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28 June 2016

अपराधिक सूचना कलेक्ट करने का स्त्रोत और सूचना कलेक्ट करने का तरीका

पिछले पोस्ट में हम पुलिस ड्यूटी के निगरानी या शाडोविंग के बारे में बात किये इस पोस्ट में हम गुप्त अपराधिक सूचना इकठ्ठा  यानि इंटेलिजेंस कलेक्शन का स्त्रोत(Source of Intelligence collection)   और इंटेलिजेंस गदेरिंग के समय ध्यान में रखने वाली बाते कौन कौन सी उसके बारे में बाते करेंगे !


अपराधिक सूचना इकठ्ठा क्यों जरुरी है ?(Apradhik suchan ikattha karna kyo jaruri hai ) :भारत एक बड़ा देश है जिसका जनसँख्या तक़रीबन 125 करोड़ से  भी ज्यादा है और इसका जमीनी क्षेत्रफल  बर्ग किलोमीटर है ! इतनी बड़ी आबादी और इतना बड़ा क्षेत्र फल वाला देश में ये संभव नहीं है की हर गली और नाके पे पुलिस पल को रखा जा सके अपराध रोकने के लिए !

लेकिन ये भी सही नहीं  है की देश बड़ा है और जनसंख्या ज्यादा है इसलिए है अपराध का रोक थाम न करे! ऐसी परिस्थिति में पुलिस के लिए ये जरुरी हो जाता है की किसी भी रूप में अपराध से सम्बंधित गुप्त सुचनाये इकठ्ठा करे और उसपे करवाई करते हुए अपराध की रोकथाम करे!


अपराधिक सूचना इकठ्ठा करने का उद्देश्य क्या होता है(Apradhik suchna ikattha karne ka uddeshy)
  • अपराध का पता लगाना 
  • अपराध को होने से रोकना
  • अपराधियो का पता लगाना
  • और शांति व्वस्था कयाम रखना !
कानूनी प्रावधान(Kanuni prawadhan) : अपराधिक सूचना इकठ्ठा करने का कुछ प्रावधान CrPc में भी दिया हुआ है जैसे
  • CrPc की धारा 39 जिसके अंतर्गत जनता के द्वारा अपराधिक सुचना देना
  • CrPc की धारा 40 गाँव इ नियुक्त व्यक्तियो सुचना देना


अपराधी गुप्त सूचनाये हमे कब कब मिलती है(Apradhik suchnaye hme kab kab milti hai)
  •  अपराध होने से पहले और
  • अपराध होने के बाद
गुप्त सूचनाओ का स्रोत क्या क्या हो सकता है(Apradhik suchanao ka srot kya kya ho sakte hai)

  • पीड़ित व्यक्ति से 
  • पीड़ित व्यक्ति के दोस्तों या रिश्तेदारों से 
  • घटनास्थल से 
  • प्रत्यक्षदर्शियो से 
  • डॉक्टर व वकीलों से 
  • विरोधी व्यक्ति से 
  • पान-बीडी के विक्रेताओ से 
  • सुनारों से 
  • कबाडियो से 
  • होटल या धब्बवालो से 
  • वैस्यालो से 
  • प्रॉपर्टी या वहां डीलर से 
  • समाज सेवको से 
  • कनुनप्रिय लोगो से 
  • गुप्त्सुत्रो या मुखबिरों से 

कुछ सरकरी रेकॉर्डो से भी हम कुछ सुचनाये इकठ्ठा कर सकते है जैसे 
  • कुछ ऑफिसियल गजट से 
  • स्टेट क्राइम रिकॉर्ड व्योरो  के रिकॉर्ड  से 
  • पुलिस थानों के रिकॉर्ड और डोजियर से 
  • फिंगर प्रिंट ब्योरो से 
  • स्पेशल ब्रांच से 
  • तरीका वारदात व्योरो से 
कुछ सरकारी विभाग है वह से भी सुचानामिल सकती है :

  • बैंक से 
  • इन्सुरांस कंपनी से
  • खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से
  • ट्रांसपोर्ट विभाग से 
  • टेलीफोन सर्विस प्रोवाइडर से 
गुप्त सूचना इकठ्ठा करते समय ध्यान देने वाली बाते 
  • किसी भी सुचना को छोटा न समझे 
  • मुख्विरो द्वारा दिए गये समय पे जरुर पहुचे  लेकिंग होशियारी के साथ चौकाने रहे !
  • मुख्विरो के सूचना देने पे होनेवाली देरी के समय धैर्य बनाये रखे !
  • अपराधिक सुचना देनेवाले स्त्रोत को हमेशा गुप्त रखे 
  • सुचना मिलने के बाद सफलता मिलती है तो सूचना देनेवाले को कुछ निश्चित इनाम  जरुर दे !
  • बार बार गलत सूचना मिलने के बाद भी उन सुचानो का अवहेलना न करे !
  • सभी सूचनाओ का रिकॉर्ड रखे 

पुलिस की सफलता ओ चाहे कानून व्वस्था बनाने में हो या किसी अपराध  को रोकने में हो उन सब में कलेक्शन ऑफ़ इन्त्तेलिगेंस बहुत अहम् रोल अदा करता है ! इसलिए हर एक पुलिस कर्मी को चाहे को किसी भी सेक्शन में काम करता हो और कही पे ड्यूटी कटा हो हमेशा चुकाना और अपने चारो और होनेवाले घटनाओ तथा लोगो के बातो को हमेशा ध्यान से सुनना चाहिए !

उम्मीद है की पोस्ट पसंद आया होगा ! अगर कोई सजेसन हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे !  

26 June 2016

निगरानी और शाडोविंग क्या होता है ? किसी के ऊपर निगरानी कब रखी जाती है ?

पिछले पोस्ट में हमने सिविल पुलिस के एक ड्यूटी नाकाबंदी तथा रेड(Nakabandi ttha raid) के बारे में जानकारी हासिल किये और इस  पोस्ट में हम लोकल पुलिस की एक और ड्यूटी अपराधियो को निगरानी  में रखना के बारे में जानकारी हिंदी में  हासिल करे और जानेगे की निगरानी और शाडोविंग (Nigrani aur shadowing in hindi) में क्या अंतर होता है ! निगरानी कब कब और किस पे रखी जाती है !

जरुर पढ़े :6 कॉमन गलतिया अक्सर एक आई ओ सीन ऑफ़ क्राइम पे करता है

निगरानी(nigrani kya hota hai): निगरानी से मतलब है किसी व्यक्ति या अपराधी के ऊपर गुप्त तरीके से नजर रखना तथा उसकी गतिबिधिया और अन्य  सूचनाये इकठ्ठा करना ! निगरानी किस के ऊपर रखनी और कैसी  रखनी इसके बारे में सभी पुलिस जिला में स्थायी आदेश बना रहता है और उसको अनुपालन करते हुए ही किसी के ऊपर निगरानी रखा जाता है ! निगरानी किसी अपराधी का किया जाता जबकि किसी सब्जेक्ट की शाडोविंग किया जाता है !

जरुर पढ़े :फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट(FIR) में होनेवाली कुछ कॉमन गलतिया

निगरानी का उद्देश्य(nigrani ka uddeshy kya hota hai) :
Shadowing
Shadowing
  • किसी अपराधी के बारे में सुचनाये  इकट्ठा करना और पकड़ना 
  • किसी स्थान अपराध विशेष जैसे जुआखाना , अनैतिक देह व्यापर वाला स्थान , नशीला पदार्थ  रखने के स्थान आदि  गतिविधिओ को पता लगाना !
  • अपरधियो के अन्दर सुधार लाने के लिए ,
  • एरिया में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए , 
  • अपराध सम्बंधित बस्तुओ का पता लगाने के लिए !
किन किन व्यक्तिओ के ऊपर निगरानी राखी जाती है (kin kin vyaktio ke upar nigrani rakhi jati hai)

जरुर पढ़े :ड्यूटी ऑफ़ फर्स्ट रेस्पोंडिंग ऑफिसर  
  • इलाके के उन अपराधियो के जिनका क्राइम रिकॉर्ड थाने में दर्ज हो !
  • एरिया में  उभरते हुए अपराधियो के ऊपर 
  • नशीले पदार्थो का धंधा करने वालो के ऊपर ,
  • COFE POSA  में सामिल व्यक्तिओ के ऊपर !
  • कोई ऐसा व्यक्ति जो CrPc 110 के अंतर्गत पाबंद किया गया हो !
  • धरा 432 और 356 के अंतर्गत छोड़े हुए अपराधियो को !
  • या किसी व्यक्ति विशेष जिसके बारे में कोई अपराध में संलिप्त की गुप्त सुचना मिली हो !
निगरानी रखते समय ध्यान में रखने वाली अवश्यक बाते(nigrani me rakhte samay dhyan me rakhne wali bate) :
  • किसी सक्षम पुलिस कर्मी को ही निगरानी के लिए  इस्तेमाल  करना चाहिए !
  • निगरानी में लगाया गया पुलिसकर्मी को उस एरिया की पूर्ण ज्ञान होना चाहिए !
  • एरिया का रीती रिवाज़ तथा भेषभूषा की पूरी जानकारी होनी चाहिए !
  • कोई ऐसा कार्य न करे जिससे की निगरानी जिसके ऊपर राखी गई हो वो शक करे या उसे पता चल जाये !
  • निरानी के दौरान कोई सीनियर अधिकारी आजाये तो उसे सैलूट नहीं मारनी चाहिए नहीं तो पहचान जाहिर हो जायेगा !    
 जरुर पढ़े : 9 mm पिस्तौल का बेसिक टेक्निकल  डाटा 
  • निगरानी के दौरान इस्तमाल होने वाली कुछ इशारे पहले से मुकरर कर लेनी चाहिए !
  • निगरानी करने वाला पुलिसकर्मी को अपना व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान हमेशा रखना चाहिए !
  • अगर अपराधी को पता चलगया की उसके ऊपर निगरानी राखी जारही है तो निगारी को अस्थाई रूप से रोक देना चाहिए !
  • अपराधी की खास आदते और कमजोरियो को नोट करना चाहिए !
  • उस व्यक्ति का आय का स्रोत का पता लगाना चाहिए !
  • उससे मिलने आने वाले व्यक्तिओ की सूचना रखना चाहिए और अगर जरुरत महसूस हुआ तो उनके ऊपर  भी निगरानी रखनी चाहिए !
  • वह व्यक्ति कहकहा जाता है वह वह जाना चाहिए और उन स्थानों के गतिविधियों के बारे में जानकारी इकठ्ठा करना चाहिए !
  • सस्पेक्ट के पीछे छाया की तरह लगे रहना चाहिए यदि ,

निगरानी के समय की गतिविधिया(Nigrani ke samay  kaisi  gati vidhiya rakhi jaay) 
  • कभी कभी सातिर अपराधी को शक होता है की उसके ऊपर कोई निगरानी रख रहा है तो वह अपना चलने का रफ़्तार या तो बढ़ा देता है या  कम कर देता है उस समय पुलिसकर्मी को भी उतनी ही चालाकी से एक्ट करना चाहिए की वह सातिर अपराधी को  शक  न हो ! अगर अपराधी अचानक रुक गया तो पुलिसकर्मी को रुकना नहि चाहिए बल्कि थोडा आगे निकल जाना चाहिए !
  • पुलिसकर्मी को हमेशा अपना सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए !
  • बहुत बार अपराधी किसी घर या दुकान में घुस जाता है ऐसे समय पुलिस कर्मी को कोई ऐसा कार्य न करना चाहिये की अपराधी को उसके ऊपर शक हो !
किसी के ऊपर निगरानी रखने का मतलब है की उसके निजता के अन्दर दखलंदाजी करना इसलिए निगरानी  किसी भी अपराधी या व्यक्ति को रखने से पहले निगरानी में रखने की जितनी कानूनी प्रिकिया है सबको अच्छी तरह से फॉलो करने के बाद ही निगरानी सुरु करनी चाहिए !


इस प्रकार से हम किस अपराधी या सस्पेक्ट  के ऊपर निगरानी रखने से   सम्बंधित  यह पोस्ट समाप्त  हुई उम्मीद है की आप को पसंद आएगी !इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !
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25 June 2016

पुलिस नाकाबंदी या रेड् क्या होता है ?नाकाबंदी और रेड के समय ध्यान में रखनेवाली बाते .

पिछले पोस्ट में हमने लोकल पुलिस के एक ड्यूटी बीट पट्रोल के बर्रे में बात किये थे इस पोस्ट के लोकल पुलिस  से सम्बन्धित एक और ड्यूटी नाकाबंदी और रेड(Nakabandi aur raid) के बारे में जानकारी शेयर करेंगे ! इस पुरे पोस्ट को दो भाग में पूरा करेंगे पहले हम नाकाबंदी (Nakbandi) और उसके बाद रेड या दंबिस(Raid ya dabish) के बारे में !


नकाबंदी (Nakabandi kya hota hai): जब किसी थाना क्षेत्र में अपराध की घटनाये बढ़ गई हो तो उसको रोकने के लिए या पुलिस को  किसी सोर्स से किसी  अपराधी की आने जाने के बारे में पता चलता है उस थाने के पुलिस महकमा अलर्ट हो के संभावती रास्ते के ऊपर पुलिस बल लेके आने जाने वाले गाडियो तथा आदमी की तलासी लेने लगती है जिसे नाकाबंदी कहा जाता है ! यह थाना का SHO का खुद का प्रोग्राम होता है लेकिन बहुत बार इसमें सीनियर अधिकारी भी सामिल होते है नकेबंदी को  सुपरवाइज़ करने के लिए  !


नाकाबंदी के आवश्यक सामान (Nakabandi ke samay sath le jane wale saman):  आज के समय में अपराध का पैटर्न बदल गया है इसलिए किसी  भी अपराधी को कम करके आकना पुलिस के लिए खतरे से खाली नहीं रहता है ! इसलिए नाकेबंदी लगते समय पूरी तैयारी और चौकसी के साथ लगनी चाहिए : नाकेबंदी के लिए अवश्यक सामान मौसम हालत और अपराधी के मोडस अप्रंडी को ध्यान में रख कर ले जानी  चाहिए  ! नाकाबंदी के कुछ सामान और हथियार  जैसे :

  • स्वचालित हथियार 
  • पुलिस बरिकेड
  • लाइट का उचित प्रबंध जैसे इमरजेंसी सर्च लाइट , टोर्च 
  • रस्सी 
  • लाइट व्हीकल  आदि ,
  • कम्युनिकेशन सेट 
नाकाबंदी के लगाते समय  ध्यान में रखने वाली बाते (Nakabandi lagate samay dhyan me rakhne wali bate)

  • नाकाबंदी की सुचना को गुप्त रखे !
  • अपराधी के सुचना के आधार  पे नाकाबंदी  टीम की संख्या निर्धारित करे.  अगर सुचना है की अपराधी खतरनाक और उनकी संख्या ज्यादा है तो उसी के अनुसार नकाबंदी  टीम की संख्या बाधा देनि चाहिए !
  • नक्बंदी के दौरान आम लोगो को परेशान नहीं करना चाहिए !
  • नाकाबंदी वाली टीम मेम्बर की अपनी अपनी ड्यूटी बता देनी चाहिए !
  • नकाबंदी टीम को अपने बताये हुए ड्यूटी ही करनी चाहिए अगर दूसरा ड्यूटी करेगे तो कंफ्यूज पैदा  होगा !
  • नकापर्टी में हथियार वालो को हमेशा एक सुरक्षित दुरी पे रहना चाहिए और स्टॉप/ सर्च पार्टी को हथियार से कवर कर के रखना चाहिए की अगर सर्च पार्टी के ऊपर हमला हुए तो हथियार से सपोर्ट फायर कर के अपनी पार्टी को बचाया जा सके !
  • नाकाबंदी की टीम का चुनाव करते समय बीमार लोगो को नहीं लेना चाहिए विशेषकर खासने या बीडी /सिगरेट पीनेवालो को !
  • नाकाबंदी टीम के ड्रेस में चमक वाली कोई बस्तु हो तो उसे या तो निकल दे या उसको कामोफ्लौज कर दे !
  • जरुर पढ़े : एलेमजी के चाल और चाल सामिल होने वाले कुछ  पार्ट्स पुर्जो का नाम 
  • नाकाबंदी से सम्बंधित पूरी सुचनाये नाकाबंदी टीम को बताया जाय !
  • अपराधी को नजदीक से नजदीक आने दिया जाय जब ओ नाकाबंदी के पकड़ के  एरिया में आजाये तभी उसे चैलेंज  किया जाय !
  • एक बार नाका  लग जाए तो उसके बाद बात चित न किया जाए ज्यादातर बाते इशारो से किया जाय !
  •  हो सके तो नाका के लिए एक कोड वर्ड निर्धारित किया जाय और उसी का इस्तेमाल किया जाय !
  • नाकाबंदी के दौरान पकड़ने वाली अपराधियो की पूरी तलाशी लिया जाय और निश्चित किया जाय की कोई हथियार या कोई गैर कानूनी बस्तु उसके पास न रहे !
  • अपराधी के पास जो भी सामान मिले सभी का लिस्ट बनके कानूनी करवाई के तहत जमा किया जाय !
  • नाकाबंदी टीम नका के दौरान कोई भ्रष्ट तरीका न अपनाये !
दंबिस/रेड (Dabis/Raid kya hota hai) :दंबिस पुलिस करवाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और पुलिस जब भी कोई बड़ा अपराध घटित होता है तो अपराधियो को पकने के लिए अपराधियो  के ऊपर दंबिस डालती है !

दंबिस कब डालते है(Dabis ya raid kab dalte hai) : जब कोई अपराधी कोई अपराध करके छुप गया हो या अपराध से सम्बंधित कोई हथियार या सामान कही छुपाया हो या अपराध में सामिल किसी सक्ष्य को मिटाने  का कोसिस कर रहा हो तो इस सुचना के ऊपर उस अपराधी को पड़ने तथा साक्ष्य को कब्जे में लेने के लिए  ऐसे स्थानों पे पुलिस करवाई की जाती है जहा ओ अपराधी या सक्ष्य मौजूद हो तो वैसी पुलिस करवाई या मरे गए छापे को दंबिस(Raid)  की करवाई कहते है!


पुलिस दंबिस या रेड (raid) के दौरान ध्यान में रखने वाली बाते (Police Dabis ya raid Ke Samay Dhyan me Rakhne Wali bate ):
  • पुलिस रेड टीम में स्वस्थ और सुयोग लोगो को रखना चाहिए !
  • आपराधि के बैक ग्राउंड को ध्यान में रखते हुए रेड टीम के साथ उचित आटोमेटिक हथियार वाले जवान भी होने  चाहिए ! 
  • टीम के सभी सदस्यों के रेड  और  रेड में सामिल आपराधि और उसके अपराध  के बारे में पूरी जानकारी होनी!
  • रेड टीम के साथ कुछ सिविलिन तटस्थ गवाह भी होने चाहिए !
  • अगर सम्भावान हो की  रेड के स्थान पे महिलाये और बच्चे हो सकते है तो रेड टीम में महिला सदस्य भी जरुर करनी  चाहिए !
  • रेड की सभी सदस्यों को  उसकी ड्यूटी तथा जिम्मेवारी बता देनी चाहिए !
  • रेड के दौरान बरामद सामान का तीन लिस्ट बनानी चाहिए और उसके ऊपर सिविलियन तटस्थ गवाह का तथा माकन मालिक का सिग्नेचर उसके ऊपर लेलेना चाहिए !
  • रेड में बरामद सामान का एक प्रति माकन/स्थान मालिक क देदेना चाहिए अगर ओ नहीं ले रहा है तो गवाहों के सामने उस प्रति के ऊपर "प्रति लेने से माना  किया  " लिख कर गवाहों से सिग्नेचर करा लेना चाहिए !
  • अगर बरामद सामान कीमती है है तो उसे सुरक्षित पैक करके उसके ऊपर सिग्नेचर करा लेना चाहिए !
  • रेड की करवाई करते समय रेड से सम्बंधित जितनी कानूनी प्रक्रिया है सभी का सही अनुपालन करना चाहिए !
  • अगर लगता है की प्रक्रिया में कुछ भूल हो सकती है तो रेड से सम्बंधित स्टैंडिंग आर्डर या जरी कोई आदेश हो तो उसे साथ  ले जाना चाहिए और उसे रेफेर कर लेना चाहिए !

 रेड और नका के दौरान एक पुलिसकर्मी को बहुत सर्तक रहना चाहिए और अपनी सुरक्षा को हमेशा वरीयता देना चाहिए ! और लगता है की अपराधी हमला कर सकता हा तो पुलिसकर्मी की इतनी तैयार होनी चाहिए की अपना बचाव कर सके और अपराधी को पकड ले !

नाका और रेड फायर प्रोटेक्टिव क्लोथ्स से सम्बंधित  यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह ब्लॉग पोस्ट आपलोगों को पसंद आएगा ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे! 
इसे भी  पढ़े :
  1. भारतीय पुलिस ड्रिल ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाले परेड कमांड का हिंदी -इंग्लिश रूपांतरण
  2. ड्रिल में अच्छी पॉवर ऑफ़ कमांड कैसे दे सकते है
  3. ड्रिल का इतिहास और सावधान पोजीशन में देखनेवाली बाते
  4. VIP गार्ड ऑफ़ ऑनर के नफरी और बनावट
  5. विश्राम और आराम से इसमें देखने वाली बाते !
  6. सावधान पोजीशन से दाहिने, बाएं और पीछे मुड की करवाई
  7. आधा दाहिने मुड , आधा बाएं मुड की करवाई और उसमे देखने वाली बाते !
  8. 4 स्टेप्स में तेज चल और थम की करवाई
  9. फूट ड्रिल -धीरे चल और थम
  10. खुली लाइन और निकट लाइन चल


24 June 2016

बीट और बीट पेट्रोलिंग क्या होता है ?एक बीट पट्रोलर का ड्यूटी

इस पोस्ट में हम पुलिस ड्यूटी के श्रृखला को आगे बढ़ाते हुए जानकारी शेयर करेगे के बीट पोलिसिंग क्या(Beat Policing) है और बीट पोलिसिंग का ड्यूटी क्या(Beat Patrolling ki duty) होता है 


पुलिस बीट(Police beat area)- किसी थाना क्षेत्र जहा घनी आबादी हो और  अपराध बहुत हो रहे हो तो ऐसे थानों में अपराध को रोकने तथा कानून व्यास्था बनाये रखने तथा थाने के  एरिया में सामान्य मानस के अन्दर सुरक्षा और  विश्वास का भावना  पैदा करने के लिए  उस थाने को छोटे छोटे इलाको में बाट देते है और उस छोटे इलाके को बीट कहते है!

Beat Patrolling on cycle
Beat Patrolling on cycle 
ऐसी पोलिसिंग को हम बीट प्राणाली कहते है ! हर एक बीट पे एक हेड कांस्टेबल के अंतर्गत कुछ कांस्टेबल 24 x 7 ड्यूटी के लिए पोस्ट कर दिया जाता है!  दो या तीन बीट को मिला के एक डिवीज़न बना दिया जाता है जिसका इनचार्ज एक ASI या SI को बनाया जाता है वह सब-ऑफिसर अपने इलाके के  इन बीट ड्यूटी को सुपरवाइज़ और चेक करता है और एरिया में खुद भी पेट्रोलिंग करता है  !


बीट बुक(Beat Book kya hota hai) : हर एक बीट में एक बीट बुक होता है जिसे साथ उस बीट एरिया का नक्शा , इम्पोर्टेन्ट ईमारत, रोड, गली ,बैंक,,एटीएम, सरकारी ऑफिस , होटल, गेस्ट हाउस , महत्वपूर्ण व्यक्तियो का निवास तथा अपराधियो का व्योरा और वृद्ध तथा असहाय लोगो का लिस्ट  दिया रहता है!

बीट पोलिसिंग का लाभ (Advantage of Beat Policing): एक थाना का जिम्मेवारी का एरिया बहुत बड़ा होता है इसलिए यह बहुत ही मुश्किल हो जाता है की थाना में रह कर पुरे एरिया  की जानकारी तथा  अपराध को रोक थम किया जा सके और थाने के एरिया के बारे में पूरी जानकारी रखी जा सके ! इस लिए थाना एरिया को छोटे छोटे बीट में बाँट कर  बीट पोलिसिंग करते है ! बीट पोलिसिंग  करने से बहुत ही लाभ मिलता है जैसे :
  • एरिया में अपराध के रोक थाम करने में आसानी होती है
  • अपराधियो के ऊपर करीब नजर रखने में आसानी होती है
  • एरिया में रहने वाले जन मानस के अन्दर सुरक्षा का  विश्वास  पैदा होता है
  • अपराधियो को पता लगाना आसन हो जाता है !
  • छोटे छोटे बच्चो जो रोड के किनारे रहते है उनके  ऊपर ध्यान देने से उन्हें अपराधी/ ड्रग्स लेने  से रोकने में आसानी होती है
  • असहाय तथा महत्वपूर्ण व्यक्तियो का हिफाजत करना आसन हो जाता है !
  • एरिया में बैंक डकैती और एटीएम से पैसा छिनने की रोकथाम किया जाता है !
  • कोर्ट द्वारा इशू किये हुए वारंट/समन को तालीम करना आसान हो जाता है !

बीट पेट्रोलिंग (Beat Patrolling): एरिया के अपराध पैटर्न को देखते हुए सभी बीट एरिया के लिएजिला एसपी या पुलिस हेड क्हर्टर की ओर से स्थायी आदेश जरी किये जाता है ! जिसमे ये बाकायदा डिटेल में दिया हुआ रहता है की बीट पेट्रोलिंग का टाइमिंग क्या होगा और पेट्रोलिंग तथा नाकाबंदी  के दौरान क्या क्या सुनिश्चित किया जायेगा.इत्यादि !


बीट पेट्रोलिंग करने का तरीका(Beat Patrolling karne ka tarika) :
  • पैदल
  • साईकल/मोटरसाइकिल  से
  • फोर व्हीलर से
जरुर पढ़े : 9 mm पिस्तौल का बेसिक टेक्निकल  डाटा 

 बीट पेट्रोलिंग के दौरान ध्याने देनेवाली बाते(Beat patrolling ki dauran dhyan me rakhne wai bate)  :
  • बैंक तथा खली मकानों के ऊपर विशेष ध्यान रखना
  • हमेशा समय बदल बदल कर एरिया में पेट्रोलिंग करना
  • अगर ग्रुप में पेट्रोलिंग कर रहे है तो कुछ लोगो के पास हथियार के साथ होना चाहिए !
  • पेट्रोलिंग के दौरान अनावश्यक बाते य जोर जोर से बाते नहीं करनी चाहिए विशेषकर रात में
  • पेट्रोलिंग के दौरान किसी को परेशां नही  करना चाहिए !
  • ड्यूटी के दौरान अपना टर्न आउट स्मार्ट रखना चाहिए
  • दारू या सिगरेट तम्बाकू नहीं खानी चाहिए !
  • अपने एरिया के सभी गली रस्ते से वाकिफ होना चाहिए !
  • हमेशा सचेत रहना चाहिए 
  • जरुरत मंदों को सहायत करनी चाहिए 
  • आम जन्मस के साथ व्यवहार रखना चाहिए 

बीट पेट्रोलिंग की ड्यूटी(Beat Patrolling ki duty): 
  • अपराधियो पे नजर रखना !
  • वारंट /समन को तामिल करना
  • एरिया में मुखबिर बनाना
  • गैर कानूनी शराब तथा जुए के अड्डो पे नजर रखना
  • गैर क़ानूनी धंधा तथा  रेड लाइट एरिया पे नजर रखना
  • अपने एरिया के झुगी झोपडी पे रहने वाले तथा बड़े लोगो के घरो पे काम करने वाले  लोगो का जानकारी रखना!
  • एरिया में जुलुस या हड़ताल इत्यादि होने वाली हो तो उसके खबर रखना और थाना इन चार्ज को इन्फॉर्म करना !
  • एरिया में रहने वाले असहाय तथा वृद्ध लोगो का ख्याल रखना!
  • एरिया के जनता के बिच  पुलिस की एक अच्छी छवि बनाना !
  • एरिया में सरकारी ओफ्फिसो का सुरक्षा कायम रखना   इत्यादि
अच्छे बीट पुलिसकर्मी के गुण( Ek achchhe Beat policeman ke gun)
  • इमानदार हो
  • अनुसासन वाला हो
  • सहनशील हो
  • दयावान हो
  • कार्य में निपूर्ण हो
  • अपने एरिया का पूर्ण ज्ञान हो
  • जन संपर्क बनाना आता हो
  • परिश्रमी हो
  • अत्मविशवासी हो
  • मिलजुल कर कम करने आता हो

ये रही बीट और बीट पेट्रोलिंग के बारे में जानकारी उम्मीद है की पोस्ट पसंद आया होगा अगर कोई सजेसन हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे !

22 June 2016

रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका

पिछले पोस्ट में हमने दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने के तरीका और साधन के बारे में जानकारी हासिल किये इस पोस्ट में हम रात के समय कैसे उत्तर दिशा का मालूम कर(Rat ke samay uttar pata karne ka tarika ) सकते है उसके बारे में जानकारी हासिल करेंगे !


 इस विषय कोआगे बढ़ने से पहले पाठको द्वारा मेरे ब्लॉग पे ढूंढे गए कुछ मैप रीडिंग से समबन्धित सवाल को जवाब दे देते है


सवाल :
  1.  मैग्नेटिक वेरिएशन क्या होता है(Magnetic variation kya hai) ?  किसी स्थान की मैग्नेटिक नार्थ और ट्रू नार्थ की कोणात्मक दुरी को मैग्नेटिक वेरिएशन कहते है!
  2. एंगल ऑफ़ कन्वर्शन क्या होता है(Angle of conversion kya hota hai) ?  किसी स्थान की ट्रू नार्थ और ग्रिड नार्थ के बिच की कोणात्मक दुरी को उस स्थान का अन्ग्लेओफ़ कन्वर्शन कहते है ! 
  3. लोकल वेरिएशन क्या होता है (Local variationkya hota hai)?: किसी स्थान की ग्रिड नार्थ और मैग्नेटिक नार्थ के बिच की कोणात्मक दुरी को लोकल वेरिएशन कहते है !


 जैसे की हम जानते है की मैप रीडिंग में सबसे अहम् जो दिशा होता है ओ है उत्तार दिशा इसलिए आइप रीडिंग में हमे बहुत से रस्ते बताये जाता है नार्थ पता करने के लिए , जिसमे हम पिछले पोस्ट में दिन में नार्थ पता करने की विधि के बारे में जानकारी हासिल की ऐसे तो दिन के समय उत्तर दिशा का अनुमान लगाने के जितनी विधा है उनमे से कुछ को छोड़ कर अमूमन सारी विधिया रात में भी काम आती है  कुछ विधिया है जो दिन में नहीं दिखाई देती है और केवल रात समय में ही दिखाई देती है उनके सहायता से भी हम रात के समय में उत्तर ज्ञात कर सकते है और ओ विधिया  निम्नलिखित है !
 
Night ke samay Uttar pata karna
Night ke samay Uttar pata karna 
  •  ध्रुबतारा  से(Dhrubtara se) : रात के समय ध्रुबतारा से उत्तर दिशा ज्ञात कर सकते है ! ध्रुबतारा हमेशा उत्तर दिशा में निकलता है !ये एनी तारो के अपेक्षा बहुत ज्यादा चमकीला होता है और सिर्फ 2.5 डिग्री के अंदर घूमता रहता है इसलिए ये अपने स्थान पे स्थिर लगता है इसके द्वारा ज्ञात उत्तर को भौगोलिक उत्तर कहते है !लेकिन इसके मदद से हम केवल उत्तर गोलार्ध में ही उदिशा ज्ञात कर सकते है क्यों की ये दक्षिण गोलार्ध में दिखाई नहीं देता है !
  • सप्तर्षि तारा(Saptrishi tara se) : रात के समय आकाश में लगभग उत्तर ईशा में तारो का एक समूह दिखाई देता है ! जिसे हम सप्तर्षि कहते है ! इस समूह में सात सारे होते है ! सप्तर्षि जब ध्रुब तारे के चारो ओर चाकर लगातःई तो उस समय उसके पहले दो तारे का रुख हमेशा ध्रुबतारे के ओर ही रहता है !
  • सप्तर्षि मंडल(Saptrishi mandal se): सप्तर्षि मंडल के पहले दो तारो की सहायता से हम ध्रुबतारा क पहचान कर सकते है ! ध्रुबतारा को ज्ञात करने के लिए सप्तर्षि के पहले वाले दो तारो को मिलते हुए  इनके बिच के फासले के 4.5 गुना लम्बी एक कल्पित रेखा किंचे तो वह रेखा एक जैसे उज्जवलमन तारे को काटते हुए गुजरेगी जो अक्सर दुसरे तारो के अपेक्षा चमकीला दिखाई देता है जो ध्रुब्तारा होता है !
  • कोस्सोपिया(Cossopian)  : जब सप्तऋषि  आकाश में दिखाई नहीं देता है तो उस अवस्था में हमे कोस्सोपिया  तारों के समूह से उत्तर दिशा ज्ञात करते है कोस्सोपिया ग्रुप में पांच तारे होते है . इनकी बनावट इंग्लिश की अक्षर डब्लू के बनी होती है ! कोस्सोपिया से उत्तर पत्ता करने के लिए इसके डब्लू आकर में एक एंगल छोटा तथा एक बड़ा इंगले होता है एंगर बड़े एंगल के बीचो बिच अगर एक काल्पनिक रेखा खीचकर आकाश में निचे की तरफ देखे तो एक चमकीला तारा दिखाई देगा तो ध्रुब्तारा है और ध्रुब तारा हमेश उत्तर में इ दिखाई देता है इस प्रकार से हम उत्तर डिश की जानकारी कर सकते है !
  • दक्षिण खटोला(Dakshini khatola se) : उत्तरी गोलार्ध में हम ध्रुबतारा के मदद से उत्तर दिशा ज्ञात करते है लेकिंग दक्षिणी गोलार्ध में ध्रुब्तारा दिखाई नहीं देता है इसलिए दक्षिण गोलार्ध में दक्षिण खटोला की मदद से दक्षिण दिशा ज्ञात करते है ! दक्षिण खटोला एक पतंगे के सामान चार तारों का समूह है ओ हमेशा लगभग दक्षिण में दिखाई देता हैं इस लिययूसके मदद दे हम दक्षिण दिशा ज्ञात करते है और बाद में और सब दिशाए !


इस सब तरीको से हम रात के समय उत्तर दिशा का पता लगा सकते है !उमीद करता हु पोस्ट पसंद आया होगा किसी सजेसन के लिए निचे कमेंट बॉक्स में लिखे !

21 June 2016

चर्चाकारो और पढो

आज जो मै पोस्ट लिख रहा है वह एक न्यूज़ अग्रीगेटर साईट http://www.charchakaro.com/ के बारे में है !

चर्चाकारो डॉट कॉम: यह एक गुडगाँव हरियाणा स्तिथ ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल है जो की न्यूज़ भिन्न भिन्न विषय  जैसे अपराध , राजनैतिक, व्यवसायिक , स्पोर्ट्स , और विज्ञानं एवं टेक्नोलॉजी  इत्यादि से सम्बंधित न्यूज़  को भिन्न भिन्न सूत्र से इकट्ठा(aggregate) करके बहुत सारे  भारतीय क्षेत्रीय भाषाओ जैसे हिंदी, तेलगु , मायलम इत्यादि  में अपने पोर्टल पे प्रस्तुत करता है !

ये पोर्टल मेरे नजर में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस के जवानों के लिए भी  काफी भी  सुबिधाजनक होगा जो इस वेबसाइट पे जेक अपने मातृभाषा में अपने इलाके को  न्यूज़  को अपनी मातृभाषा में भी पढ़ सकते है और अपने आप को अपडेट रख सकते है   क्यों की उनकी पोस्टिग एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र  होती रहती है जहा ड्यूटी ज्यादा होने के कारन उनके पास समय नहीं होता है की टेलीविज़न देख सके और  उनके खुद के मातृभाषा का न्यूज़ पपेर भी आसानी से नहीं मिलता है की चलते फिरते अपने आप को अपडेट कर सकते! इसलिए उनलोगों के लिए ये पोर्टल काफी सहायक होगा!  

विशेष जानकारी के लिए चर्चाकारो डॉट कॉम पिछले दिनों(14 जून 2016) अपना प्रेस रिलीज़ जारी किया था  जिसकी  एक कॉपी मै हु बा हु नीचे प्रस्तुत करा रहा हु! 

चर्चाकारो डॉट कॉम  के द्वारा जरी प्रेस रिलीज़

Charchakaro Offers Local As Well As World News in Various Indian Languages Along With English

GURGAON, HARYANA (June 14, 2016):
Having access to current occasions and a la mode data has esteem in the advanced world on account of the continually changing nature of the world. Without general access to news, the vast majority would be ignorant of the different occasions occurring, both locally and around the globe, that affect their lives. While not all that matters that happens affects all individuals similarly, news associations by and large do not tailor their substance to a particular person. This is the reason a large portion of the stories that are appeared on evening news projects are expansive and shifted. The same applies to even the neighbourhood daily paper, which partitions its pages into an assortment of various areas, including nearby, national and world news. News related to politics, crime, economy, natural calamities, terrorisms, sports, science and technology, etc. are of utmost importance for every common man as it can impact their lives or business somehow or the other. To help people remain updated about all the latest news in various Indian languages like news in hindi, news in Malayalam, news in telugu, and even news in English; CharchaKaro is one of the leading news aggregator where news on the above mentioned languages and more are discussed on regular basis.

Situations happening in a removed area can affect economies and different items over the long haul. This implies having entry to this information can help speculators to better comprehend what is influencing their ventures and permit them to respond likewise. A dry season in a remote nation can bring about grain costs to ascend in different districts as the harrowed populace starts calling for help from associates. At long last, political tides turn extremely rapidly, and without being informed, it is troublesome for individuals who are influenced by it to be set up for the outcomes. Thus the importance of remaining updated through news is very much needed in modern times.

People who want to remain updated on the latest news in English, latest news in Hindi, latest news in Telugu, or latest news in Malayalam, and to discuss news in many more languages can sign up on CharchaKaro and get all latest news of the neighbourhood as well as of the world from this online news portal.

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कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका

पिछले पोस्ट में हमने दिन और रात्रि के समय उत्तर मालूम करने के कुछ तरीके और साधन के बारे में जानकारी हासिल की , इस पोस्ट में हम कन्वेंशनल सिग्न, कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार और कन्वेंशनल सिग्न बनाने की विधि(Conventional sign, conventional sign ke prakar aur conventional sign banane ki vidhi) के बारे में जानकारी हासिल करेंगे !

जरुर पढ़े : मैप रीडिंग और मैप रीडिंग का महत्व

 मैं पोस्ट की सुरुआत से पहले इस ब्लॉग के विजिटर्स के द्वारा कुछ शब्द  मैप रीडिंग से समबन्धित ढूंढे गए है उनका जवाब हम दे देते है !

सवाल : 

  1. री-सेक्शन क्या होता है ?(Re-section method kya hai): मैप पर अपनी जगह निश्चित करने की उस विधि को रे सेक्शन कहते है जिसमे मैप  पर हम दो या अधिक जाने हुए स्थान से अपनी जगह की रेखाए खीचते है !
  2. इंटर सेक्शन क्या है ?(Inter section method kya hai): किसी अनजाने स्थान की जगह को मालूम करने के लिए जब माँ पर किन्ही दो या तीन जाने हुए स्थानो से रेखाए खीचते है तो उस पारकर अनजाने स्थान की जगह मालूम करने की विधि को इंटर सेक्शन की विधि कह्ते है !

आब हम ब्लॉग पोस्ट को आगे बढ़ाते है !

कन्वेंशनल सिग्न का परिचय :जैसे की हम जानते है की मैप किसी जमीनी इलाके का छोटे रूप में चित्रण है लेकिन मैप में इतना जगह नहीं हिते है की ज़मीन की सभी आकृतिया और बनावट चाहे ओ कृतिम हो या प्रकितिक को मैप पे हु-ब-हु मैप के ऊपर दिखा दी जाय !इसीलिए जमीनी आकृतियो को मैप पे दिखने के लिए कुछ निश्चित चिन्हों का प्रयोग किया जाता है जिनकी मदद से से छोटे शक्ल में ज़मीनी  की बनावट को मैप पर दिखाया जाता है !

कन्वेंशनल सिग्न का परिभाषा(Conventional sign ka paribhasha) : सर्वे ऑफ़ इंड़िया द्वारा निश्चित किये गए उन निशानों को कन्वेंशनल सिग्न या रूधि चिन्ह कहते है जिनकी मदद से ज़मीं की कुदरती या बनावट अक्रितियो को मैपों पर दिखाया जाता है !


Conventional Sign
Conventional Sign
कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार : कन्वेंशनल सिग दो प्रकार के होते है!

जरुर पढ़े : कम्पास के प्रकार और इसके अहमियत


  1. सर्वे सिग्न(Survey sign) : सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा निश्चित किये हुए होते है !
  2. मिलिट्री सिंबल(Military symbol) : सेना मुख्यालय द्वारा निश्चित किये जाते है !यह गोपनीय रखे जाते है इसके द्वारा सेना सम्बंधित जानकारियो को दर्शाते है !
कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका(Conventional sign banane ka tarika) : कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तीन तरीका है !

  • आकृतिया बनाकर (aakriti banake):  आकृतिया बनाने के तीन प्रकार होते है

  1. पड़े रुख में(Pade rukh me) : पड़े रुख में कन्वेंशनल सिग्न उसी रूप में बनाये जाते है जिस रूप में ओ जमीनी निशान जमीं पे है जैसे : रेलवे लाइन, नदी, नहर, झील , तलब, माकन, शहर आदि !  
  2. खड़े रुख में (khade rukh me): इस विधि में कन्वेंशन सिग्न उन ज़मीनी निशानों का बनाते है जो निशान सामने दिखाई देते है जैसे , चर्च, मकबरा , ईदगाह , मदिर, मस्जिद  आदि
  3. सामान्य रूप में(Sadharan rup me) : साधारण रूप में कन्वेंशनल सिग्न्स ऐसी सकल में बने जाता है जिससे उन ज़मीनी निशानों का भाव प्रकट होता हो जैसे लड़ाई के मैदान के लिए दो तलवारों का मेल का सिंबल , कटाई, भारी, सुरंग आदि सामान्य विधि के द्वारा दिखाई जाती है !

  • आकृतियो के साथ नाम लिखकर (aakriti ka naam likh kar) : इस बिधि में उन ज़मीनी निशानों के सिग्न बनाये जाते है जिनकी बनावट लगभग एक जैसे होती है इसलिए इसकी आकृति बना कर उसके साथ अंग्रेजी अक्षर कैपिटल लैटर मेलिख देते है जैसे : PO(Post office), PS(Police Station), RH(Rest House), DB(Dak Bungalow) IB(Inspection Bungalow) आदि
  • रंग भर कार(Rang bhar kar) : कुछ ज़मीनी निशानों को रंग भर कर भी दिखाया जाता है ! रंग के प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है की रंग उस ज़मीनी निशान का सही भाव प्रकट करे जैसे : पानी को नील रंग से ,जंगले को हरे रेंज से, पहाड़ी वाले भूभाग को भूरे रेंज से हॉस्पिटल के + सिग्न को लाल रंग से आदि !
स्केल के आधार पर कन्वेंशनल सिग्न(Scale ke adhar pe conventional sign) : स्केल के आधार पर कन्वेंशनल सिग्न दो प्रकार से बनाया जाता है :

जरुर पढ़े : मैप कितने प्रकार के होते है 

  1. मैप के स्केल के आधार पर(Map ke scale ke adhar par) : कुछ ज़मीनी निशानों को मैपों को उनकी स्केल के अनुसार दिखाया जाता है अर्थात कोई सहर अगर जमीं पे 10 किलोमीटर में फैला हित ओ उसे मैप में उसी अनुपात में दिखाते है में मैप का एरिया 10 किलोमीटर के दर्शाए !  इस बिधि से नदी, बांध , गाँव आदि को दिखाते है !
  2. मैपके स्केल से बड़ा कर के(Map ke scale se bada kar ke) : कुछ ज़मीनी निशान जो छोटे होते है अगर उसको हम मैप के स्केल के अनुसार दिखाए तो हो सकता है की ओ इतने छोटे हो की जिसे हम देख भी न पाए इस लिए ऐसे निसानो के हम मैप के स्केल से बड़ा कर के दिखाते है जैसे :कुआ , अकेला माकन , पुल , रेलवे लाइन , सड़क आदि !

कन्वेंशनल सिग्न  का साइज़(Conventional sign ka size) : आम तौर पर कन्वेंशनल सिग्न 4 x 4 mm साइज़ के होते है कुछ कन्वेंशनल सिग्न 2 mm की चौड़ाई से भी दिखाए जाते है से दिखाई जाती है जोलाम्बे रुख में होती है !

मिलिट्री सिंबल(Miltary symbol) : मिलिट्री  सिंबल चार प्रकार के होते है

  1. सेना की टुकरी के समन्धित
  2. सामान के  सम्बंधित
  3. हथियार से सम्बन्धित
  4. किला से सम्बंधित
इस प्रकार से हमने कन्वेंशनल सिग्न  और उसके बनाने का तरीका  और कन्वेंशनल सिग्न के आकार के बारे में जानकारी हासिल किये अगर पोस्ट के बारे में कोई सजेसन हो तो निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे 

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