शारीरिक प्रशिक्षण के श्रृंखला में इस पोस्ट में हम एक अहम विषय के बारे में जानकारी हासिल करेंगे और यह हम जानेगे की “योग क्या है” , योग का प्रकार , योगासन करने से पहले ध्यान में रखनेवाली बातें तथा योगासन के नाम !!
योग करोड़ सालो पुरनी एक कला है जिसे भारत के ऋषि मुनिओ ने विकशित किया और आज ये संसार के सबसे लोकप्रिय व्याम कला बन गया है ! योग भारत के अमूल्य सम्पति है! यह विभिन्न प्रकार के शारीरिक क्रियाओ को करके अपना शारीर को स्वस्थ रखने के लिए करते है !
इसकी महता हम इससे जान सकते है की भारत के पहल पे विश्व के 177 देशो ने समर्थन किया की योग स्वस्थ रहने के लिए एक उत्तम क्रिया है और उन 177 देशो के समर्थन से योग को संयुक्त राष्ट्र में आपना स्थान इला और यह निर्णय लिया गया की 21 जून विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जायेगा !
योग क्या है ?
Yogaasan |
योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ना होता है ! आत्मा और परमात्मा का मिलाप असानी भाव से दरुस्त बनाकर अन्दर के दिव्य प्राण प्रेरित हो कर कुशलता पूर्वक कर्मा करना ही योग है ! योग एक पुराना विज्ञानं है एक पुराना जीवन शैली है , एक पुराना चिकित्सा पद्धति है , एक पुराना आत्म विद्या है , योग एक प्रमाणिक ही नहीं वल्कि एक निशुल्क चिकित्सा पद्धति है जिसे आज संसार ने भी मान और विज्ञानं ने भी माना है इसकी अहमियत और प्रभाव और जो पश्चिमी देश पहले योग की आलोचना कर रहे थे आज ओ आत्म शांति की खोज में इसको को बढ़ चढ़ कर अपना रहे है !
योग के प्रकार
ऐसे योग शाश्त्र में बताया गया है की ये चार प्रकार के होते है
- मंत्रा योग
- लैय योग
- हाथ योग
- और राज योग
- योगासन प्रात: और साम के समय करना चाहिए लेकिंग प्रात: का समय सबसे उत्तम है
- योग करने का स्थान स्वच्छ , शांत एवं एकांत होना चाहिए !
- आसन करने के लिए मुलायम दरी या कम्बल का प्रयोग करना चाहिए!
- कोई भी आसन हडबडाहट में नहीं करनी चाहिए !
ऐसे तो असान आठ वर्ष से लेकर आस्सी वर्ष का व्यक्ति भी कर सकता है लेकिंग आसन करते से किसी अंग के साथ जबरजस्ती दबाव नहीं डालनी चाहिए !
योगासन के कुछ नाम :
- शशकासन
- पद्मासन
- सर्वांगासन
- हलासन
- कम्पिदासन
- सुप्तोकोनासन
- पश्वहलासन
- कंध्रासन
- चक्रासन
- मत्सासन
- उद्रासन
- जानुशिरासन
- पस्चिन्त्तात्रासन
- भुजंगासन
- धनुरासन
- सप्तग्राभासन
जितने योगासन ऊपर लिखित है उनका आलग अलग महत्वा जैसे धनुरासन मेरुदंड को लचीला एवं स्वस्थ बनता है , स्त्री के मासिक धर्म सम्बंधित विकृतियो में लाभप्रदत है उसी प्रकार से सप्त्ग्रभासन योगासन हाथ पैर एवं कमर के लिए उपयोगी है ! यानि कहने का अर्थ ये है की सभी योगासन अलग अलग अंग के लिए लाभप्रदत !
नोट: ये पोस्ट नेट से सर्च करने के बाद जुताई गई समग्रिः से लिखा गया है !
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