पिछले पोस्ट में हमने मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा उसका महत्व के बारे में जानकारी शेयर किया था और इस पोस्ट में हम मैप का परिभाषा , मैप का इतिहास और मैप की अव्श्क्ताये क्या होती है इसके बारेमे जानकारी हासिल करेंगे !
मैप रीडिंग की जानकारी हासिल करते समय हमारा ज्यादातर सम्बन्ध मैप व जमीन दनो के साथ पड़ता है ! इनमे से हम यदि जमीन को मैप रीडिंग का साधन मने तो मैप उसकी सामग्रीः है !जिस प्रकार से पुलिस के ट्रेनिंग में और सब विषयों की अहमियत होती है उसी प्रकार से मैप रीडिंग की भी अपनी महत्व है पुलिस ट्रेनिंग में !
इस पोस्ट में हम इन सवालो का जवाब जानने की कोशिश करेंगे
मैपो पर अनावश्यक जमीनी निशानों को छोड़ दिया जाता है जबकि आवश्यक जमीनी निशानों को मैप पर उसके अनुपात से भी बड़ा कर के दिखाया जाता है जैसे : सडक , मंदिर , अकेला माकन आदि ! अनावश्यक जमीनी निशानॉ को जैसे झाडिया , छोटे छोटे दरख्त इत्यादि को मैप पे नहीं दिखाया जाता है ताकि मैप पर आकृतियों का जमघट न हो जाये !
जरुर पढ़े :मैप कितने प्रकार के होते है ?
मैप पर रंगों का भी प्रयोग किया जाता है ताकि धरातल की तुलना आसानी से किया जा सके !सर्वे मैप किसी जमीनी इलाके का हुबहू तस्वीर न होकर केवल मुख्य मुख्य चीजो की रूप रेखा ही होती है !
यानि साधारण शब्दों में कहे तो मैप क्या है तो हम कह सकते है की मैप किसी जमीनी इलाके का चीज के ऊपर बनाया हुवा चित्र है जो की हुबहू नहीं होता है !
2. मैप का परिभाषा(Map ki paribhasha hindi me ): जब किसी जमीनी इलाके को किसी कागज पर , किसी निश्चित स्केल में निश्चित कन्वेंशनल साइन का प्रोयोग करते हुए तथा जमीनी उचाही- नीचे और प्रोजेक्शन विधि को दिखाते हुए चित्रित किया जाता है तो उसे मैप कहते है !
जरुर पढ़े :कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
3. मैप का इतिहास(Map ka itihas hindi me): प्राचीन काल में साधारण भूभागो के मैप को तो बनाने का कोई खास प्रमाण नहीं मिलता है लेकिंन कोई कोई राजा अपने एरिया के लड़ाई वाले इलाको का मैप इत्यादि बनवाते थे !
पुराने काल में भारत, यूनान और रोम इत्यादि देशो में जो मैप प्रोयोग में लाये जाते थे ओ अधिकतर ताम्बे की प्लेटो और गतो पर ही बने होते थे ! यूनान में लकड़ी और मिट्टी के सहायता से भी अपने राज्यों के सीमा को दिखने के लिए कुछ मॉडल बनाया जाता था !
जरुर पढ़े :मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
कागज पर सबसे पहला मैप 1820 में बना मन जाता है जो की ब्रिटिश म्यूजियम में रखा हुवा है ! भारतीय भूभाग के लिए सबसे पहला मैप संन 1824 में क्वार्टर इंच की स्केल(1/4"= 1 मिल) के मैप इंग्लैंड में बनाना शुरू हुआ ! इस स्केल का मैप सन 1827 में छपा और सन 1867 में पुरे भारत का के इस स्केल का मैप बन गए ! उन समय इन मैपो को भारत का एटलस कहा जाता था !
बाद में ये मैप भारत में ही बनाने लगे और सन 1905 में 1"= 1 मिल व इससे बड़ी स्केल के मैप बनाने शुरू हुए !
4. मैप की आवश्कता (Map ki awshkatye): मैप के उद्देश्य और उसके इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए मैप की निम्न रूप में अवाश्क्ताये पड़ती है :
मैप रीडिंग की जानकारी हासिल करते समय हमारा ज्यादातर सम्बन्ध मैप व जमीन दनो के साथ पड़ता है ! इनमे से हम यदि जमीन को मैप रीडिंग का साधन मने तो मैप उसकी सामग्रीः है !जिस प्रकार से पुलिस के ट्रेनिंग में और सब विषयों की अहमियत होती है उसी प्रकार से मैप रीडिंग की भी अपनी महत्व है पुलिस ट्रेनिंग में !
इस पोस्ट में हम इन सवालो का जवाब जानने की कोशिश करेंगे
- मैप क्या है(Map kya hai) ?
- मैप का परिभाषा (Map ki paribhasha hindi me)
- मैप का इतिहास (Map ka itihas)
- मैप की आवश्कता (Map ki awshkatye)
Map ( pratikatmak) |
मैपो पर अनावश्यक जमीनी निशानों को छोड़ दिया जाता है जबकि आवश्यक जमीनी निशानों को मैप पर उसके अनुपात से भी बड़ा कर के दिखाया जाता है जैसे : सडक , मंदिर , अकेला माकन आदि ! अनावश्यक जमीनी निशानॉ को जैसे झाडिया , छोटे छोटे दरख्त इत्यादि को मैप पे नहीं दिखाया जाता है ताकि मैप पर आकृतियों का जमघट न हो जाये !
जरुर पढ़े :मैप कितने प्रकार के होते है ?
मैप पर रंगों का भी प्रयोग किया जाता है ताकि धरातल की तुलना आसानी से किया जा सके !सर्वे मैप किसी जमीनी इलाके का हुबहू तस्वीर न होकर केवल मुख्य मुख्य चीजो की रूप रेखा ही होती है !
यानि साधारण शब्दों में कहे तो मैप क्या है तो हम कह सकते है की मैप किसी जमीनी इलाके का चीज के ऊपर बनाया हुवा चित्र है जो की हुबहू नहीं होता है !
2. मैप का परिभाषा(Map ki paribhasha hindi me ): जब किसी जमीनी इलाके को किसी कागज पर , किसी निश्चित स्केल में निश्चित कन्वेंशनल साइन का प्रोयोग करते हुए तथा जमीनी उचाही- नीचे और प्रोजेक्शन विधि को दिखाते हुए चित्रित किया जाता है तो उसे मैप कहते है !
जरुर पढ़े :कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
3. मैप का इतिहास(Map ka itihas hindi me): प्राचीन काल में साधारण भूभागो के मैप को तो बनाने का कोई खास प्रमाण नहीं मिलता है लेकिंन कोई कोई राजा अपने एरिया के लड़ाई वाले इलाको का मैप इत्यादि बनवाते थे !
पुराने काल में भारत, यूनान और रोम इत्यादि देशो में जो मैप प्रोयोग में लाये जाते थे ओ अधिकतर ताम्बे की प्लेटो और गतो पर ही बने होते थे ! यूनान में लकड़ी और मिट्टी के सहायता से भी अपने राज्यों के सीमा को दिखने के लिए कुछ मॉडल बनाया जाता था !
जरुर पढ़े :मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
कागज पर सबसे पहला मैप 1820 में बना मन जाता है जो की ब्रिटिश म्यूजियम में रखा हुवा है ! भारतीय भूभाग के लिए सबसे पहला मैप संन 1824 में क्वार्टर इंच की स्केल(1/4"= 1 मिल) के मैप इंग्लैंड में बनाना शुरू हुआ ! इस स्केल का मैप सन 1827 में छपा और सन 1867 में पुरे भारत का के इस स्केल का मैप बन गए ! उन समय इन मैपो को भारत का एटलस कहा जाता था !
बाद में ये मैप भारत में ही बनाने लगे और सन 1905 में 1"= 1 मिल व इससे बड़ी स्केल के मैप बनाने शुरू हुए !
4. मैप की आवश्कता (Map ki awshkatye): मैप के उद्देश्य और उसके इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए मैप की निम्न रूप में अवाश्क्ताये पड़ती है :
- सरकार को राज्य के विकाश और सुरक्षा की पलान्निंग के लिए
- आर्म्ड फ़ोर्स के कमांडर को को सीमा और अपने क्षेत्र के सुरक्षा के प्लानिंग बनाने के लिए
- सैलानियो को घुमने जाने के स्थानों को जानने के लिए और यात्रा का प्लान बनाने के लिए
- विद्यार्थियो को भूगोल के विषय में देश विदेश की पूरी भौगोलिक जानकारी प्राप्त करने के लिए
- सरकारी अधिकारिओ को निर्माण स्थान , निर्माण कार्य आदि को दर्ह्सने के लिए
- प्रशाशनिक कर्वाहियो में सड़क , रेलवे , हवाई जहाज व समुन्दी मार्गो को निश्चित करने के लिए !
आज के समय में मैप का बहुत ही ज्यादा अवाश्काताए है क्यों की मैप के सहारे ही हम एक देश से दुसरे देश इतने आसानी से चहले जाते है !
जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
इस प्रकार से मैप की परिभासा , मैप के इतिहास और मैप की अवाश्क्ताये से सम्बंधित एक संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुई उम्मीद है की ये पोस्ट आपलोगों को पसंद आएगा ! अगर इस पोस्ट के बारे में कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक के ऊपर लाइक कर हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !
इन्हें भी पढ़े :
इन्हें भी पढ़े :
- अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके
- कम्पास के प्रकार और आर्म्ड फोर्स के लिए इसका अहमियत
- सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
- 36 धरातलीय आकृतिया और उनके परिभाषा
- मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
- 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
- मैप कितने प्रकार के होते है ?
- कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
- कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
- मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
- दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
No comments:
Post a Comment