पिछले पोस्ट में हमने मैप के ऊपर अपना पोजीशन कैसे पता कर सकते है उसके बारे में जानकारे शेयर की इस पोस्ट में हम जानेगे मैप तो ग्राउंड और ग्राउंड तो मैप क्या होता (Map to ground and ground to maap ka tarika) है और इसको हासिल करने का तरीका के बारे में !
इसकी जानकारी होना क्यों जरुरी है की यदि किसी ऐसे भूभाग पर अचानक पहुँचने जिसके बारे में कुछ नहीं जानते तो वैसे स्थान पे हम तक तक कोई करवाई नही करते जब तक की उसकी हम मैप पर देख कर उसके बारे में जानकारी हासिल कर ले या लोगो पे पूछ कर जानकारी हासिल कर ले !
लेकिंग ऑपरेशन के दौरान किसी और से अगर हम पूछ कर जकारिया हासिल करेंगे तो या तो हो सकता है की उस समय कोई आदमी न मिले या हम अगर इसी गुप्त मिशन पे है तो अपना पहचान जाहिर हो जाये!
जरुर पढ़े :मैप कितने प्रकार के होते है ?
इस लिए हमे इस काबिल होना चाहिए की मैप के रूधि चिन्हों को देखकर उस वास्तु को जमींन पर ढूंढ सके और जमीन की वास्तु को मैप पे ढूंढ सके!
परिभाषा (Map to ground or ground to map ka paribhasha ) : मैप पे दिखाई देनेवाले रूधि चिन्हों को पढ़कर उसे जमीन पे धुंध लेना ही मैप तो ग्राउंड कहलाता है और जमीन पे दिखाई देनेवाले मुख्य मुख्य वस्तुओ को उसके रूधि चिन्हों के अनुसार मैप पे ढूंढ लेना ग्राउंड तो मैप कहलाता है !
मैप टू ग्राउंड के तरीके(Map to ground pata karne ka tarika) : मैप टू ग्राउंड की तरीके इस प्रकार से है
1. बेअरिंग और फासलो की मदद से(Bearing aur faslo ki madad se ) : इस तरीके में सबसे पहले मैप सेट करके किसी भी तरीके से अपनी पोजीशन ज्ञात करते है ! फिर खुद की पोजीशन से स्केल की सहायता से उस निशान तक का ज़मीनी फासला भी ज्ञात करते है जिसे ज़मीन पर पहचानना है !
बाद में सर्विस प्रोटेक्टर से अपनी पोजीशन से उस स्थान तक का ग्रिड बेअरिंग ज्ञात करते है और इसे मैप पर दी गयी सुचना की मदद से मैग्नेटिक बेअरिंग में तब्दील कर लेते है ! इसके बाद में अपने स्थान पर खड़े होकर देखते है ! इस मैग्नेटिक बेअरिंग पर मैप से ज्ञात किये हुए ज़मीनी फासले पर कौन कौन से प्रसिद्ध निशान आते है ! इन निशानों की मदद से हमें वांछित ज़मीनी निशान मिल जायेगा !
जब हम उस स्थान को ज़मीन पर ढूढ लेते है तो आस पास की डिटेल्स से मिलन करके इसकी तस्सली करते है की हमने ठीक ज़मीनी निशान ढूढा है की नहीं !
2. दिशाओ और फसलो की मदद से(Dishao aur faslo ke madad se ) : इस विधि में मैप सेट करके उस में अपनी पोजीशन से उस वक्त निशान तक एक रेखा खींचते है जिसे ज़मीन पर ढूँढना है ! फिर स्केल लाइन के मदद से अपनी पोजीशन तक उस निशान से बिच की दुरी मालूम करके ज़मीनी फासला ज्ञात करते है और फिर निम्न तरीके से उस निशान की ज़मीनी दिशा मालूम करते है !
- साईट रूल की मदद से
- मैप की दोनों निशान सीधे अंदाज से
- अपनी पोजीशन पर फूट रूल या पेंसिल खड़ा करके रेखा खिंच कर घुमाते है , फिर रेखा के ऊपर से निशान की ज़मीनिं रेखा ज्ञात करते है
- मैप पर अपनी पोजीशन पर और दुसरे निशान पर एक एक आलपिन गाड कार दोनों पिन की सिद्ध में निशान की दिशा ज्ञात करते है !
- माप के पास खड़ा होकर अपनी पोजीशन से मैप पर दिखाई गई दुसरे निशान की ज़मीनी दिशा अंदाज से सीधी लेकर मालूम की जा सकती है !
- अंदाज से : इस विधि में नियम अनुसार ज़मीनी बेअरिंग , दिशा और फासला नापे बिना ही मैप के निशानों को ज़मीन पार उनके रुख और उनकी आस पास के निशानों को देखकर ढूंढ लिया जाता है ! लेकिन इसके लिए काफी अभ्यास की जरुरत पड़ती है !
मैप तो ग्राउंड के तरीका अपनाने में बहुत सी कठिनाइय भी आता है जैसे बहुत से मौकों पर फासला असल से ज्याद नज़र आता है और बहुत बार फासला असला से कम भी नजर आता है जिसके कारन हम ज़मीनिं निशान का फासला का अंदाज सही सही नहीं लगा पता है और मैप तो ग्राउंड करने में गलती कर बैठते है !
ग्राउंड टू मैप के तरीके(Ground to map ke tarike)
3. साधारण विधि(Sadharan vidhi se) : इस विधि से हम उन ज़मीनी निशानों को मैप पर ढूढ़ लेते है जिश का ज़मीनी फासला ज्ञात हो , इसमें सबसे पहले कम्पस द्वारा फॉरवर्ड बेअरिंग पढ़ते है फिर फासले का अंदाज़ लगते है ! उसके बाद पढ़ी गयी बेअरिंग को मैप पर दिए गए अंतर के अनुसार ग्रिड बेअरिंग में बदल लेते है, तथा मैप पर अपनी पोजीशन से उसे ग्रिड बेअरिंग पर एक सरल रेखा खीच देते है ! समतल रेखा पर अनुमानित फासला के लिए सर्विस प्रोटेक्टर से नाप कर एक चिन्ह लगा देते है ! अब इस चंह के आस पास हम उसी ज़मीनी निशान को तलाश करते है ! जिसे हमें ज़मीन पर देखा था ! आस पास की डिटेल्स के सहायता से इसको सही होने का यकीं कर लेना चाहिए !
4.इंटर सेक्शन विधि द्वारा(Inter section ke vidhi se) : जब दूर के किसी निशान /स्थान की पोजीशन को हम दो जाने पहचाने निशान से रेखा खिंच कर उसका ज्ञात करते है तो उसे इंटर सेक्शन की विधि कहते है ! यह विधि निशान काफी दूर हो या शत्रु के कब्जे हो तब हम अपनाते है
5. दिशा ज्ञात करके(Disha gyat karke) : इस विधि में ज्ञात करके अपनी पोजीशन पर निशान लगा देते है फिर ज़मीनी निशान की सही दिशा मालूम करके अपनी पोजीशन से ज़मीनी निशान की तरफ एक सरल रेखा खीच देते है और फासले के अनुमान पर एक बिंदु इस रेखा पर लगते है और निम्न तरीके से हम ज्ञात करते है :
- पेंसिल और फूट रूल को अपनी प्सितिओं पर खड़ा करके ज़मीनी निशान की तरफ झुकाते हुए मैप पर रख देते है !
- आलपिन की मदद से इसमें एक आलपिन अपनी पोजीशन पे गाड देते है फिर ज़मीनी निशान की ठीक दिशा देखते हुए दूसरी पिन गाड देते है !
- डिटेल्स के मदद से सही दिशा ज्ञात करके मैप में लगा देते है !
- अंदाज से : इस विधि में बेअरिंग नपे बिना ही ज़मीनी निशानों को मैप पर उनके रुख और ज़मीई फासला की मदद से ढूढ़ते है !
जरुर पढ़े :मैप रीडिंग और मैप रीडिंग का महत्व
इस प्रकार से इस पोस्ट में हमने मैप टू ग्राउंड और ग्राउंड टूमैप के बारे में जानकारी हासिल की उम्मीद है पोस्ट पसंद आया होगा कोई कमेंट हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे !
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