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31 March 2017

मैप रीडिंग में री सेक्शन , इंटर सेक्शन तथा ओरिएंटेशन का मतलब

पिछले पोस्ट में हमने मैग्नेटिक वेरिएशन , लोकल वेरिएशन, तथा एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स आदि के बारे में जानकारी प्राप्त किये ! इस पोस्ट में मैप रीडिंग में रीसेक्सन , इंटरसेक्शन  तथा ओरिएंटेशन का क्या मतलब है उसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !


अध्यन के दौरान हर विषय में ऐसे कुछ शब्द होते है जो की परम्परागत उपयोग के कारन स्वाम ही अपने विशेष अहमियत उस विषय के अन्दर रख लेते है ! पर उन शब्दों का लिबरल अर्थ ओ नहीं होता है जैसे की आम व्यावहारिक रूप से किया जाता है और ऐसे ही विशेष शब्दों को उस विषय का टेक्निकल  टर्म्स(Technical terms) कहते है !

जरुर पढ़े :कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका


वैसे ही मैप रीडिंग से संबधित कुछ टेक्निकल टर्म(Map reading ke technical terms) का परिभाषा हम इस पोस्ट में जानेगे और आगे और भी पोस्ट हम लिखेंगे जिसमे बाकि के शब्दों का श्रृखलाबद्ध किया जायेगा !

इस पोस्ट को पढने के बाद मैप रीडिंग से सम्बंधित इन टेक्निकल टर्म्स का मतलब आप जान पायेगे :
  1. मैप रीडिंग में री-सेक्शन का क्या मतलब होता है ?(Re-section method kya hota hai)
  2. मैप रीडिंग में इंटर-सेक्शन का क्या मतलब होता है ?(Inter-section method kya hota hai?)
  3. मैप रीडिंग में ओरिएंटेशन का क्या मतलब होता है ?(Map ka orientation kya hota hai)
  4. मैप रीडिंग में ओरिएंटियरिंग का क्या मतलब होता है ?(map orienterring kya hota hai)
  5. मैप रीडिंग में रिलीफ क्या है ?(Relief kya hota hai )
  6. मैप रीडिंग में खड़े फासले का अंतर का मतलब क्या होता है ?(Vertical interval kya hota hai )
  7. मैप रीडिंग में पड़ा फासला का अर्थ क्या होता है ?(Horizonal equivalent kya hota hai)
  8. फॉर्म लाइन क्या है (Form line kya hai)
  9. datum लेवल क्या होता है ?(Datum level kya hota hai)

1. री-सेक्शन का क्या मतलब होता है ?(Re-section method kya hota hai):मैप पर अपनी जगह निश्चित करने की उस विधि को री-सेक्शन कहते है , जिसमे मैप पर हम दो या दो से अधिक जाने हुए स्थान से अपनी जगह की और रेखाए खीचते है !

2. इंटर-सेक्शन का क्या मतलब होता है ?(Inter-section method kya hota hai?):किसी अनजाने स्थान की जगह को मालूम  करने के लिए जब मैप पर किन्ही दो या तीन जाने हुए स्थानों से रेखाए खीचते है तो इसप्रकार अनजाने स्थान की जगह मालूम करने की विधि को इंटर सेक्शन कहते है !

3.ओरिएंटेशन का क्या मतलब होता है ?(Map ka orientation kya hota hai):ओरिएंटेशन का व्यवहारिक अर्थ प्लेन टेबल स्केच को जमीन पर इस प्रकार रखना होता है की जिससे बनाये जा रहे स्केच का नार्थ जमीन नार्थ की ओर इशारा करे !

4. ओरिएंटियरिंग का क्या मतलब होता है ?(map orienteering kya hota hai): मैप और जमीन को एक रूप करने वाली व्यावहारिक विधि को ओरिएंटियरिंग कहते है ! इस विधि से मैप से मैप कौशल में रूचि बधाई जा सकती है अथवा निपुणता प्राप्त की जा सकती है !


5. मैप रीडिंग में रिलीफ क्या है ?(Relief kya hota hai ): जमीन की उचाई-निचाई तथा टूटी-फूटी जमीन इत्यादि  को किसी मॉडल पर हुबहू दिखने को रिलीफ कहते है !

6.खड़े फासले का अंतर का मतलब क्या होता है ?(Vertical interval kya hota hai ):किसी  दो या दो से अधिक स्थानों की उचाई या कंटूर लाइनो की उचाई के अंतर ! को खड़े फासले फासले के अंतर कहते है ! इसको रेलिफ की मदद से निकला जाता है !

7.पड़ा फासला का अर्थ क्या होता है ?(Horizonal equivalent kya hota hai): किन्ही दो स्थानों या निशानों के बीच की सीधी पड़ी दुरी को पीडीए फासला खा जाता है ! इसको नक़्शे पर सर्विस प्रोजेक्टर या गणित के फार्मूला से नापा या निकला जाता है !

8.फॉर्म लाइन क्या है (Form line kya hai):स्केच पर निश्चित उचाई के बाद कंटूर रेखाओ के सामान खिची जाने वाली रेखाए फॉर्म लाइन कहलाती ! ये रेखाए आधे कंटूर रेखाओ के सामान ही खिची जाती है !


9.Datum लेवल क्या होता है ?(Datum level kya hota hai): किसी मैप या स्केच में दिखाए गए जमीन इलाके के सबसे निचले भाग की समुन्द्र सतह से उचाई को डाटम लेवल कहते है !

इस प्रकार से यहाँ री-सेक्शन , इंटर सेक्शन तथा मैप ओरिएंटेशन आदि से सम्बंधित एक संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुई ! उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पेज को लाइक कर के हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !
इन्हें भी  पढ़े :
  1. अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके
  2. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  3. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  4. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  5. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  6. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  7. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  8. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व
  9. मैप का परिभाषा , मैप का इतिहास और मैप का अव्श्काए
  10. मैप के प्रकार की विस्तृत जानकारी
  11. ट्रू नार्थ , ग्रिड नार्थ, मैग्नेटिक नार्थ का मतलब हिंदी में

मैग्नेटिक वेरिएशन , लोकल वेरिएशन तथा एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स का मतलब

पिछले पोस्ट में हमने बैक बेअरिंग, फॉरवर्ड बेअरिंग तथा ग्रिड लाइन क्या होता है उसके बारे में जानकारी शेयर किये ! इस पोस्ट में हम मैग्नेटिक वेरिएशन , लोकल वेरिएशन तथा एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स (Magnetic variation, local variation, aur  angle of convergence ka matlab hindi me)के बारे में जानेगे !


अध्यन के दौरान हर विषय में ऐसे कुछ शब्द होते है जो की परम्परागत उपयोग के कारन स्वाम ही अपने विशेष अहमियत उस विषय के अन्दर रख लेते है ! पर उन शब्दों का लिबरल अर्थ ओ नहीं होता है जैसे की आम व्यावहारिक रूप से किया जाता है और ऐसे ही विशेष शब्दों को उस विषय का टेक्निकल  टर्म्स(Technicl terms) कहते है !

जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम

वैसे ही मैप रीडिंग से संबधित कुछ टेक्निकल टर्म(Map reading ke technical terms) का परिभाषा हम इस पोस्ट में जानेगे और आगे और भी पोस्ट हम लिखेंगे जिसमे बाकि के शब्दों का श्रृखलाबद्ध किया जायेगा !

इस पोस्ट को पढने के बाद मैप रीडिंग से सम्बंधित इन टेक्निकल टर्म्स का मतलब आप जान पायेगे :
  1. लोकल वेरिएशन क्या होता है ?(What is local variation)
  2. मैग्नेटिक वेरिएशन का होता है ?(What is Magnetic variation)
  3. एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स क्या होता है ?(What is angle of convegence)
  4. देशांतर रेखाए क्या होती है ?(What is longitude)
  5. अक्षांश रेखाए क्या होती है ?(What is latitude)
  6. ग्रेटीक्यूल क्या होता है ?(What is Gratiticule)
  7. इसोगोनल क्या होता है ?(What is Isogonal)
1.लोकल वेरिएशन क्या होता है ?(What is local variation):किसी स्थान पर मिलते समय ग्रिड नार्थ और मग्नेक्ट नार्थ के बीच की कोणात्मक दुरी को लोकल वेरिएशन कहते है !

2.चुम्बकीय वेरिएशन का होता है ?(What is Magnetic variation):किसी स्थान पर जब ट्रू नार्थ और मैग्नेटिक नार्थ की रेखाए आपस में मिलती है तो उस स्थान पर इस दोनों के बीच की कोणात्मक दुरी को मैग्नेटिक वेरिएशन कहते है !


3.एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स क्या होता है ?(What is angle of convegence):किसी स्थान पर जब ट्रू नार्थ और ग्रिड नार्थ मिलती है तो इन दोनों नार्थ के बीच की कोणात्मक दुरी को एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स(Angle of Convergence) या समवाय कोण  कहते है !

4. देशांतर रेखाए क्या होती है ?(What is longitude): सर्वे मैपो पर काले रंग की खिची गई खड़ी(Vertical) रेखाओ को देशांतर  रेखाए कहते है जो नक्शों पर ट्रू नार्थ को प्रकट करती है इन्हें ट्रू नार्थ की रेखाए भी कहते है !

5. अक्षांश रेखाए क्या होती है ?(What is latitude):सर्वे मैपो पर काले रंग से खिची गई पड़ी(Horizontal )रेखाओ को अक्षांश रेखाए कहते है !

6.ग्रेटीक्यूल क्या होता है ?(What is Gratiticule): सर्वे मैपो पर अक्षांश और देशांतर रेखाओ के बिछे जाल को ग्रेटी क्यूल कहते है !

7.इसोगोनल क्या होता है ?(What is Isogonal): छोटी स्केल के मैपो के पुरे इलाके में मैग्नेटिक वेरिएशन एक सामान नहीं होता है परन्तु कही कही मैग्नेटिक वेरिएशन सामान भी होता है उन सामान मैगनेट वेरिएशन वाले इलाको से होते हुए जिन रेखाओ को खीचा जाता है उसे है इसोगोनल कहते है 


इस प्रकार से यहाँ मैग्नेटिक वेरिएशन , लोकल वेरिएशन तथा एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुई ! इस पोस्ट के पढने के बाद आप इस सवालों का भी जवाब जन चुके होंगे !
  • ट्रू नार्थ की रेखा किसे कहते है ?
  • देशांतर रेखा को हम किस दुसरे नाम से जानते है ?

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इन्हें भी  पढ़े :
  1. अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके
  2. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  3. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  4. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  5. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  6. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  7. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  8. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व
  9. मैप का परिभाषा , मैप का इतिहास और मैप का अव्श्काए
  10. मैप के प्रकार की विस्तृत जानकारी
  11. ट्रू नार्थ , ग्रिड नार्थ, मैग्नेटिक नार्थ का मतलब हिंदी में

30 March 2017

बैक बेअरिंग और फॉरवर्ड बेअरिंग में अंतर तथा ग्रिड लाइन का परिभाषा

पिछले पोस्ट में हमने ट्रू नार्थ , ग्रिड  नार्थ , मैग्नेटिक नार्थ का परिभाषा के बारेमे जानकारी शेयर किया था इस पोस्ट में हम बेक बेअरिंग , फॉरवर्ड बेअरिंग में अंतर तथा मैग्नेटिक वेरिएशन का परिभाषा  के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !


अध्यन के दौरान हर विषय में ऐसे कुछ शब्द होते है जो की परम्परागत उपयोग के कारन स्वाम ही अपने विशेष अहमियत उस विषय के अन्दर रख लेते है ! पर उन शब्दों का लिबरल अर्थ ओ नहीं होता है जैसे की आम व्यावहारिक रूप से किया जाता है और ऐसे ही विशेष शब्दों को उस विषय का टेक्निकल  टर्म्स(Technicl terms) कहते है !

जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम

वैसे ही मैप रीडिंग से संबधित कुछ टेक्निकल टर्म(Map reading ke technical terms) का परिभाषा हम इस पोस्ट में जानेगे और आगे और भी पोस्ट हम लिखेंगे जिसमे बाकि के शब्दों का श्रृखलाबद्ध किया जायेगा !

इस पोस्ट को पढने के बाद मैप रीडिंग से सम्बंधित इन टेक्निकल टर्म्स का मतलब आप जन पायेगे :

  1. फॉरवर्ड बेअरिंग क्या होता है ?(Forward bearing kya hota hai)
  2. बेक बेअरिंग क्या होता है ?(Back bearing kya hota hai)
  3. ग्रिड किसे कहते है ?(Grid kise kahte hai)
  4. ग्रिड रेखाए क्या होती है ?(Grid lines kya hoti hai)
  5. कंपास की अपनी त्रुटी से क्या समझते है ?(Compass ki apni trutio se kya samajhte hai)
  6. कंटूर लाइन क्या होता है ?(Contoure line kya hota hai)
1. फॉरवर्ड बेअरिंग क्या होता है ?(Forward bearing kya hota hai):किसी स्थान पे खड़े होकर देखने वाले आदमी से अपने सामने के किसी स्थान या निशान का पढ़ा गया बेअरिंग फॉरवर्ड बेअरिंग कहलाता है !

2.बेक बेअरिंग क्या होता है ?(Back bearing kya hota hai): फॉरवर्ड बेअरिंग के विपरीत(Opposite), बेक बेअरिंग दुसरे स्थान या निशान से देखने वाले की ओर पढ़े जाने वाले बेअरिंग को बेक बेअरिंग(Back Bearing) कहते है !

जरुर पढ़े :मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा

3. ग्रिड किसे कहते है ?(Grid kise kahte hai): सर्वे मापों पर बैगनी रंग से खिची गई कड़ी और पड़ी रेखाओ के जाल को ग्रिड कहते है , जिनकी सहायता से मैपो पर दिए स्थान का रिफरेन्स निकलते है ! 

4. ग्रिड रेखाए क्या होती है ?(Grid lines kya hoti hai): सर्वे मैपो पर बैगनी रंग से खिची वे रेखाए , ग्रिड रेखाए कहलाती है जो नक़्शे पर बर्ग(Square) बनती है ! उत्तर से  दक्षिण को खड़े(Vertical) रुख खिची गई पूर्वी रेखाए (Easting line)और पूर्व से पश्चिम पड़े(Horizental) रुख खिची गई रेखाए उत्तरी रेखांये(Northing line) कहलाती है !

5. कंपास की अपनी त्रुटी से क्या समझते है ?(Compass ki apni trutio se kya samajhte hai): कभी कभी किसी खराबी के कारन जब उसकी सुई ठीक उत्तर(North) की  कुछ डिग्री दये और बाये हट जाय तो यह हटाव(Variation) कंपास की अपनी त्रुटी कहलाता है !


जरुर पढ़े :कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका


6. कंटूर लाइन क्या होता है ?(Contoure line kya hota hai): सर्वे मैपो पर भूरे रंग से खिची गई रेखाए कंटूर या कंटूर लाइन कहलाती है जो समुन्द्र सतह से निश्चित उचाई वाले भ-भागो से गुजरती हुई अपनी अपनी उचाई की रेखाओ में आकर मिलती है ! इसकी मदद से नक्शों पर भिन्न भिन्न स्थानोकी समुन्द्रतल से उचाई दर्शाई जाती है !


इस प्रकार से बेक बेअरिंग फॉरवर्ड बेरिंग तथा ग्रिड लाइन के परिभाषा से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुई ! उम्मीद है की पोस्ट पसंद आया होगा ! अगर कोई कमेंट हो तो उसे निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक कर के हमलोगों को और अच्छे पोस्ट लिखने के लिए प्रोतोसाहित करे !


इन्हें भी  पढ़े :

  1. अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके
  2. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  3. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  4. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका
  5. 13 तरीके मैप सेट करने का !
  6. 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
  7. 5 तरीको से मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टू माप जाने
  8. मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व
  9. मैप का परिभाषा , मैप का इतिहास और मैप का अव्श्काए
  10. मैप के प्रकार की विस्तृत जानकारी
  11. ट्रू नार्थ , ग्रिड नार्थ, मैग्नेटिक नार्थ का मतलब हिंदी में

ट्रू नार्थ , ग्रिड नार्थ, मैग्नेटिक नार्थ का मतलब हिंदी में

पिछले पोस्ट में हमने मैप के प्रकार की विस्तृत जानकारी प्राप्त की इस पोस्ट में हम मैप रीडिंग से सम्बंधित कुछ टेक्निकल टर्म्स जैसे ट्रू नार्थ(True North ka matlab hindi me), ग्रिड नार्थ(Grid North ka matlab hindi me) , लोकल मैग्नेटिक अट्रैक्शन (Local Magnetc Attraction hindi me) आदि शब्दों कई   उनके परिभाषा या मतलब जानेगे !


अध्यन के दौरान हर विषय में ऐसे कुछ शब्द होते है जो की परम्परागत उपयोग के कारन स्वाम ही अपने विशेष अहमियत उस विषय के अन्दर रख लेते है ! पर उन शब्दों का लिबरल अर्थ ओ नहीं होता है जैसे की आम व्यावहारिक रूप से किया जाता है और ऐसे ही विशेष शब्दों को उस विषय का टेक्निकल  टर्म्स कहते है !

जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम

वैसे ही मैप रीडिंग से संबधित कुछ टेक्निकल टर्म(Map reading ke technical terms) का परिभाषा हम इस पोस्ट में जानेगे और आगे और भी पोस्ट हम लिखेंगे जिसमे बाकि के शब्दों का श्रृखला बढ़ किया जायेगा !

इस पोस्ट को पढने के बाद मैप रीडिंग से सम्बंधित इन टेक्निकल टर्म्स का मतलब आप जन पायेगे :

  1. ट्रू नार्थ क्या होता है (What is true north in map reading in Hindi)
  2. ग्रिड नार्थ क्या होता है (What is grid north in map reading in Hindi)
  3. मैग्नेटिक नार्थ क्या होता है (What is Magnetic north in map reading in Hindi)
  4. स्थानीय चुम्बकीय आकर्षण (What is Local Magnetic attraction in map reading in Hindi)


1. ट्रू नार्थ क्या होता है(True north ka matlab ) : ध्रुव तारे की सहायता से जिस दिशा को हम मालूम करते है उसे ट्रू नार्थ कहते है तथा ट्रू नार्थ की और खिची गई रेखाओ को ट्रू नार्थ रेखाए कहते है ! सर्वे मैप पर ये रेखाए दक्षिण से उत्तर की ओर कलि रंग से  खिची जाती है !

2. ग्रिड नार्थ क्या होता है(Grid north ka matlab ) :सर्वे मैपो पर बैगनी रंग की दक्षिण से उत्तर को खिची गई रेखाए जिस उत्तर को इशारा करती है उसको ग्रिड नार्थ कहते है !

3. मैग्नेटिक नार्थ किसे कहते है(Magnetic north ka matlab ) : कंपास की सुई अर्थात चुम्बकीय सुई जिस उत्तर की और इशारा करती है उसे मैग्नेटिक नार्थ कहते है ! सर्वे मैपो पर मैग्नेटिक नार्थ को दर्शाने वाली रेखा नहीं खिची जाती है !

4. स्थानीय चुम्बकीय आकर्षण(Local Magnetic Attraction ka matlab) : कई स्थानों पर जमीन के अन्दर लोहा निकिल कोबाल्ट आदि कुछ धातुये है जो की कंपास की चुम्बकीय सुई को अपनी ओर आकर्षित करते है  जिसके कारन कंपास की सुई ठीक मैग्नेटिक नार्थ को न दर्शाते हुए थोडा दाए  या बाए  की ओर इशारा करती है उसका यही हटाव स्थानीय मैग्नेटिक अट्रैक्शन कहलाता है ! यह हटाव अगर पुर की और रहा तो उसे लोकल मैग्नेटिक अट्रैक्शन ईस्ट और पश्चिम की ओर रहा तो लोकल मैग्नेटिक अत्तर्क्तिओन पश्चिम कहलायेगा !


5. डिग्री क्या होता है(Map reading me degree ka kya matlab hota hai) : बेअरिंग की घुमाव को नापने की यूनिट  को डिग्री कहते है ये किसी भी सर्किल की परिधि का 360 व भाग होता है !

6. बेअरिंग क्या होता है(Map reading me bearing ka kya matlab hota hai ) : किसी एक स्थान से दुसरे स्थान को मिलाने वाली रेखा और उसी स्थान से तीनो उत्तर यानि ट्रू, मैग्नेटिक और ग्रिड नार्थ मेसे किसी एक नार्थ को मिलनी वाली रेखाओ के बीच की कोणात्मक दुरी को उस स्थान की बेअरिंग कहते है ! यह दुरी घडी की सुई के सुलटे रुख में डिग्री , मिनटों और सेकंड्स में मापी जाता है !

इस प्रकार से यहाँ ट्रू नार्थ , ग्रिड नार्थ , मैग्नेटिक नार्थ, लोकल मैग्नेटिक अट्रैक्शन , डिग्री और बेअरिंग से सम्बंधित परिभाषा और हिंदी में मतलब से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुई ! इस पोस्ट के पढने के बाद इन सवालो का भी जवाब मिल गया होगा जैसे :
  • सर्वे मैपो पर ट्रू नार्थ की लाइन किस रंग की होती है ?(On Survey maps True North lines are mark in which color)
  • सर्वे मैपो पर ग्रिड  नार्थ की लाइन किस रंग की होती है ?(On Survey maps Grid North lines are mark in which color)
  • सर्वे मैपो पर ट्रू नार्थ किस ओर से किस और खिची रहती है
  • सर्वे मैपो पर ग्रिड नार्थ किस ओर से किस और खिची रहती है 
  •  क्या सर्वे मैप पर मैग्नेटिक नार्थ की रेखा खिची रहती है ?

उम्मीद है की यह पोस्ट पसंद आएगा ! अगर इस पोस्ट से सम्बंधित कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पे लाइक करके हमलोगों को और पोस्ट लिखने के लिए प्रोतोसाहित करे !
इन्हें भी  पढ़े :
  1. अपना खुद का लोकेशन मैप पे जानना और नार्थ पता करने के तरीके
  2. कम्पास के प्रकार और आर्म्ड फोर्स के लिए इसका अहमियत
  3. सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
  4. 36 धरातलीय आकृतिया और उनके परिभाषा
  5. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  6. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  7. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  8. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  9. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  10. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  11. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका

26 March 2017

मैप के प्रकार की विस्तृत जानकारी

 पिछले पोस्ट में हमने मैप के इतिहास और मैप के परिभाषा के बारे में जानकारी प्राप्त किये ! इस पोस्ट में हम मैप के प्रकार या क्लासिफिकेशन के बारे में विस्तृत जानकारी शेयर करेंगे !


मैप चाहे प्रशासनिक , सैनिक कार्यवाई, यातायात या संचार के हो सभी प्रकार के मैपो का बर्गीकरण दो आधार पे किया जाता है और ओ आधार है :
  1. स्केल के आधार पर (Scale ke adhar par)
  2. उद्देश्य के आधार पर (Uddeshy ke adhar par)
1. स्केल के आधार पर मैपो का प्रकार : स्केल के आधार पर मैप तीन प्रकार  के होते है

जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
  • छोटी स्केल के मैप(chhoti scale ke map) : जिन मैपो पर जमीन की डिटेल्स के बीच के पड़े फासलों की साधारण से छोटी लम्बाई में दिखाया जाता है उन्हें छोटी स्केल के मैप कहते है !भारत में 1/500000और इससे ऊपर की छोटी स्केल के मैप इसी श्रेणी में आते है 

  • माध्यम स्केल के मैप(Madhya scale ki map) : जीन मैपो पर जमीन की डिटेल्स के बीच के पड़े फासलों की साधारण लम्बाई में दिखाया जाता है उन्हें मध्य स्केल के मैप कहते है ! भारत में 1/500000 से लेकर 1/100000तक के अनुपात के मैप मध्य स्केल में आते है 

  • बड़ी स्केल के मैप(Badi scale ki map) : जिन मैपो पर जमीन की डिटेल्स के बीच के पड़े फासलों को साधारण से बड़ी लम्बाई में दिखाया जाता है उन्हें बड़ी स्केल के मैप कहते है ! भारत में 1/100000और इससे कम अनुपात के जैसे 1/50000, 1/63360 और 1/25000 के बड़े मैप बड़ी स्केले के मैप की श्रेणी में आते है !

यह स्केल का  सिद्धांत सभी देशो में एक सामान नहीं है इसलिए ऊपर विशेष कर भर में जो स्केल फॉलो कियाजाता है उसी आधार बनाकर बर्गीकरण किया गया है !

2. उद्देश्य के आधार पर मैपो के प्रकार : इस आधार पे मैपो का तीन प्राकर होते है 
  1. सम्पूर्ण सूचना वाले मैप (Sampurn suchna wale map): इनमे हम उन मैपो के शामिल करते है जिन्हें बहुत बड़ी स्केल में बनाया जाता है ! जैसे प्लान मैप , फैक्ट्री मैप ,कैंप और डिपो  आदि का निर्माण का मैप ! हवाई जहाज से ली गई तस्वीर को जोड़ने से जो फोटो बनते है उन्हें भी सम्पूर्ण सुचना वाले मैपो के श्रेणी में रखते है ! ये मैप जमीन की वास्तविक तस्वीर तो होते है परन्तु जमीनी डिटेल्स को समझना बड़ा कठिन होता है !

  2. सम्बंधित सुचना वाले मैप(Sambandhit suchanwale map) : इन में उन मैपो को शामिल किया जाता है जिनमे उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उससे सम्बंधित सामग्री को ही दिखाया जाता है ! इन मैपो को आगे हम पांच भागो में बाँट सकते है !
  • गाइड मैप(Guide map) : इन मैपो का उद्देश्य यात्रियों की दार्शनिक स्थानों पर जाने वाले एवं अन्य सम्बंधित रास्तो को दिखाना होता है ! इनमे रंगों के हलके और गढ़ेपन से भी अलग अलग रस्ते की बनावट को स्पस्ट किया जाता है !यात्रिओ के सुविधा के लिए सराय  , होटल तथा दिल्चास्प्य स्थानों को दिखाया जाता है !
  • जरुर पढ़े :कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  •  रोड एवं रेल मैप(Road and rail map) : परवहन या दूर दूर जाने वालो की सुविधा के लिए सडको एवं रेलों के मैपो का निर्मद किया जाता है इनमे केवल मुख्य मुख्य सड़के रेल मार्ग ही दिखाए जाते है !

  • रिलीफ मैप : य मैप इस प्रकार के ठोस पदार्थ से बनाये जाते है की इनसे जमीन की बनावट की सही ज्ञान को जाये ! कुछ रिलीफ मैप कागज पर भिन्न भिन्न रंगों की मदद से भी बनाये जाते है ! सेना में इन मैपो के स्थान पे सैंड मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है !

  • शिक्षा सम्बंधित मैप(Shikhsa sambandhit map) : इनका निर्माण स्कुल में विध्यार्थियो को भौगोलिक शिक्षा देने के लिए किया जाता है !इन मैपो में जलवायु , वर्षा , खनिज , उपज , उद्योग, बंदरगाह ,पर्वत  नदी , रेल सड़क वायु व जल मार्ग तथा प्रकृति भाग दिखाए जाते है !

  • रूप रेखा मैप (Rup rekha map): इन मैपो में प्रशाशन सम्बंधित सूचनाये देश की राजनैतिक बाँट या फौजी मुख्यालय की स्तिथि दिखाई जाती है ! इसमें केवल विषय और उद्देश्य से मतलब रखने वाले स्थान ही दिखाए जाते है !
  • जरुर पढ़े :मैप कितने प्रकार के होते है ?
     3.  सिमित सुचनावाले  मैप (Simit suchnawale map): इन मैपो में न तो पूरी पूरी संगृह दिखाई जाती है न ही किसी उद्देश्य की पूर्ति होती है ! इनमे जमीन के सभी कुदरती व बनावती अंगो को किसी एक सीमा तक दिखने की कोशिस की जाती है !इनको दिखने में उन अंगो की प्रमुखता दी जाती है जिनका सम्बन्ध विषय से ज्यादा होता है ! ये  मैप  तीन प्रकार के होते है 
  • एटलस मैप(Atlas map) : ये बहुत छोटी स्केल के मैप होते है ! इन मैपो में पूरी पृथ्वी के किसी एक महाद्वीप या एक दुसरे देश को एक ही पृष्ठ पर दिखाया जाता है ! इनमे नदिया , पर्वतों और बड़े शहरो को एक साथ ही दिखाया जाता है !

  • टैक्टिकल मैप (Tectical map): ये गुप्त रखे जाते है और गुप्त सैनिक सूचनायो को प्रकट करते है ! इनका निर्माण फील्ड स्केच के मदद से किया जाता है ! एडवांस , अटैक, डिफेंस आदि के लिए अवस्था अनुसार बनाया जाता है !

  • टोपोग्राफिकल मैप (Topographical map): इन मैपो में जमीन के सभी संभव कुदरती भाग जैसे नदी, नाले, पहाड़, जंगले, आदि की बनावती चीजे जैसे सड़क, रेल, लाइन नहरे, बांध, कटाई , भराई , माकन यदि दिखाए जाते है ! हमारे देश में इन मैपो का निर्माण सर्वे बिभाग द्वारा किया जाता है ! इन्ही मैपो का सम्बन्ध मैप रीडिंग विषय से है !

इस प्रकार से यहाँ मैप के प्रकार और क्लासिफिकेशन से समबन्धित पोस्ट समाप्त हुई उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पेज लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !
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  3. सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
  4. 36 धरातलीय आकृतिया और उनके परिभाषा
  5. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  6. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  7. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  8. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  9. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  10. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  11. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका

मैप का परिभाषा , मैप का इतिहास और मैप का अव्श्काए

 पिछले  पोस्ट में हमने मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा उसका महत्व के बारे में जानकारी शेयर किया था और इस पोस्ट में हम मैप का परिभाषा , मैप का इतिहास और मैप की अव्श्क्ताये क्या होती है इसके बारेमे जानकारी हासिल करेंगे !


मैप रीडिंग की जानकारी हासिल करते समय हमारा ज्यादातर सम्बन्ध मैप व जमीन दनो के साथ पड़ता है ! इनमे से हम यदि जमीन को मैप रीडिंग का साधन मने तो मैप उसकी सामग्रीः है !जिस प्रकार से पुलिस के ट्रेनिंग में और सब विषयों की अहमियत होती है उसी प्रकार से मैप रीडिंग की भी अपनी महत्व है पुलिस ट्रेनिंग में !

इस पोस्ट में हम इन सवालो का जवाब जानने की कोशिश करेंगे
  1. मैप क्या है(Map kya hai) ?
  2. मैप का परिभाषा (Map ki paribhasha hindi me)
  3. मैप का इतिहास (Map ka itihas)
  4. मैप की आवश्कता (Map ki awshkatye)

Map ( pratikatmak)
1. मैप क्या है(Map kya hai) ? मैप बनाने का उद्देश्य यह है की  उसके द्वारा जमीनी इलाके का पूरा पूरा जानकारी हो जाये ! इसीलिए मैप किसी इलाके का कागज पर बनाया गया ऐसा चित्र होता है जिसके द्वारा उस इलाके की जमीन की सही जानकारी हो जाये ! लेकिन इसमें दिखाए गए जमीनी इलाके की शक्ल वैसी नहीं होती जैसी की वह जमीन पर दिखाई देती है !

मैपो पर अनावश्यक जमीनी निशानों को छोड़ दिया जाता है जबकि आवश्यक जमीनी निशानों को मैप पर उसके अनुपात से भी बड़ा कर के दिखाया जाता है जैसे : सडक , मंदिर , अकेला माकन आदि ! अनावश्यक जमीनी निशानॉ को जैसे झाडिया , छोटे छोटे दरख्त इत्यादि को मैप पे नहीं दिखाया जाता है ताकि मैप पर आकृतियों का जमघट न हो जाये !

जरुर पढ़े :मैप कितने प्रकार के होते है ?

मैप पर रंगों का भी प्रयोग किया जाता है ताकि धरातल की तुलना आसानी से किया जा सके !सर्वे मैप किसी जमीनी इलाके का हुबहू तस्वीर न होकर केवल मुख्य मुख्य चीजो की रूप रेखा ही होती है !

यानि साधारण शब्दों में कहे तो मैप क्या है तो हम कह सकते है की मैप  किसी जमीनी इलाके का चीज के ऊपर बनाया हुवा चित्र है जो की हुबहू नहीं होता है !

2. मैप का परिभाषा(Map ki paribhasha hindi me ): जब किसी जमीनी इलाके को किसी कागज पर , किसी निश्चित स्केल में निश्चित कन्वेंशनल साइन का प्रोयोग करते हुए तथा जमीनी उचाही- नीचे और प्रोजेक्शन विधि को दिखाते हुए चित्रित किया जाता है तो उसे मैप कहते है !

जरुर पढ़े :कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका

3. मैप का इतिहास(Map ka itihas hindi me): प्राचीन काल में साधारण भूभागो के मैप को तो बनाने का कोई खास प्रमाण नहीं मिलता है लेकिंन कोई कोई राजा अपने एरिया के लड़ाई वाले इलाको का मैप  इत्यादि बनवाते थे !

पुराने काल में भारत, यूनान और रोम इत्यादि देशो में जो मैप प्रोयोग में लाये जाते थे ओ अधिकतर ताम्बे की प्लेटो और गतो पर ही बने होते थे ! यूनान में लकड़ी और मिट्टी के सहायता से भी अपने राज्यों के सीमा को दिखने के लिए कुछ मॉडल बनाया जाता था !

जरुर पढ़े :मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा

कागज पर सबसे पहला मैप 1820 में बना मन जाता है जो की ब्रिटिश म्यूजियम में रखा हुवा है ! भारतीय भूभाग के लिए सबसे पहला मैप संन  1824 में क्वार्टर इंच की स्केल(1/4"= 1 मिल) के मैप इंग्लैंड में बनाना शुरू हुआ ! इस स्केल का मैप सन 1827 में छपा  और सन 1867 में पुरे भारत का के इस स्केल का मैप बन गए ! उन समय इन मैपो को भारत का एटलस कहा जाता था !

बाद में ये मैप भारत में ही बनाने लगे और सन 1905 में 1"= 1 मिल व इससे बड़ी स्केल के मैप बनाने शुरू हुए !

4. मैप की आवश्कता (Map ki awshkatye): मैप के उद्देश्य और उसके इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए मैप की निम्न रूप में अवाश्क्ताये  पड़ती है :

  • सरकार को राज्य के विकाश और सुरक्षा की पलान्निंग के लिए 
  • आर्म्ड फ़ोर्स के कमांडर को को सीमा और अपने क्षेत्र के सुरक्षा के प्लानिंग बनाने के लिए 
  • सैलानियो को घुमने जाने के स्थानों को जानने के लिए और यात्रा का प्लान बनाने के लिए 
  • विद्यार्थियो को भूगोल के विषय में देश विदेश की पूरी भौगोलिक जानकारी प्राप्त करने के लिए 
  • सरकारी अधिकारिओ को निर्माण स्थान , निर्माण कार्य आदि को दर्ह्सने के लिए 
  • प्रशाशनिक कर्वाहियो में सड़क , रेलवे , हवाई जहाज व समुन्दी मार्गो को निश्चित करने के लिए !
आज के समय में मैप का बहुत ही ज्यादा अवाश्काताए है क्यों की मैप के सहारे ही हम एक देश से दुसरे देश इतने आसानी से चहले जाते है !

जरुर पढ़े :सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास mk-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम

इस प्रकार से मैप की परिभासा , मैप के इतिहास और मैप की अवाश्क्ताये से सम्बंधित एक संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुई उम्मीद है की ये पोस्ट आपलोगों को पसंद आएगा ! अगर इस पोस्ट के बारे में कोई कमेंट हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक के ऊपर लाइक कर हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !
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  7. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  8. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  9. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  10. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  11. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका

25 March 2017

मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के महत्व

पिछले पोस्ट में   हमने  मैप रीडिंग के  बहुत से विषयो के बारे में जानकारी हासिल किये है जिसका लिस्ट इंडेक्स सेक्शन में  दर्ज है ! परंतु मैप रीडिंग के इस पोस्ट में हम मैप रीडिंग के उद्देश्य (Map reading ka uddeshya)और मैप रीडिंग के महत्व(map reading ka mahatw)  जानकारी शेयर करेंगे !


 आर्म्ड फाॅर्स के जवानों को अपने ड्यूटी के दौरान  आपरेशन  में शामिल होना पड़ता है या खुद ही उस आपरेशन का नेतृत्व करना पड़ता है ! अपने जिम्मेवारी  के एरिया में  रहते हुए अपने दुश्मन के इलाको की पूरी जानकारी होना जरुरी है  अपराधियो के खिलाफ  करके करवाई की  जा सके!

 हम इन दो विषयो के बारे  में जानेगे : 
  1. मैप रेडिंग  उद्देश्य  क्या होता है (Map reading ka uddeshy kya hota hai )
  2. मैप रीडिंग का महत्व (Map reading ka mahatwa kya hai)

1.  मैप रीडिंग का उद्देश्य(Map reading ka uddeshy) :आर्म्ड फाॅर्स के जवानों तथा कमांडर्स को इस काबिल बनाना है की वे किसी जमींन  मैप पढ़कर उस जमीन को बिना देखे उसकी असली बनावट का सही अंदाज लगाकर अपराधियो के  खिलाफ जरुरत के अनुसार प्रयोग कर सके !

जरुर पढ़े :मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व

मैप रीडिंग की सिखलाई को दो  भागो  में बाँट सकते है :
  • मैप रीडिंग की सिद्धान्त(Map reading ka theory) : इस की सिखलाई ज्यादातर क्लास रूम के  जाती है जिसमे की हम परिभाषा और सिम्बोल को मैप  दिखाया जाता है और ग्राउंड के ऊपर की प्राकृतिक और बनावटी संरचनाये कैसे दिखाई जाती है !
  • मैप रीडिंग के कौशल(Map craft) :इस के दौरान  सिखली गई थ्योरी को ग्राउंड पे समझाया जाता है इस लिए मैप रीडिंग थ्योरी और  मैप  क्राफ्ट में गहरा सम्बन्ध है !मैप के बारे में जानकारी   हासिल करने के बाद हम मैप के सहायता से जमीन की असली बनावट को समझते है तथा उसका प्रयोग करते है 
यानि की दूसरे शब्दो में कहे तो मैप रीडिंग का उद्देश्य आर्म्ड फाॅर्स को जवानों को इस काबिल बनाना ओ मैप पढ़कर किसी एरिया के जमीनी बनावट को समझ सके और अगर जरुरत पड़े तो उस एरिया में आपरेशन  कर सही  अंजाम दे सके !

जरुर पढ़े :मैप कितने प्रकार के होते है ?

2. मैप रीडिंग  का महत्व(Map reading ka mahatw) : अपराधियो के खिलाफ करवाई करते समय बड़े कमांडर्स के लिए पुरे इलाके को जमीन पर  देखना सम्भव नहीं रहता है ! उसके खिलाफ करवाई को प्लानिंग मैप की सहायता से बनानी पड़ती है ! मैप  से जमीन की बनावट, पहचाने के रस्ते , बचाव व हमले यदि का योजना बनाई जाती है ! इससे समय की बचत तथा करवाई को गुप्त रखा जाता है ! इस लिए  का महत्व आर्म्ड  बहुत ही है !

मैप रीडिंग के कुछ फायदे(Map reading se fayde is prakar hai) इस प्रकार से है :
  • दुश्मन व  अनजाने इलाके में सैनिक महत्व के स्थानों की जानकारी प्राप्त की  है !
  • कमांडर दुश्मन के इलाको की जानकारी प्राप्त कर उसके खिलाफ  योजना बना सकते है  
  • दुश्मन के इलाको पर  हमला करना और उसपे कब्ज़ा  करना आसान होता है 
  • जंगली , पहाड़ी तथा मुश्किल इलाको के रास्तो  की मदद से तय करना आसान होता है !
  • रात के वक्त दुश्मन के नजदीक पंहुचा जा सकता  है  
  • लंबे इलाके में एके साथ युद्ध की करवाई जारी रखी जा सकती है 
  • बचाव के लिए जगहों का चुनाव व बचाव के लिए प्लानिंग बनाना आसान होता है 
  • आपसी मिलाप को  बनाये  मदद मिलता है !
  •  आपरेशन में भाग लेने वाले जवानों के बिच  आत्म विश्वास को बढ़ता है !

इस प्रकार से यहाँ मैप रीडिंग के उद्देश्य तथा मैप रीडिंग के  सम्बंधित एक संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुई ! उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! अगर इस पोस्ट से सम्बंधित कोई कमेंट हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब तथा फेसबुक पेज को लाइक  कर के हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !

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  7. फिजिकल ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट और उसका अहमियत
  8. पुलिस फिजिकल ट्रेनिंग के सिद्धांत, उसूल और हादसे रोकने के तरीका
  9. योग और शारीरिक व्याम में इसका महत्व
  10. फूट ड्रिल -धीरे चल और थम
  11. खुली लाइन और निकट लाइन चल
  12. परेड ड्रिल में आगे और पीछे कदम लेना !
  13. पुलिस यूनिफार्म और उसका इतिहास

19 March 2017

7 मुख्य बाते 51 mm मोर्टार से इन डायरेक्ट फायर करने के बारे में

पिछले पोस्ट हमने 51 mm मोर्टार से डायरेक्ट फायर करने के बारे में जानकारी हासिल की , इस पोस्ट में हम 51  mm  मोर्टार से इन डायरेक्ट फायर(51 mm Mortar se direct fire karne ke tarike) करने के बारे में जानेंगे !

 जैसे की हम जानते है की बम का रिटेनर कैप ढिल्ला होने से बम का मिसफायर होने से बचने   के  लिए  बम  पहले  चेक करना चाहिए !

51  mm  मोर्टार एक इन्फेंट्री पलटन का एरिया वेपन है ! इस हथियार में डायल  साइट(51 mm mortar ke dail sight) की सुविधा है ! जिस से हम नजर आने वाले और नजर नहीं आने वाले दुश्मन के ऊपर उन स्थान से भी फायर डाल सकते है जहा पर फ्लैट ट्रेजेक्टरी वाले हथियार से फायर नही डाला जा  सकता है !

इस पर नम्बर-1  और नम्बर-2 टीम के तौर  पे काम करते हुए  इस प्रकार से  हम भिन्न भिन्न हालातों में डायरेक्ट और इन डायरेक्ट फायर डाल  सकते है !


इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप इन सवालो  जान सकेंगे :
  1. 51 मोर्टार का इन  डायरेक्ट फायर किसे कहते है ?(51 mm Mortar ke in d irect Fire kise kahte hai)
  2. 51 मोर्टार का इन डायरेक्ट फायर करते वक्त ध्यान में  बाते (51 mm Mortar se in direct fire dalte samay dhyan me rakhne wali bate)
  3. 51 mm  मोर्टार से इन  डायरेक्ट फायर डालने के फायर कण्ट्रोल आर्डर देने का नमूना (51 mm Mortar se indirect fire dalne ke liye fire control order )
  4. ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क क्या होता है (Auxiliary aiming  mark kya hota hai )
  5. ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क की जरुरत(Auxiliary aiming  mark ka  jarurat kab  hota hai)
  6. ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क  को लगते समय ध्यान में रखने वाली बाते(Auxiliary aiming  mark lagate samay dhyan me rakhne wali bate )
  7. 51 मोर्टार से इन डायरेक्ट फायर डालने का तरीका (51 mm Mortar se in direct fire dalne ke tarike)
1. 51 मोर्टार का इन  डायरेक्ट फायर किसे कहते है ?(51 mm Mortar ke indirect Fire kise kahte hai):जब एक मोर्टार डिटैचमेंट बिना टारगेट को देखने अपनी मोर्टार को किसी कुदरती या बनावटी निशान की मदद से ले करके हवा का रुख रखते हुए टारगेट को बर्बाद करता है तो इस प्रकार के फायर को इन डायरेक्ट फायर कहते है !


2 . 51 मोर्टार का इन डायरेक्ट फायर करते वक्त ध्यान में  बाते(51 mm Mortar se in direct fire dalte samay dhyan me rakhne wali bate) :  51 mm  मोर्टार से इन डायरेक्ट फायर  समय ध्यान में रखने वाली बाते:
  •  इन डायरेक्ट फायर उस हालात में किया जय जबकि टारगेट की ईमारत , क्रेस्ट या पहाड़ी के पीछे हो और बम को टारगेट पे खड़े रुख में गिराने की जरुरत हो !
  • एंगल हमेशा सिधाई  सतह से लेना चाहिए 
  • इन डायरेक्ट फायर में यदि लो एंगल से क्रेस्ट किलियरैंस न हो रहा हो तो हाई एंगल से फायर करना चाहिए !
  • इन डायरेक्ट फायर उस समय डाला जाता है जब फायरर टारगेट को न देख रहा हो लेकिन टारगेट की दिशा को अच्छी तरह से जनता हो !
3 . 51 mm  मोर्टार से इन  डायरेक्ट फायर डालने के फायर कण्ट्रोल आर्डर देने का नमूना (51 mm Mortar se indirect fire dalne ke liye fire control order ):  है की जब टारगेट सीधी तरीके से नहीं दिखाई देता है उसी समय हम इन डायरेक्ट फायर डालते है ! इसलिए  को टारगेट की पोजीशन और लोकेशन के देखने के लिए डिटैचमेंट कमांडर , मोर्टार डेट को एक्सिस ऑफ़ एडवांस मिलने पर वह फायर  और मूव के तरीके से क्रेस्ट लाइन तक जाता है और इलाके को सर्च करता है !और हुकुम देता है :
  • मोर्टार डेट सामने देख 
  • 750 मीटर एक गोल दरख्त 
  • दरख्त 6  बजे दुश्मन का एलएमजी पोस्ट 
  • बर्बाद करेंगे HE -I  CH -II  से 
  • मोर्टार पोजीशन क्रेस्ट लाइन से पहले 30 गज  दबी ज़मीन 

इस कमांड देने के बाद डेट कमांडर और मोर्टार डेट वापिस पीछे  आते है   भर और ले की करवाई करते है  ! नम्बर-2  क्रेस्ट लाइन पर लाइन ऑफ़ फायर से 15 -20  गज दाहिने या बाये क्रेस्ट के साथ पोजीशन लेता है और फायर का  आदेश देता है !

यदि करेक्शन देने की जरुरत पड़ा तो मुनासिब करेक्शन देकर टारगेट को बर्बाद किया जाता है ! करेक्शन देने के तरीके इस प्रकार से है :
51 mm Mortar
51 mm Mortar
  • 500  गज तक के रेंज के लिए आगे पीछे के लिए 50  मीटर और दाहिने और बाएं के लिए 5  डिग्री का कोई करेक्शन नहीं दिया जाता है ! अगर रेंज 500  से ज्यादा है तो ऊपर निचे 50 मीटर और दाहिने बाएं 3  डिग्री के लिए कोई करेक्शन नहीं दिया जाता  है !
  • करेक्शन देते समय यह ध्यान में रखना चाहिए की अगर टारगेट 1000  गज पे है तो 1 डिग्री  करेक्शन से 17  गज का फर्क पड़ता है और 500 गज पे है तो 8. 5  गज का फर्क पड़ता है !
  • 51 mm मोर्टार एरिया वेपन है तीन से चार बम फायर करके टारगेट को बर्बाद 
  •  एक HE  बम का मार डालने  का इलाका  फटने के जगह से चारो ओर  11  मीटर होता है !
  • 5 डिग्री कवर करेगा 5  x 8 . 5  गज यानि 42. 5  गज  और एक HE   कवर करेगा 11  गज और 2 बम करेगा 44  गज इसलिए हम 50  गज और 3 या 5  डिग्री तक कोई करेक्शन नहीं देते है क्यों की इतनी दुरी बम के मर डालने के इलाके के अंदर आ जाते है !

4 . ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क क्या होता है (Auxiliary aiming  mark kya hota hai ): ऐसा निशा जिन्हें बनावटी तौर पर तैयार करके उनकी मदद से टारगेट को बर्बाद किया जाता है उन्हें ऑक्सीलिरी मार्क कहते है !जैसे लकड़ी , पत्थर तथा बैनोट इत्यादि ! परंतु जब हम ऑक्सीलिरी मार्क के लिए कण्ट्रोल आइटम का इस्तेमा करते है तो डिसमॉन्ट के समय उन कण्ट्रोल आइटम्स की लेना नहीं भूलना चाहिए !

5 . ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क की जरुरत(Auxiliary aiming  mark ka  jarurat kab  hota hai) :जब फायरर  न दिखाई दे रहा हो और टारगेट के आसपास कोई कुदरती या बनावटी निशान भी मौजूद न हो तो हम जिन बनावटी निशानों को लगाकर मोर्टार को ले करके बर्बाद करना पड़ता है !

6 . ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क  को लगते समय ध्यान में रखने वाली बाते(Auxiliary aiming  mark lagate samay dhyan me rakhne wali bate ) :ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क लगते समय इन बाटे को विशेष ध्यान देना चाहिए :
  • बैकग्राउंड से मिलता जुलता हो 
  • स्काइलाइन पे न लगाया जाय 
  • मजबूती से लगाया जाय 
  • लगाने वाले दुश्मन को न दिखाई दे 
  • पहले ऑक्सीलिरी मार्क से दूसरे ऑक्सीलिरी मार्क के बिच इतनी दुरी हो की लगाने वाला नम्बर-1  ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क और टारगेट दिखाई दे इस  सीधे हासिल होगी !
  •  आइटम का इस्तेमाल किया गया हो तो डिसमॉन्ट के समय सभी ऑक्सीलिरी मार्क को वापस लेलेना चाहिए !

7 . 51 मोर्टार से इन डायरेक्ट फायर डालने का तरीका (51 mm Mortar se in direct fire dalne ke tarike): ट्रेनिंग के दौरान : उस्ताद क्लास को एक्सिस ऑफ़  देता है और फायरिंग की करवाई इसप्रकार से करता है  :
  • फायर और मूव अख्तियार करते हुए  एक्सिस ऑफ़ एडवांस के दिशा  में मूव करे  
  • डेट कमांडर या नम्बर-2 फायर का आर्डर देगा 
  • मोर्टार डेट सामने 450 मीटर एक बड़ा पत्थर दुश्मन का एलएमजी पोस्ट बर्बाद करेंगे HE MK -I CH -II से मोर्टार पोजीशन 20 मीटर पीछे माउंट मोर्टार 
  •  कमांडर या नम्बर-२ क्रेस्ट पर ही रह और क्रेस्ट आड़ के मुताबिक पोजीशन लेता है 
  • और टारगेट और नम्बर-1  को देखते हुए नम्बर-1 ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क लगता है !
  •  फिर इतना पीछे आकर नम्बर-2 ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क  लगता है , की उसे टारगेट दिखाई दे !
  • यों कहे नम्बर-1 मार्क और टारगेट को एक सीध  में रखते हुए इतने पीछे आता  है की टारगेट आसानी से दिखाई दे और दूसरा ऐमिंग मार्क लगाये !
  • अब नम्बर-2 या कमांडर क्रेस्ट पर  दाहिने या बाएं इस से 20 गज दुरी पर पोजीशन ले जिससे की शार्ट फॉल के नुकशान से बचा जा सके और नम्बर-1 को भर और फायर का आदेश दे 
  • और नम्बर-1 की मदद के लिए पीछे आएगा और उसे भरने और खाली  करने में मदद करेगा !
  • दूसरा क्रेस्ट पर मार देखेंगे की जायेगा !
  • टारगेट बर्बाद होने पर टारगेट बर्बाद डिसमॉन्ट मोर्टार का आदेश देगा !यदि बम टारगेट पर न गिरे तो पीछे सीखे तरीका से करेक्शन देकर बर्बाद करेगा  में डिसमॉन्ट मोर्टार पर ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क भी वापस लायगे 
इनडाइरेक्ट फायर हम दो तरीको से करते है(51 mm Mortar se Indirect Fire karne ke tarike) :
  1. सब्सिडरी ऐमिंग मार्क के सहायते 
  2. ऑक्सीलिरी ऐमिंग मार्क के सयते 
इस प्रकार से 51 mm  मोर्टार के इन डायरेक्ट फायर करने के तरीके से सम्बंधित संक्षिप्त पोस्ट समाप्त हुवे उम्मीद है की पोस्ट  पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक कर के हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !
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  8. 51 mm मोर्टार डिटैचमेंट का काम, बनावट और फायर कण्ट्रोल करने का तरीका
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