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28 May 2017

रेकॉइल ऑपरेशन के सिद्धांत तथा लॉन्ग रेकॉइल और शोर्ट रेकॉइल क्या होता है ?

पिछले कुछ पोस्टो में हमने ब्लो बैक सिद्धांत  के बारे में बाते किये जिसमे लास्ट पोस्ट डिलेड ब्लो बैक के सिद्धांत के  बारे में था! इस पोस्ट में हम रेकॉइल ऑपरेशन के सिद्धांत(Recoil Operation ke siddhant) के बारे में जानेगे !


हम अपने स्कूली शिक्षा के दौरान न्यूटन के गति के नियम में जरुर पढ़ा है जिसमे न्यूटन का तीसरा नियम कहता  है की "प्रत्येक क्रिया की विपरीत दिशा में बराबर की प्रतिक्रिया होता है " उसी की तरह  राइफल से  राउंड  आगे की दिशा में तेजी  गति करती है , जसकी सामान प्रतिक्रिया ब्रीच ब्लाक फेस पर आता  है !

ब्रीच ब्लाक गुण बॉडी में लॉक होता है अतः यह प्रतिक्रिया हथियार को स्थान्तरित होकर हथियार पीछे की हरकत करता है जिसे रेकॉइल कहते है ! यह फायरर को कंधे पर महसूस होता है !

जरुर पढ़े : डीलेड ब्लो बैक कैसे काम करता है ?

रेकॉइल ऑपरेशन में साइकिल ऑफ़ ऑपरेशन को पूरा करने के लिए उर्जा , बुलेट के आगे की दिशा में प्राप्त संवेग के प्रतिक्रिया स्वरुप बैरल तथा ब्रीच ब्लाक के पीछे की दिशा में गति करने से मिलती है !

इस पोस्ट के में हम निम्न विषयों के बारे में जानेगे :
  1. लॉन्ग रेकॉइल क्या होता है ?(Long Recoil ka siddhant kya hota hai )
  2. शोर्ट रेकॉइल क्या होता है ?(Short Recoil ka siddhant kya hota hai )
  3. लॉन्ग और शोर्ट रेकॉइल में अंतर ?(Long ttha short recoil me kya natar hai )
रेकॉइल ऑपरेशन के सिद्दांत में बैरल को आगे-पीछे की हरकत करने के लिए मुक्त(Free float) रखा जाता है  और ब्रीच ब्लाक को बैरल के साथ लॉक करते है ताकि मेकानिकल सेफ्टी प्राप्त हो सके ! बैरल तथा ब्रीच ब्लाक का लॉक बैरल में सेफ प्रेशर बन्ने के बाद खोल जाता है और बैरल अपनी स्प्रिंग के मदद से अपनी पूर्वे स्थिति में
आ जाती है ! 

पीछे जाता ब्रीच ब्लाक साइकिल ऑफ़ ऑपरेशन की तमाम क्रियाएँ पूर्ण कर वापस आगे आता है और नया राउंड चैम्बर में लोड करके फिर बैरल के साथ लॉक होकर हथियार को फायर के लिए तैयार करता है ! 
रेकॉइल ऑपरेशन दो प्रकार की होती है 
  •  लॉन्ग रेकॉइल(Long Recoil )
  • शोर्ट रेकॉइल  ?(Short Recoil  )

1.  लॉन्ग रेकॉइल क्या होता है ?(Long Recoil ka siddhant kya hota hai ):
बैरल तथा ब्रीच ब्लाक , लॉक हालत में एक बिना फायर हुए राउंड की लम्बाई से ज्यादा दुरी तय करते है ! उसे हम लॉन्ग रेकॉइल कहते है ! ऐसे हथियार की एक्यूरेसी कम , सेफ्टी अच्छी तथा रेट ऑफ़ फायर कम होता है ! जैसे लॉन्ग रेंज आर्टिलरी की गुण , ब्राउनिंग .303 आटोमेटिक राइफल !












2. शोर्ट रेकॉइल क्या होता है ?(Short Recoil ka siddhant kya hota hai )
 बैरल तथा ब्रीच ब्लाक, लॉक हालत में एक बिना फायर हुए राउंड की लम्बाई से कम दुरी तय करते है उसे हम शोर्ट रेकॉइल कहते है ! इन हथियारों में बैरल तथा ब्रीच ब्लाक का लॉक जल्दी खुलता है एक्यूरेसी अच्छी होती और अच्चा रेट ऑफ़ फायर मिलता है ! जैसे 9 mm ब्राउनिंग पिस्टल, 9 mm पिस्टल बरेटा आदि !












3. लॉन्ग और शोर्ट रेकॉइल में अंतर?(Long aur short recoil me kya anatar hai )

लॉन्ग रेकॉइल :-
  • ब्रेकच ब्लाक लॉक हालत में बिना फायर राउंड से ज्यादा दुरी तय करते है 
  • एक्यूरेसी कम होती है 
  • रेट ऑफ़ फायर कम होता है 
  • सेफ्टी अच्छी रहती है 

शोर्ट रेकॉइल :
  • ब्रेकच ब्लाक लॉक हालत में बिना फायर राउंड से कम  दुरी तय करते है 
  • एक्यूरेसी अच्छी  होती है 
  • रेट ऑफ़ फायर ठीक  होता है 
  • सेफ्टी थोड़ी कम  रहती है 
इस प्रकार से आप रेकॉइल ऑपरेशन सिद्धांत के बारेमे आप एक संक्षेप्त जानकारी प्राप्त किया उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! इस पोस्ट के बारे में कोई सुझाव और कमेंट हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे !इस पोस्ट को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे और अच्छे लिखने के लिए !

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