पिछले पोस्ट में हमने जमीनी निशान को बयान कैसे करना चाहिए इसके बारे में जानकारी थे इस पोस्ट में उन जमीनी निशान को देनें के बारे में जानकारी हासिल करेंगे जो जमीनीं निशान चारो ओर फैले हो (Charo or faile hue zameeni ko byan karne ka tartib)!
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विशेषकर आप के लिए :
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद इन सवालो का ज सकेंगे :
- चारो ओर ज़मीनी निशान देने तरतीब
- आटोमेटिक हथियारों के जिम्मेवारी के इलाके बाटने तरतीब (Automatic hathiyar jimmewari ke ilake batne ka tarik ka tartib)
- जमीनीं निशान देते समय ध्यान में रखने वाली बाते (Jameeni nishan dete samy dhyan me rakhnewali bate )
लड़ाई या किसी आपरेशन के दौरान जुबानी हुकुम देने के लिए या टारगेट पर फायर डलवाने के लिए टारगेट और ज़मीनी निशान का बयान जरुरत पड़ती है !किसी आपरेशन के दौरान इसमें अधिक मुश्किल पेश आती है !
जरुर पढ़े :कोसिल्मेंट क्या है और उसका तरतीब
क्यों की टारगेट को ढूढना मुश्किल होता है और बहुत कम समय के लिए टारगेट दिखाई देता है ! आर्म्ड फाॅर्स या पुलिस ज़मीनी निशान के बयान के लिए एक स्टैण्डर्ड प्रोसीजर बनाया गया है ताकि कमांडर जमीनी निशानों का बयान जल्दी और एक्यूरेसी सके और जवान उन्हें उन्हें आसानी से पहचान सके !
चारो ओर ज़मीनी निशान देने के तरतीब (Charo or zameeni nishan dene ke tartib): चारो ओर ज़मीनी निशान को बयान करने का तरतीब इस प्रकार से है !
- सबसे पहले आम रुख बताया जाय
- उसके बाद घडी के सीधे रुख सभी ज़मीनी निशान दिए जाए जो दिखाई दे रहे हो !
- वापिस आम रुख
- ज़मीनी निशान को दोहराये जाए
- आखिर में उन ज़मीनी निशानों को बताया जाय जो दिखाई न दे रहे हो
जरुर पढ़े :जमीनी निशान ब्यान करने का तरीका
आटोमेटिक वेपन के जिम्मेवारी के इलाके बाटने के तरतीब(Automatic waepon ke jimmewari ke ilake batne ka tartib) : समय आटोमेटिक वेपन को जब हम "ले" करते है तो उसको एक जिम्मेवारी का इलाका दिया जाता है जिसके अंदर निकलने वाले टारगेट को सबसे पहले उस आटोमेटिक वेपन बर्बाद करेगा ! इस को बाटने का तरतीब इस प्रकार है :
- पहले आमरुख बताया जाए
- बाएं हद और दाहिनी हद से जिम्मेवारी के इलाके बताया जाए
- जिम्मेवारी के इलाके में मौजूद मदद के निशान
- फिर प्राइमरी आर्क , सेकेंडरी आर्क फिक्स्ड लाइन बताया जाए
- फायर खोलने की हद दिन में और रात में !
ज़मीनी निशान देते समय ध्यान में रखनेवाली बाते(Jamini nishan dete samay dhyan me rakhne wali bate ) : ज़मीनी निशान को देते समय कुछ बातो को ध्यान में रखना चाहिए से है :
- बयान छोटा , सदा और साफ हो
- कठिन निशान सभी तरीको की मदद से दे
- दिशा हमेशा आमरुख से ली जाये
- दिए गए हदो में ज़मीनी निशान बाएं से दाहिने बयान करना चाहिए
- कमांडर द्वारा दिए गए निशान का नाम बदली नहीं
- जो निशान दिखाई नहीं दे रहा हो उसे आखरी में बताये !
- अगर जमीनी निशान का फालाव 1 डिग्री से ज्यादा हो तो उसका कोई किनारा लिया जाए !
- उन्ही जमीनी निशानों का बयान करे जो आप के जुबानी हुकुम से सम्बंधित हो !
- पहले अपना अपना ज़ुबानी तैयार करे और फिर उसके मुताबिक ज़मीनी निशाने चुने !
इस प्रकार से यहाँ ज़मीनी निशान देते समय ध्यान रखने वाली बाते से सम्बंधित संक्षिप्त ब्लॉग हुई ! इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप इन जवाब प्राप्त कर लिए होंगे :
- ज़मीनी निशान का बयान जरुरत कब पड़ती है?
- क्यों ज़मीनी निशान के बयान के लिए एक स्टैण्डर्ड प्रोसीजर बनाया गया है ?
- टारगेट और ज़मीनी निशान का बयान की जरुरत क्यों पड़ती है?
विशेषकर आप के लिए :
- फिल्डक्राफ्ट और उसके फायदे
- फासले का अनुमान लगाना और अनुमान लगाने का तरीका
- चीजे क्यों दिखाई देती है टारगेट को कैसे बयान करते है ?
- कामोफ्लाज और कांसिल्मेंट तथा फायर कण्ट्रोल आर्डर की जानकारी
- कमोफ्लाज के सिद्धांत , और कामोफ्लाज करने का तरीका
- कोसिल्मेंट क्या है और उसका तरतीब
- स्टाकिंग क्या है ? और स्टाकिंग के फायदे तथा और जाननेवाली बाते !
- आवाज़ तथा बेअरिंग के मेथड से फासले का अनुमान लगाने का तरीका
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