स लाइन(Index line) : यह कोमप्स हाउसिंग के निचे एवं त्रवेलिन एरो के पीछे एक वृत्त पर खिची गई होती है जिसके दोनों तरफ लुमिन्स लगाया गया रहता है जो रात को चमकता है इसकी मदद से कंपास के दी हुई डिग्री पर सेट किया जाता है व मैप पर (सिल्वा सिस्टम ) डिग्री पढ़ी जाती है !
  • प्रिज्म(Prizm) : यह कंपास हाउसिंग के अन्दर की तरफ व लेंस के सामने होता है ! साईटिंग सिस्टम से बेअरिंग पढ़ते समय डायल पर लिखी उलटी डिग्रियों को सीधी करके दिखता है !
  • पिवोट/धुरी(Pivot) : यह कंपास हाउसिंग के बिच में होती है ! कंपास डायल इसी धुरी के चारो तरफ घूमता है !
इस प्रकार से यहाँ सिल्वा कंपास और उसके हिस्से पुरजो का नाम और काम से सम्बन्धित यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे  और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज  लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !

इन्हें  भी  पढ़े :
  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  6. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  7. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

27 July 2018

फील्ड स्केच के प्रकार और फील्ड स्केच बनाने का तरीका कौन कौन सा होता है ?

पिछले ब्लॉग  पोस्ट में हमने फील्ड स्केच क्या होता है उसके बारे में जाना !  इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेगे की फील्ड  स्केच  कितने प्रकार के होते है और उसको बनाने का तरीका क्या होता है !


जैसे की हम जानते है की मैप रीडिंग की सिखलाई का उद्देश्य सिर्फ सर्वे मैपो का पढना या समझना ही नहीं है बल्कि किसी भी जमीनी इलाके को कागज के ऊपर बना सकना भी जरुरी है ! मैप रीडिंग में कुशलता प्राप्त जवान के लिए यह जरुरी होता है की उनमे इतनी काबिलियत हो की जरुरत पड़ने पर किसी भी इलाके को कागज के ऊपर  सही सही तरीके से प्रकट कर सके !

जरुर पढ़े:5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का

इस पोस्ट में हम फील्ड स्केच के निम्न विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे :
फील्ड स्केच
फील्ड स्केच 
1. फील्ड स्केच कितने प्रकार के होते है ?(Field sketch kitne prakar ke hote hai)
2. फील्ड स्केच बनाने के सिद्धांत कौन कौन से होते है ?(Field sketch banane ke siddhant kaun kaun se hote hai ?)
3.फील्ड स्केच बनने का तरीका कौन कौन से है ?(Field sketch banane ka tarika kaun kaun sa hai )
4. फील्ड स्केच बनाने  के बाद कौन कौन सी बातो के ख्याल रखना चाहिए(Field sketch banaate samay dhyan me rakhne wali bate ) 

1. फील्ड स्केच कितने प्रकार के होते है ?(Field sketch kitne prakar ke hote hai): फील्ड स्केच निम्न प्रकार के होते है :
  • प्लेन टेबल स्केच (Plane Table sketch)
  • प्रिस्माटिक कंपास स्केच (Prismatic Compass sketch)
  • त्रावेर्सिंग स्केच (Traversing sketch)
  • हवाई फोट स्केच (Air photo sketch)
  • टैक्टिकल स्केच (Tactical sketch)
  • मेमोरी स्केच (memory sketch)
  • ऑय स्केच(Eye sketch) (i) तयारी का(Taiyari ka sketch) (ii) जल्दी का स्केच(Hasty sketch)

2. फील्ड स्केच बनाने के सिद्धांत कौन कौन से होते है ?(Field sketch banane ke siddhant kaun kaun se hote hai ?):फील्ड स्केच निम्न सिद्धांतो पर बनाया जाता है :

  • नियंत्रण (Control): फील्ड स्केच में दिखाई जाने वाली पोजीशन के  रिलीफ को ट्रेनीज के द्वारा प्रकट करने में पूरी काबिलियत हो !
  • पुष्टिकरण (Confirmation): हर करवाई को चेक बैक करके सत्यता का पुष्टिकरण किया जाए !
  • निर्णय (Decision): जब तक पूरा यकींन  न हो तो केवल अंदाजे से निर्णय नहीं लिया जाय 
  • निशान (Land Mark): फील्ड स्केच में दिखाए गए जमीनी निशानों को नियमानुसार चुना और प्लाट किया जाय !
 3.फील्ड स्केच बनने का तरीका कौन कौन से है ?(Field sketch banane ka tarika kaun kaun sa hai ):फील्ड स्केच बनने की करवाई इस प्रकार से की जाती है :
  • ढांचा (Out line):  ऊपर निचे और दाहिने , बाये जरुरी खाना पूर्ति के लिए सामान जगह छोड़कर शेस कागज पर जमीनी इलाके को दर्शाने के लिए मुनासिब स्केल में घेर दे
  • रुपरेखा (Frame Work):
(i) आधार रेखा (Base Line):
  •  इसके बाद आधार रेखा बनाई जाती है जो की आपस में दिखाई देने वाले ऐसे दो निश्चित निशानों को जोड़ने से बनती है जिसमे स्केच का पूरा इलाका दिखाई देता है !
  • अगर फिक्स्ड पॉइंट के लिए कुदरती निशान न मिले तो बनावती निशान लगाये जा सकते है ! जैसे लाल झंडे का पोल आदि !

(ii)प्रमुख निशान (Ruling Point):
  • रूप रेखा की दूसरी आवश्यकता प्रमुख निशानों को चुनने की होती है !इनके लिए जमीनी निशान को सुविधा के अनुसार दो चार छ या आठ भागो में बाँट देते है 
  • और  प्रत्येक  भाग में एके एक ऐसा प्रमुख निशान छाटते है जिसके मदद से उस भाग की डिटेल्स को आसानी से भरा जा सके !
  • ये निशान ऐसे हो की दोनों निश्चित निशानों से दिकाही देते हो !
  • प्रमुख निशान जितने ही ज्यादा होंगे स्केच में उतनी ही काम गलतिय होंगी !
  • प्रमुख निशान चुनने के बाद इनकी स्केच के ऊपर ठीक पोजीशन मालूम करके इन्हें स्केच के ऊपर पॉट कर लेते है !
  • प्रमुख निशानों की सही जगह निम्नलिखित विधिओ के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है :
  1. इंटर सेक्शन (Inter Section)
  2. बेअरिंग और फासला के द्वारा (Bearing and distance)
  3. री सेक्शन (Re-section)
(iii) डिटेल्स भरना (Ploting details): 
  • फील्ड स्केच का रुपरेखा बनाने के बाद उसमे जमीनी डिटेल्स भरी जाती है !
  •  स्केच पर डिटेल्स को प्रमुख निशानों के मदद से भरा जाता है !
  • और साथ ही जमीनी निशान के फासले , दिशा और बेअरिंग के मदद ली जाती है !
  • किसी ख़ास निशान या डिटेल्स को इंटर सेक्शन या री सेक्शन के मदद से भी पूरा कर सकते है !
  • ध्यान रखे की डिटेल्स भरने में सबसे ज्यादा तकलीफ रिलीफ दिखने में होता है !
  • इलाके की सबसे निचे और सबसे उच्चे धरातल का अंतर मीटर या फूट में निकल कर उस इलाके की बनावट के अनुसार मुनासिब भागो में बाँट देते है जिसे स्केच का कंटूर इंटरवल माने जाते है !
  • स्केच पर खिची गई प्रत्येक फॉर्म लाइन इसी अंतर पर खिंची जाती है !
  • यदि सबसे निचे धरातल की समुंद्रतल  से ऊंचाई मालूम न हा हो तो शून्य उचाई अजुम्ड डाटम लेवल को मान लेते है !

4. फील्ड स्केच बनाने  के बाद कौन कौन सी बातो के ख्याल रखना चाहिए(Field sketch banaate samay dhyan me rakhne wali bate ) :फील्ड  स्केच बन जाने के बाद डिटेल्स को भर देने के उपरांत निम्न बातो को ध्यान रखना चाहिए :
  • जब स्केच पूरा बनकर तैयार हो जाता है तो आवश्यक डिटेल्स को संवार दे !
  • महत्वपूर्ण डिटेल्स को मोटे आक्शारो से और साधारण डिटेल्स के नाम छोटे अक्षरों से डिटेल्स के कन्वेंशनल साइंस के दाहिने ओर लिख दे !
  • स्केच पर इतनी लिखाई न की जाय की वह पढ़ा न जाय  सके !
  • फॉर्म लाइन जहा पर स्केच के हाशिया को छूती है वह पर उचाईया  लिख दीजाती है !
  • सभी फालतू रेखाओ और डिटेल्स को मिटाकर हाशिये को मोटा कर देते है !
  • हाशिये पर संपत होने वाली सडको से निकटतम शहर की दुरी लिख देते है !
  • स्केच में कोई अगर कोई पूल है तो उसकी किस्म लिखी जाए !
  • नाहर /नदी के बहाव का रुख और गहरे - से लिखी जाए बहाव की दिशा को तीर के निशान से दिखाया जाय !
  • अगर स्केच के इलाके का मैप है तो ऊपर दाहिनी तरफ मैप शीट नम्बर लिखा जाये !
  • ऊपर हैडिंग स्केच के दाहिने तरफ नार्थ , स्केच के निचे  तीनो तरह के स्केल , स्केल के निचे कंटूर इंटरवल और उसके निचे सुंची बनाई जाती है !
  • सबसे निचे बाई ओर स्थान , दिनांक , समय , मौसम तथा दुरी कैसे नपी गई तथा दाहिने और बनाने वाले का नम्बर , रैंक , नाम तथा यूनिट लिख देते है !
  • फील्ड स्केच का शीषक हमेशा जिस तरह बनाने वाले का मुह (face) होगा उसी तरफ लिखा जाय !

इसप्रकार फील्ड स्केच प्रकार और फील्ड बनाने  के तरीके से समबन्धित पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे  और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज  लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !

इन्हें  भी  पढ़े :
  1. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  2. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  3. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  4. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  5. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  6. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  7. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  8. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  9. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  10. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

26 July 2018

ऑय स्केच कितने प्रकार के होते है ?

पिछले पोस्ट में हमने ऑय स्केच क्या होता है और ऑय स्केच के उद्देश्य के बारे में जानकरी प्राप्त किये ! अब इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेगे की ऑय स्केच कितने प्रकार के होते है और ऑय स्केच के पार्ट्स क्या क्या(Eye sketch ke parts ka name) होते है !


जैसे की हम जान  चुके है की किसी जमीनी इलाके के प्रकृति और इतिहासीक स्थानों को दिखाते हुए आँखों से देखकर बनाया गया स्केच को ऑय स्केच कहते है !

जरुर पढ़े:अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके

ऑय स्केच एक बहुत ही अच्छा और आसान माध्यम है किसी एरिया के बारे में सही सही ब्रीफिंग देने या बताने के लिए ! इसे आर्म्ड फाॅर्स के एक्टिविटीज में बहुत ही इस्तेमाल किये जाते है इसलिए  सभी जवानों को इसके बारे में जानना चाहिए की ऑय स्केच क्या होता है कैसे बनाया जाता है !
इस ब्लॉग पोस्ट को पढने के बाद आप निम्न विषयों के बारेमे जान पाएंगे :

1. ऑय स्केच कितने प्रकार  के होते है?(Type of Eye sketch)
2.ऑय स्केच के भाग और उसके नाम (Parts of Eye sketch)
3. ऑय स्केच बनाने  से पहले नोट करने वाली डिटेल्स (Eye sketch banane se pahle janne wali bate)
4. ऑय स्केच बनाने का तरीका(Eye sketch banane ka tarika)

जरुर पढ़े:कम्पास के प्रकार और आर्म्ड फोर्स के लिए इसका अहमियत

1. ऑय स्केच कितने पारकर के होते है?(Type of Eye sketch):ऑय स्केच दो प्रकार के होते है :

(i) तैयारी का(Deliberate): जब हम शत्रु  से से दूर अपने इलाके में रहते है और समय का कमी नाहीत रहती है उस समय जिस एरिया का ऑय स्केच बनाना है उसमे घूम कर पूरा डिटेल इकठ्ठा कर के यकींन  कर के स्केच में भरा जाता है ऐसे बनाये हुए ऑय स्केच को हम तैयारी का ऑय स्केच कहते है !

(ii)जल्दी का (Hasty): जब हम शत्रु के नजदीक हो और जिस एरिया के ऑय स्केच बनानी है वह घूम फिर नहीं सकते और स्केच को जल्द से जल्द बनानी हो तो उसे है जल्दी का ऑय स्केच कहते है ! ट्रेनिंग के दौरान ज्यादातर इसी तरह का ऑय स्केच बनने का प्रैक्टिस कराइ जाती है !


2.ऑय स्केच के भाग और उसके नाम (Parts of Eye sketch):ऑय स्केच के निम्न 6 भाग होता है :

(i) शीर्षक (Heading): इसमें यह बताया जाता है की ऑय स्केच किस इलाके का है और उस का नाम यदि स्केच के इलाके का मैप  पास है तो स्केच के चारो किनारों पर पड़ने वाले निशान को 6 फिगर रेफेरेचे और मैप शीट नम्बर लिखा जाता है !

(ii)उद्देश्य (Purpose): ऑय स्केच किस उद्देश्य से बनाया गया है उसे बताया जाता है की यह प्लाटून डिफेन्स का है या कंपनी डिफेन्स का ऑय स्केच है !

(iii)मुख्य बॉडी (Main Body):यह पर उन सभी डिटेल्स को दिखाया जाता है जिस उद्देश्य  के लिए यह ऑय स्केच बना है !


(iv) दिशा (Direction):स्केच के दाहिने तरफ तीर के निशान बनाकर दिखाया जाता है की स्केच का उतर दिशा कौन सा है !

(v) स्केल (Scale): मेनबॉडी के निचे, स्केल को तीन तरह से यानि लिखकर,  आर ऍफ़ द्वारा और लाइन खीचकर दिखाया जाता है !

(vi) अंत में (In the end):स्केल के निचे कुछ इस तरह के सूचनाये देनी पड़ती है :
  • कंटूर इंटरवल मीटर या फूट में 
  • कंटूर इंटरवल समझाने का सूचि 
  • स्केच के निचे स्थान जहा का स्केच है , समय , दिनांक , मौसम , दुरी कैसे नपी गई आदि दिया जाता है 
  • स्केच के सबसे निचे और दाहिने तरफ बनाने वाले का नाम , नम्बर रैंक और यूनिट यदि का डिटेल्स दिया जाता है ! 
इस प्रकार से ऑय स्केच का 6 भाग होता है :

3. ऑय स्केच बनाने  से पहले नोट करने वाली डिटेल्स (Eye sketch banane se pahle janne wali bate): ऑय स्केच बनाने से पहले इन बातो की जानकारी ऑय स्केच बनवाने वाले कमांडर ले लेनि चाहिए :
  • ऑय स्केच बनाने  वाले इलाके का सीमा लम्बाई, चौड़ाई के साथ तथा आम रुख  और दाहिने , बाए की हदे !
  • यदि जिस इलाके का ऑय स्केच बनाया जा रहा है अगर उस इलाके का मैप हो तो इलाके का 6 फिगर रिफरेन्स ले लेनी चाहिए 
  • ऑय स्केच बनाने का उद्देश्य क्या है !
  • उन सभी हथियार और दूसरी डिटेल्स नोट किया जाए जिन्हें कमांडर उस ऑय स्केच में दिखाना चाहते हो 

4. ऑय स्केच बनाने का तरीका(Eye sketch banane ka tarika):ऑय स्केच और फील्ड स्केच बनाने के विधि में कोई ख़ास अंतर नहीं है ! सिर्फ थोडा बहुत अंतर है जो जल्दी से ऑय स्केच बनाने के विधि में है !

जल्दी के ऑय स्केच की बनाने की विधि में है क्यों की जल्दी के ऑय स्केच को बनाने के लिए हमारे पास इतना समय नहीं रहता न ही हम इधा उधर घूमकर रैकी कर सकते है यह स्केच एक  जगह बैठ कर बनाया जाता है !

इस स्केच को बनाते समय ऐसे जगह पे बैठते है की जहा से पूरा इलाके दिखाई दे सके ! इस प्रकार के ऑय स्केच में दुरी अंदाज से ही नापा जाता है 
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और जल्दी के ऑय स्केच में जमीनी निशानों या और कोई डिटेल्स दिखाते है उन सब की दुरी अंदाज लगा के ही लिखे जाता है !

बहुत बार  हम ऑपरेशन जिस एरिया में करते है उस एरिया  का मैप उपलब्ध नहीं रहता है और उन जगहों पे स्केच बनाकर ही काम किया जाता है इसलिए स्केच बनाने के सिखलाई पे बहुत जोर दिया जाता है आर्म्ड फाॅर्स में !

इस प्रकार से यहाँ ऑय स्केच के प्रकार और उसके बनावट से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे  और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज  लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !
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25 July 2018

फील्ड स्केच क्या होता है और इसका जरुरत कब महसूस किया जाता है ?

पिछले पोस्ट में हमने ऑय स्केच क्या है  उसके बारे में जानकारिया  प्राप्त की इस पोस्ट में हम जानेगे की फील्ड स्केच (Field Sketch) क्या है और उसकी आवश्यकताए(Neccesity) क्या होती है !


जैसे की हम जानते है की मैप रीडिंग की सिखलाई का उद्देश्य सिर्फ सर्वे मैपो का पढना या समझना ही नहीं है बल्कि किसी भी जमीनी इलाके को कागज के ऊपर बना सकना भी जरुरी है ! मैप रीडिंग में कुशलता प्राप्त जवान के लिए यह जरुरी होता है की उनमे इतनी काबिलियत हो की जरुरत पड़ने पर किसी भी इलाके को कागज के ऊपर  सही सही तरीके से प्रकट कर सके !

जरुर पढ़े:मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व

जैसे की ऑय स्केच बनने के लिए सर्वे मैप की उतनी जरुरत नहीं होती है और ऑय स्केच बिना सर्वे मैप को भी हम किसी एरिया को देख कर उस एरिया का खाका हम सिखाये हुए तरीके से  फासला का अनुमान लगते हुए तथा  कन्वेंशनल सिग्न का इस्तेमाल करते हुए बनाते है 


जबकि फील्ड स्केच हम उस समय बनाते है जब हमारे पास सर्वे मैप है लेकिंग उसमे दिया हुवा डिटेल पुराना है और ग्राउंड के ऊपर बहुत बदलाव आगया है तो हम फील्ड स्केच बनाते है ! फील्ड स्केच और ऑय स्केच को बनने का तरीका  एकही प्रकार होता है !

जरुर पढ़े:दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका

इस ब्लॉग पोस्ट  को पढने के बाद आप इन विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे :
Field Sketch
Field Sketch

1. फील्ड स्केच का परिभाषा  क्या होता है ?(Field sketch ka paribhasha kya hota hai )
2. फील्ड स्केच कब बनाया जाता है ?(Field sketch kab banaya jata hai )
3. फील्ड स्केच का जरुरत क्यों पड़ता है ?(Field sketch ka jarurat kyo padta hai)
4. फील्ड स्केच की विशेषताए क्या होनी चाहिए ?(Field sketch ki vishtaye kya honi chahiye)

1. फील्ड स्केच का परिभाषा  क्या होता है ?(Field sketch ka paribhasha kya hota hai ): जब हम किसी जमीनी इलाके को अपनी मानी हुई स्केल में , निश्चित कन्वेंशनल साइंस(Conventiona Signs) का प्रयोग करते हुए स्वतन्त्र रूप से या सर्वे मैप की मदद से कागज पर हाथ से निश्चित स्केल या बिना स्केल के जब कोई स्केच बनाते है तो वह फील्ड स्केच कहलाता है !

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2. फील्ड स्केच कब बनाया जाता है ?(Field sketch kab banaya jata hai ):फील्ड स्केच बनने की जरुरत उस समय पड़ता है जब हमारे पास किसी इलाके का सर्वे मैप है और जब हम उस मैप को लेकर उस इलाके में जाता है तो वह जाने के बाद देखने से पता चलता है की सर्वे मैप में दिया हुवा डिटेल्स और ग्राउंड डिटेल्स में बहुत फर्क है यानि बहुत से चीजे ग्राउंड पे है लेकिंग सर्वे मैप पे नहीं है ! 

उस समय यह महसूस किया जाता है की मैप पे दिए हुए डिटेल्स और ग्राउंड पे मौजूद डिटेल्स के अंतर  को पूरा करने के लिए क्यों न स्वंम एक स्केच कागज के ऊपर बनाये जिसके अन्दर मैप का डिटेल्स और मौजूदा ग्राउंड पे मौजूद डिटेल्स को दिखया जाय ! इसी कमी को पूरा करने के लिए  फील्ड स्केच बनाया जाता है !

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3. फील्ड स्केच का जरुरत कब  पड़ता है ?(Field sketch ka jarurat kab padta hai): फील्ड स्केच की जरुरत निम्न कार्यो में पड़ती है :
  • जवानों की जरुरत को पूरा करने के लिए जब सर्वे मैप पुराना हो जाय !
  • किसी विशेष इलाके में मैपो की काम सप्लाई को पूरा करने के लिए !
  • किसी विशेष महत्व के इलाके के बारे में पूरी जानकारी के लिए फील्ड स्केच बड़े गुणकारी सिद्ध होते है 
  • फील्ड स्केच को ऑपरेशनल रिपोर्ट के साथ भी भेजा जाता है जिससे की उच्चाधिकारी उस एरिया के बारे में अच्छी तरह से जन सके !
  • मैप की त्रुटियों को दूर करने के लिए फील्ड स्केच बनाया जाता है !
  • जमीन की उप तो डेट बनावट को समझने के लिए फील्ड स्केच बहुत गुणकारी सिद्ध होता है !
  • स्कीमो , ट्रेनिंग अभ्यासों को कामयाब  बनने के लिए भी फील्ड स्केच बनाया जता है !
  • प्रैक्टिस के लिए भी फील्ड स्केच बनाया जाता है !

जरुर पढ़े:सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार

4. फील्ड स्केच की विशेषताए क्या होनी चाहिए ?(Field sketch ki vishtaye kya honi chahiye): फील्ड स्केच की निम्न  विशेषताए होनी चाहिए :

  • शीघ्रता(Promptness) :जल्द से जल्द तैयार हो जाता है 
  • सम्पूर्णता(Up- to- Date) : फील्ड स्केच में जरुरत के  अनुसार सभी सूचनाये दी गई हो  !
  • सत्यता(Reliability) : फील्ड रिलीफ और जमीनी निशान पूर्ण रूप से सही और विश्वास जनक होने चाहिए !
  • स्पष्टा(Clear and legible) : फील्ड स्केच  में जो भी निशान दिखाए जाए वे पूरी तरह से स्पष्ट हो
  • स्वच्छता(Neat and Clean) : फील्ड  स्केच में दिखाए गए सभी निशान साफ सुथरे हो 
  • सार्थकता(Purposeful) : जिस उद्देश्य के लिए फील्ड  स्केच बनाया जा रहा है वह उद्देश्य का पूरा करता है हो !
फील्ड स्केच और ऑय स्केच की  खुबिओ की जरुरत एक ही तरह की  होती है !


इस प्रकार से हम फील्ड स्केच क्या होता है और उसकी खुबिया क्या होनी चाहिए से सम्बंधित पोस्ट यह समाप्त  हुवा !उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे  और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज  लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे बेहतर लिखने के लिए !
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  6. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  7. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  8. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  9. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  10. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?

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