23 दिसंबर 2025

Drill Command dene ka tarika | Police Drill Command in Hindi Guide

 
Word of Command Dene ka tarika
Word of Command Dene ka tarika

Drill Command dene ka tarika : Introduction

पुलिस, अर्धसैनिक बल और अन्य सुरक्षा बलों में अनुशासन केवल एक शब्द नहीं, बल्कि कार्यप्रणाली है। परेड ग्राउंड पर एक साथ चलना, एक साथ रुकना और एक साथ घूमना – यह सब तभी संभव है जब Drill Command और Word of Command सही ढंग से दिए और समझे जाएँ।

कवायद की गुणवत्ता सीधे इस बात पर निर्भर करती है कि कमांड शब्द कितने स्पष्ट, सटीक और प्रभावी हैं। इसी कारण प्रशिक्षण के दौरान कमांड शब्दों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

Drill Command क्या होता है

Drill Command वह आदेश होता है जिसके माध्यम से किसी स्क्वाड या यूनिट को कोई निश्चित हरकत करने के लिए निर्देश दिया जाता है। यह आदेश:

  • स्पष्ट होना चाहिए

  • छोटा और संक्षिप्त होना चाहिए

  • तुरंत पालन योग्य होना चाहिए

अच्छी कवायद हमेशा अच्छे कमांड शब्दों पर निर्भर करती है। यदि कमांड अस्पष्ट होगा, तो हरकत में भी एकरूपता नहीं रहेगी।

Word of Command का वास्तविक अर्थ

Word of Command केवल निर्देश नहीं, बल्कि आदेश होता है। इसे सुनते ही बिना किसी प्रश्न या देरी के हरकत की जाती है। यही कारण है कि प्रशिक्षण के दौरान यह सिखाया जाता है कि:

  • कमांड को ध्यान से सुना जाए

  • उसी क्षण उसका पालन किया जाए

  • व्यक्तिगत प्रतिक्रिया के बजाय सामूहिक प्रतिक्रिया दी जाए

Word of Command अनुशासन, तालमेल और एकता का प्रतीक है।

कवायद और कमांड शब्दों का संबंध

कवायद प्रशिक्षक और कमांड देने वाले जिम्मेदार व्यक्तियों को कमांड शब्दों का बार-बार अभ्यास करना चाहिए। इससे:

  • आवाज़ में स्पष्टता आती है

  • आत्मविश्वास विकसित होता है

  • कमांड देने की आदत मजबूत होती है

यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि एक छोटी यूनिट को सिखाने के लिए भी उतने ही स्पष्ट कमांड चाहिए, जितने एक बड़ी टुकड़ी के लिए।

Word of Command की संरचना

सामान्य रूप से Word of Command दो भागों में विभाजित होता है:

1. सतर्क करने वाला शब्द (Cautionary Command) 

यह शब्द हरकत से पहले बोला जाता है। इसका उद्देश्य यूनिट को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होता है।

2. हरकत वाला शब्द (Executive Command)

यह शब्द तेज़ और स्पष्ट उच्चारण के साथ बोला जाता है। इसी के साथ हरकत की जाती है।

दोनों शब्दों के बीच उचित विराम होना चाहिए ताकि हरकत सही समय पर हो।

Word of Command dene ka tarika

सही कमांड देना एक कला है, जो अभ्यास से आती है। Word of Command dene ka tarika निम्नलिखित बातों पर आधारित होना चाहिए:

  • आवाज़ साफ़ और बुलंद हो

  • शब्दों का उच्चारण स्पष्ट हो

  • अनावश्यक शब्दों से बचा जाए

  • सतर्क शब्द के बाद छोटा विराम रखा जाए

  • हरकत शब्द तेज़ी से बोला जाए

यदि किसी आदेश का तुरंत पालन संभव न हो, तो कमांड धीरे-धीरे दिया जाता है।

स्पष्ट कमांड क्यों आवश्यक है

यदि कमांड शब्द अस्पष्ट या धीमे बोले जाएँ, तो इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं:

  • हरकत में देरी

  • यूनिट की गति में असमानता

  • अनुशासन में कमी

इसलिए Drill Command हमेशा छोटे, स्पष्ट और प्रभावी होने चाहिए।

प्रशिक्षक की भूमिका

प्रशिक्षक या कमांड देने वाले व्यक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उसे:

  • कमांड देने के बाद स्वयं हरकत करके दिखानी चाहिए

  • प्रशिक्षुओं की हरकतों पर निगरानी रखनी चाहिए

  • धीरे-धीरे हरकत करने की प्रवृत्ति को रोकना चाहिए

प्रशिक्षक का व्यवहार ही यूनिट के अनुशासन की दिशा तय करता है।

कवायद के दौरान व्यवहार

कवायद के समय:

  • आपस में बातचीत नहीं करनी चाहिए

  • प्रश्न-उत्तर से बचना चाहिए

  • ध्यान केवल कमांड और हरकत पर होना चाहिए

कवायद से संबंधित बातें केवल आराम की अवस्था में ही समझाई जानी चाहिए। इससे प्रशिक्षण अधिक प्रभावी होता है।

अनुशासन और Drill Command

अनुशासन के बिना कोई भी यूनिट प्रभावी नहीं बन सकती। Drill Command के माध्यम से जवानों में:

  • आदेश पालन की आदत

  • त्वरित प्रतिक्रिया

  • सामूहिक तालमेल

विकसित होता है। यही कारण है कि ड्रिल को प्रशिक्षण का अनिवार्य भाग माना जाता है।

जैसे थे’ कमांड का महत्व

यदि किसी कमांड के बाद स्क्वाड को पहले वाली अवस्था में लाना हो, तो “जैसे थे” कमांड का प्रयोग किया जाता है। यह भी एक महत्वपूर्ण Word of Command है, जिसका सही समय पर प्रयोग आवश्यक है।

Close Order Drill और कमांड शब्द

Close Order Drill में कई मानक कमांड शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इनमें शामिल हैं:

Drill Command dene ka tarika
Drill Command dene ka tarika
इन सभी कमांड का पालन पैर की स्थिति और समय के अनुसार किया जाता है, जिससे पूरी यूनिट एक साथ हरकत करती है।

परेड ग्राउंड और प्रशिक्षण केंद्र

कमांड शब्दों का प्रयोग मुख्य रूप से:

  • परेड ग्राउंड

  • शारीरिक प्रशिक्षण केंद्र

में किया जाता है। ये कमांड युद्ध क्षेत्र के लिए नहीं, बल्कि अनुशासन और तालमेल विकसित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।

Drill Command और ड्यूटी दक्षता

जो जवान प्रशिक्षण के दौरान कमांड शब्दों का सही पालन करता है, वही ड्यूटी के समय भी आदेशों का तुरंत पालन करता है। इससे:

  • कार्यक्षमता बढ़ती है

  • गलती की संभावना कम होती है

  • यूनिट की प्रतिष्ठा बनी रहती है

परीक्षाओं में उपयोगिता

पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भर्ती तथा विभागीय परीक्षाओं में Drill Command और Word of Command से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए इस विषय की स्पष्ट समझ अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

अभ्यास का महत्व

कमांड शब्दों में दक्षता अभ्यास से आती है। नियमित अभ्यास से:

  • आवाज़ में दम आता है

  • शब्दों में स्पष्टता आती है

  • आत्मविश्वास बढ़ता है

इसी कारण प्रशिक्षण में बार-बार ड्रिल कराई जाती है।

Drill Command & Word of Command – 10 MCQs

MCQ 1. Drill Command का मुख्य उद्देश्य क्या है?

A. सैनिकों को आराम देना
B. यूनिट को अनुशासित हरकत के लिए निर्देश देना
C. युद्ध रणनीति बनाना
D. शारीरिक शक्ति बढ़ाना

सही उत्तर: B

MCQ 2. Word of Command सामान्यतः कितने भागों में होता है?

A. एक
B. दो
C. तीन
D. चार

सही उत्तर: B

MCQ 3. सतर्क करने वाले शब्द का उद्देश्य क्या होता है?

A. हरकत समाप्त करना
B. यूनिट को मानसिक रूप से तैयार करना
C. आराम की स्थिति देना
D. बातचीत शुरू करना

सही उत्तर: B

MCQ 4. हरकत वाला शब्द किस प्रकार बोला जाना चाहिए?

A. धीरे और लंबा
B. अस्पष्ट
C. तेज़ और स्पष्ट
D. सामान्य बातचीत की तरह

सही उत्तर: C

MCQ 5. यदि कमांड अस्पष्ट हो तो क्या प्रभाव पड़ता है?

A. हरकत तेज़ होती है
B. यूनिट अधिक सतर्क होती है
C. हरकत की गति मंद हो जाती है
D. कोई प्रभाव नहीं पड़ता

सही उत्तर: C

MCQ 6. Word of Command dene ka tarika कैसा होना चाहिए?

A. लंबा और भावनात्मक
B. तेज़ लेकिन अस्पष्ट
C. स्पष्ट, संक्षिप्त और प्रभावी
D. बातचीत जैसा

सही उत्तर: C

MCQ 7. कवायद के दौरान प्रशिक्षक को क्या करना चाहिए?

A. केवल कमांड देना
B. स्वयं हरकत न दिखाना
C. कमांड के बाद हरकत करके दिखाना
D. बातचीत करना

सही उत्तर: C

MCQ 8. कवायद के समय बातचीत क्यों नहीं करनी चाहिए?

A. समय की कमी के कारण
B. आवाज़ खराब होने के कारण
C. अनुशासन और एकाग्रता बनाए रखने के लिए
D. नियम में लिखा नहीं है

सही उत्तर: C

MCQ 9. “जैसे थे” कमांड का प्रयोग कब किया जाता है?

A. नई हरकत शुरू करने के लिए
B. स्क्वाड को पहले की अवस्था में लाने के लिए
C. तेज़ चल के लिए
D. आराम देने के लिए

सही उत्तर: B

MCQ 10. Drill Command का सही अभ्यास किस गुण का विकास करता है?

A. केवल शारीरिक शक्ति
B. व्यक्तिगत प्रदर्शन
C. त्वरित प्रतिक्रिया और अनुशासन
D. केवल परेड कौशल

सही उत्तर: C

निष्कर्ष

Drill Command और Word of Command किसी भी पुलिस या सुरक्षा बल की अनुशासन व्यवस्था की आधारशिला हैं। सही Word of Command dene ka tarika अपनाने से:

  • यूनिट में एकरूपता आती है

  • परेड प्रभावशाली बनती है

  • आदेशों का तुरंत पालन सुनिश्चित होता है

कवायद केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक अनुशासन का प्रशिक्षण है। जो जवान इस प्रणाली को सही ढंग से समझ लेता है, वही एक सक्षम, अनुशासित और भरोसेमंद कर्मी बनता है।



17 दिसंबर 2025

Map Reading in Hindi | Map ke Itihas | ForPoliceman.in

 

मैप रीडिंग
मैप रीडिंग 

सुरक्षा बलों के लिए मैप रीडिंग (Map Reading) का महत्व और मैप का इतिहास(Map ke Itihas) की संपूर्ण जानकारी

भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक देश में सुरक्षा बलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सीमाओं की रक्षा हो या आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना, हर परिस्थिति में ज़मीन की सही जानकारी होना अनिवार्य है। इसी आवश्यकता को पूरा करता है Map Reading का ज्ञान।

इस ब्लॉग  पर यह विषय इसलिए विशेष रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि पुलिस, अर्धसैनिक बलों और रक्षा सेवाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी  मेल का इतिहास (Map ke Itihas), उसके उपयोग और व्यावहारिक महत्व को सरल भाषा में समझ सकें।

इसे पढ़े :Basic data of 5.56mm INSAS and It characteristics.

Map Reading क्या है और यह क्यों आवश्यक है

Map Reading का अर्थ केवल नक्शा देखना नहीं, बल्कि नक्शे की सहायता से ज़मीन की वास्तविक बनावट को समझना है। सुरक्षा बलों के लिए यह एक मौलिक सैन्य कौशल है।

Map Reading क्या है और यह क्यों आवश्यक है

Map Reading का अर्थ केवल नक्शा देखना नहीं, बल्कि नक्शे की सहायता से ज़मीन की वास्तविक बनावट को समझना है। सुरक्षा बलों के लिए यह एक मौलिक सैन्य कौशल है।

Map Reading के बिना:

  • अनजान इलाकों में सही दिशा तय करना कठिन हो जाता है

  • जंगल, पहाड़ी या उबड़-खाबड़ क्षेत्रों में मूवमेंट जोखिम भरा हो सकता है

  • ऑपरेशन की योजना अधूरी रह जाती है

Map Reading के माध्यम से जवान बिना ज़मीन देखे भी यह अनुमान लगा सकते हैं कि:

  • रास्ता कहाँ से सुरक्षित है

  • कहाँ छिपाव संभव है

  • दुश्मन किस दिशा से आ सकता है

  • अनजान इलाकों में सही दिशा तय करना कठिन हो जाता है

  • जंगल, पहाड़ी या उबड़-खाबड़ क्षेत्रों में मूवमेंट जोखिम भरा हो सकता है

  • ऑपरेशन की योजना अधूरी रह जाती है

Map Reading के माध्यम से जवान बिना ज़मीन देखे भी यह अनुमान लगा सकते हैं कि:

  • रास्ता कहाँ से सुरक्षित है

  • कहाँ छिपाव संभव है

  • दुश्मन किस दिशा से आ सकता है

सुरक्षा बलों के मुख्य कार्य और नक्शे की भूमिका

सुरक्षा बलों के मुख्य कार्यों में शामिल हैं:

  • देश की सीमाओं की सुरक्षा

  • आंतरिक शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखना

  • आतंकवाद और उग्रवाद से निपटना

इन सभी कार्यों में Map Reading एक आधार स्तंभ की तरह काम करता है। नक्शा ज़मीन की वह तस्वीर देता है जिसे हर समय वास्तविक रूप में देख पाना संभव नहीं होता 

Map ke Itihas : नक्शों का विकास

Map ke Itihas को समझना भी उतना ही आवश्यक है, जितना नक्शा पढ़ना।

प्रारंभिक काल

  • पुराने समय में नक्शे हाथ से बनाए जाते थे

  • पहाड़, नदियाँ और रास्ते प्रतीकों से दर्शाए जाते थे

आधुनिक काल

  • सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा वैज्ञानिक नक्शे

  • उपग्रह और डिजिटल मैपिंग

  • सैन्य और पुलिस कार्यों के लिए विशेष टोपोग्राफिकल मैप

Map ke Itihas यह बताता है कि समय के साथ नक्शों की सटीकता और उपयोगिता कैसे बढ़ी।

Map Reading का उद्देश्य

Map Reading सिखाने का मुख्य उद्देश्य है:

  • जवानों और कमांडरों को किसी भी ज़मीन को समझने में सक्षम बनाना

  • बिना स्थल निरीक्षण के भी सही ऑपरेशनल निर्णय लेना

नक्शे की सहायता से:

  • ज़मीन की ऊँच-नीच

  • रास्तों की उपलब्धता

  • सुरक्षा और आक्रमण की संभावनाएँ

का सही आकलन किया जाता है

कमांडर के लिए Map Reading का महत्व

अक्सर बड़े कमांडर स्वयं हर इलाके में जाकर निरीक्षण नहीं कर सकते। ऐसे में:

  • पूरी योजना नक्शे के आधार पर बनाई जाती है

  • ऑपरेशन की गोपनीयता बनी रहती है

  • समय और संसाधनों की बचत होती है

Map Reading कमांडर को यह क्षमता देता है कि वह:

  • ज़मीन की बनावट समझे

  • यूनिट की तैनाती तय करे

  • दुश्मन के संभावित मार्गों का अनुमान लगाए

Map Reading के मुख्य लाभ

Map Reading के लाभ निम्नलिखित हैं:

  • अनजान इलाके में आत्मविश्वास

  • सटीक नेविगेशन

  • जोखिम में कमी

  • ऑपरेशन की सफलता की संभावना अधिक

इसी कारण इस ब्लॉग  पर इस विषय को विशेष प्राथमिकता दी जाती है।

इसे पढ़े : 9 mm पिस्तौल ब्राउनिंग का बेसिक टेक्नीकल डाटा

Map Reading की शिक्षा के भाग

दस्तावेज़ के अनुसार, Map Reading की शिक्षा को दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है

map-1

:

1. सैद्धांतिक ज्ञान

  • नक्शे के प्रतीक

  • पैमाना

  • दिशा और उत्तर संकेत

2. व्यावहारिक कौशल

  • ज़मीन और नक्शे का मिलान

  • रास्तों की पहचान

  • वास्तविक परिस्थितियों में उपयोग

दोनों का आपस में गहरा संबंध है।

ज़मीन की बनावट को समझने में Map Reading

नक्शा देखने के बाद जवान यह समझ पाते हैं:

  • पहाड़ी इलाका कितना कठिन है

  • जंगल में मूवमेंट कैसे होगा

  • खुले मैदान में सुरक्षा कैसे रखी जाए

इससे ऑपरेशन के दौरान:

  • नुकसान कम होता है

  • रणनीति अधिक प्रभावी बनती है

गुप्त ऑपरेशन और Map Reading

सुरक्षा बलों के कई ऑपरेशन अत्यंत गोपनीय होते हैं। ऐसे में:

  • नक्शे के आधार पर योजना बनती है

  • रास्ते पहले से तय होते हैं

  • अचानक बदलाव के लिए विकल्प तैयार रहते हैं

Map Reading यहाँ निर्णायक भूमिका निभाता है।

पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लिए उपयोगिता

केवल सेना ही नहीं, बल्कि:

  • पुलिस

  • सीआरपीएफ

  • बीएसएफ

  • आईटीबीपी

सभी के लिए Map Reading आवश्यक है। इसी लिए यहाँ  पर यह विषय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं में Map Reading

आज के समय में:

  • पुलिस भर्ती

  • अर्धसैनिक बल परीक्षा

  • विभागीय परीक्षाएँ

इन सभी में Map Reading और Map ke Itihas से प्रश्न आते हैं। सही तैयारी उम्मीदवार को बढ़त दिलाती है।

Map Reading से जुड़ी सामान्य गलतियाँ

अभ्यर्थियों द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियाँ:

  • प्रतीकों को याद न रखना

  • पैमाने की अनदेखी

  • दिशा निर्धारण में गलती

इनसे बचने के लिए निरंतर अभ्यास आवश्यक है।

इस ब्लॉग वेब साईट  : सही मार्गदर्शन का मंच

और हमारा  का उद्देश्य है:

  • पुलिस और सुरक्षा बल अभ्यर्थियों को सटीक जानकारी देना

  • कठिन विषयों को सरल भाषा में समझाना

  • व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से सीखने में सहायता करना

Map Reading और Map ke Itihas जैसे विषयों पर यह मंच विश्वसनीय मार्गदर्शन प्रदान करता है।

निष्कर्ष

Map Reading केवल एक विषय नहीं, बल्कि सुरक्षा बलों के लिए जीवन रक्षक कौशल है। Map ke Itihas से लेकर आधुनिक उपयोग तक, नक्शा हर ऑपरेशन की नींव होता है।

जो अभ्यर्थी या जवान इस कौशल में निपुण होते हैं, वे:

  • बेहतर निर्णय लेते हैं

  • ज़मीन का सही उपयोग करते हैं

  • मिशन को सफल बनाते हैं

इसीलिए यहाँ  पर Map Reading को समझना और अभ्यास करना हर सुरक्षा बल अभ्यर्थी के लिए अनिवार्य है।

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FAQ 1: Map Reading क्या होता है?

उत्तर:
Map Reading का अर्थ है नक्शे की सहायता से ज़मीन की वास्तविक बनावट, दिशा, रास्तों और महत्वपूर्ण स्थानों को समझना। यह कौशल पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।

FAQ 2: पुलिस भर्ती परीक्षाओं में Map Reading क्यों जरूरी है?

उत्तर:
पुलिस और अर्धसैनिक बलों की परीक्षाओं में Map Reading से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा फील्ड ड्यूटी के दौरान अनजान इलाकों में सही निर्णय लेने में यह मदद करता है।

FAQ 3: Map ke Itihas का अध्ययन क्यों किया जाता है?

उत्तर:
Map ke Itihas से यह समझ आता है कि नक्शों का विकास कैसे हुआ और आज के आधुनिक नक्शे कितने सटीक और उपयोगी हैं। इससे नक्शों की उपयोगिता और सीमाएँ समझने में मदद मिलती है।

FAQ 4: क्या Map Reading केवल सेना के लिए है?

उत्तर:
नहीं। Map Reading पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और अन्य सुरक्षा बलों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, विशेषकर ऑपरेशन और गश्त के समय।

FAQ 5: Map Reading कैसे सीखें?

उत्तर:
Map Reading सीखने के लिए पहले सैद्धांतिक ज्ञान जैसे प्रतीक और दिशा समझनी चाहिए, फिर व्यावहारिक अभ्यास करना चाहिए। इस वेबसाइट पर इससे संबंधित सरल नोट्स उपलब्ध हैं।

पुलिस भर्ती और सुरक्षा बलों की तैयारी से जुड़े ऐसे ही नोट्स के लिए www.forpoliceman.in को नियमित रूप से विज़िट करें।

और ज्यादा जानकारी पुलिस से सम्बंधित दुसरे पोस्ट के लिए आप इस वेबसाइट को भी विजिट कर सकते है 


09 अक्टूबर 2025

ड्रिल का महत्व: अनुशासन और टीमवर्क की असली ताकत

 

ड्रिल का महत्व
Drill ka Mahatwa

1. ड्रिल का महत्व: परिचय (Introduction)

पुलिस या फोर्स की यूनिफॉर्म पहनना केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि अनुशासन का प्रतीक है। इस अनुशासन की नींव रखती हैड्रिल।
ड्रिल सिर्फ कदम मिलाने या कमांड फॉलो करने की प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि यह जवान के मन, शरीर और टीमतीनों को एक लय में बाँधने की कला है।

हर पुलिस कर्मी जानता है कि किसी भी स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देना, आदेशों का पालन करना और टीम के साथ तालमेल बनाना कितना ज़रूरी है।
ड्रिल इन्हीं क्षमताओं को मजबूत करती हैचाहे वह परेड ग्राउंड की कतारें हों या भीड़ नियंत्रण की हकीकत।

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👉 संक्षेप में:
ड्रिल अनुशासन की रीढ़ है और टीमवर्क की पहली पाठशाला।
इसीलिए हर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में ड्रिल को सबसे अहम अभ्यास माना जाता है।

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2. ड्रिल का असली उद्देश्य क्या है?

ड्रिल का मकसद केवल “Left, Right, Left” तक सीमित नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य है अनुशासन, आदेश पालन और टीम की एकजुटता विकसित करना।

ड्रिल के ज़रिए एक पुलिस कर्मी में निम्न गुण पैदा होते हैं –

  1. अनुशासन (Discipline): शरीर और मन दोनों को एक साथ नियंत्रित करने की क्षमता।

  2. आदेश पालन (Command Response): कमांड मिलते ही बिना झिझक सही प्रतिक्रिया देना।

  3. टीम भावना (Team Coordination): साथियों के साथ एक ही ताल में चलना।

  4. फोकस (Concentration): क्षणिक विचलन से बचकर ध्यान केंद्रित रखना।

  5. गर्व और आत्मसम्मान (Pride): ड्रेस और ड्यूटी दोनों के प्रति समर्पण की भावना।


💡 संक्षिप्त उत्तर (Featured Snippet Ready):
“ड्रिल का उद्देश्य है — पुलिस कर्मियों में अनुशासन, आदेश पालन, और टीमवर्क की एकता विकसित करना ताकि वे हर परिस्थिति में संगठित, तत्पर और सटीक प्रतिक्रिया दे सकें।”

3. पुलिस ट्रेनिंग में ड्रिल क्यों है ज़रूरी? (7 मुख्य फायदे)

ड्रिल हर पुलिस या फोर्स ट्रेनिंग का दिल है। इसका असर सिर्फ शरीर पर नहीं बल्कि सोच और आत्मविश्वास पर भी पड़ता है।
नीचे दिए गए सात फायदे दिखाते हैं कि क्यों ड्रिल किसी भी जवान के लिए सबसे ज़रूरी अभ्यास है:

  1. 1️⃣ अनुशासन की आदत बनाती है:
    रोज़ाना निर्धारित समय पर ड्रिल करने से एक स्वाभाविक अनुशासन पैदा होता है। यह आदत फील्ड ड्यूटी में समय की पाबंदी और जिम्मेदारी का अहसास कराती है।

  2. 2️⃣ आदेश पालन में तत्परता लाती है:
    ड्रिल में आदेश तुरंत और सही तरीके से मानना सिखाया जाता है। यही गुण असली ड्यूटी में तेज़ निर्णय लेने में मदद करता है।

  3. 3️⃣ टीमवर्क को मजबूत करती है:
    जब दर्जनों जवान एक साथ कदम मिलाते हैं, तो यह केवल ताल नहीं — एकता और भरोसे का प्रतीक होता है। टीम में समन्वय बढ़ता है और मिशन के दौरान तालमेल सहज बनता है।

  4. 4️⃣ आत्मविश्वास और आत्मनियंत्रण बढ़ाती है:
    सटीक मूवमेंट, सीधी लाइन और जोरदार कमांड — ये सब व्यक्ति को आत्मविश्वासी बनाते हैं। वह अपने शरीर और भावनाओं पर नियंत्रण पाना सीखता है।

  5. 5️⃣ मानसिक फोकस और स्मृति शक्ति बढ़ाती है:
    ड्रिल में लगातार ध्यान बनाए रखना होता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है, जो फील्ड पर जटिल परिस्थितियों में काम आती है।

  6. 6️⃣ एकता और गर्व की भावना पैदा करती है:
    परेड या पासिंग-आउट में जब पूरा दल एक साथ कदम बढ़ाता है, तो वह पल केवल अनुशासन नहीं बल्कि गर्व की अनुभूति भी देता है।

  7. 7️⃣ फील्ड में निर्णय लेने की क्षमता सुधारती है:
    ड्रिल में सीखे गए समय और आदेश पालन के गुण फील्ड में त्वरित निर्णय और क्रिया के रूप में नज़र आते हैं।

4. 6-सप्ताह का पुलिस ड्रिल ट्रेनिंग प्लान (Step-by-Step)

ड्रिल में निपुणता किसी दिन में नहीं आती। इसे लगातार अभ्यास और समयबद्ध योजना से ही मजबूत किया जा सकता है। नीचे दिया गया 6-सप्ताह का प्लान हर नए रिक्रूट या ट्रेनर के लिए उपयोगी है — जिसे रोज़ाना 30 मिनट में लागू किया जा सकता है।

सप्ताहउद्देश्यमुख्य अभ्यासअवधिपरिणाम
सप्ताह 1बुनियादी मुद्रा और ध्यान केंद्रित करनाStanding to Attention, Stand at Ease, Right/Left Turn30 मिनटशारीरिक संरेखण और अनुशासन की नींव
सप्ताह 2Marching और Command ResponseLeft Turn, Right Turn, About Turn, Slow & Quick March30 मिनटआदेश सुनकर तुरंत प्रतिक्रिया
सप्ताह 3Squad Formation DrillSection & Platoon Drill, Alignment Practice30 मिनटटीमवर्क और समन्वय बढ़ेगा
सप्ताह 4Weapon Handling Drill (Dummy Rifle)Saluting with Rifle, Shoulder Arms, Order Arms30 मिनटहथियार संभालने में सटीकता
सप्ताह 5Field Drill SimulationQuick Assembly, Formation under Pressure30 मिनटदबाव में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता
सप्ताह 6Review & Parade PracticeCombined Squad Drill, Saluting Test, Command Drill30 मिनटआत्मविश्वास और सामूहिक तालमेल

💡 प्रो टिप:
हर सत्र के बाद “self-evaluation” करें — क्या आदेश साफ़ सुनकर तुरंत पालन किया गया? क्या चाल में लय बनी रही?
इस प्रगति को आप एक ड्रिल प्रगति चार्ट (PDF) में ट्रैक कर सकते हैं।

5. प्रशिक्षक और रिक्रूट्स के लिए 10-पॉइंट चेकलिस्ट

एक सफल ड्रिल सिर्फ आदेश पर चलने का नहीं, बल्कि निरीक्षण और सुधार का अभ्यास भी है।
नीचे दी गई 10-पॉइंट चेकलिस्ट ट्रेनर्स और रिक्रूट्स दोनों के लिए महत्वपूर्ण है:

  1. आदेश सुनने और पालन करने में विलंब तो नहीं?

  2. शरीर की मुद्रा (posture) सही और स्थिर है?

  3. कदमों की लय (cadence) एक समान है या नहीं?

  4. साथी के साथ दूरी और लाइन का संरेखण ठीक है?

  5. आवाज़ का टोन और कमांड स्पष्ट है?

  6. दाएं-बाएं मोड़ में संतुलन बना रहता है?

  7. थकान के बावजूद ध्यान केंद्रित है या भटकता है?

  8. ट्रेनर के निर्देशों को समझने और सुधारने की क्षमता है?

  9. टीम में सहयोग और सकारात्मक दृष्टिकोण है?

  10. ड्रिल खत्म होने के बाद आत्मसमीक्षा की आदत है या नहीं?

6. आधुनिक पुलिसिंग में ड्रिल की नई भूमिका

आज की पुलिसिंग सिर्फ डंडा और परेड नहीं — बल्कि टेक्नोलॉजी, तनाव नियंत्रण और सामूहिक प्रतिक्रिया प्रणाली का मिश्रण है।
ड्रिल अब केवल “शारीरिक अनुशासन” नहीं रही; यह मनोवैज्ञानिक और तकनीकी तैयारी का भी हिस्सा बन चुकी है।

आधुनिक परिदृश्य में ड्रिल की भूमिका:

  • Crowd Control: फॉर्मेशन ड्रिल्स से दंगों या रैलियों में भीड़ प्रबंधन आसान होता है।

  • Quick Response Team: टीम ड्रिल से त्वरित मूवमेंट और मिशन-सिंक्रोनाइज़ेशन में मदद मिलती है।

  • Digital Simulations: अब कई राज्य पुलिस अकादमियाँ वर्चुअल रियलिटी (VR) ड्रिल सत्र शुरू कर रही हैं, जिससे recruits परिस्थितिजन्य निर्णय लेना सीखते हैं।

  • Mental Conditioning: नियमित ड्रिल से तनाव घटता है, जिससे कर्मियों का मनोबल और संयम बढ़ता है।

 7. वास्तविक उदाहरण (Case Study)

केस स्टडी: उत्तर प्रदेश पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज, मुरादाबाद
2024 में इस ट्रेनिंग सेंटर ने “Smart Drill Program” शुरू किया। हर रिक्रूट को टैबलेट पर उसकी ड्रिल परफॉर्मेंस का वीडियो और स्कोर मिलता था।
तीन महीनों में ही—

  • Response Time 28% बेहतर हुआ

  • Formation Accuracy 35% तक बढ़ी

  • और Drop-out Rate 15% घट गया।

निष्कर्ष:
डिजिटल उपकरणों और पारंपरिक ड्रिल का संयोजन पुलिस प्रशिक्षण को और प्रभावी बनाता है।

8. निष्कर्ष (Conclusion)

ड्रिल पुलिस कर्मियों के लिए सिर्फ एक अभ्यास नहीं — बल्कि अनुशासन, एकता और फुर्ती का प्रतीक है।
यह वही गुण हैं जो एक जवान को सामान्य व्यक्ति से अलग बनाते हैं।
जब सैकड़ों कदम एक लय में बढ़ते हैं, तो वह सिर्फ आवाज़ नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा की धड़कन होती है।

👉 संदेश:
“हर जवान की ताकत उसकी ड्रिल में छिपी होती है — क्योंकि जो मैदान में अनुशासित है, वही मिशन में सफल होता है।”

9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. ड्रिल क्या होती है और इसका उद्देश्य क्या है?
ड्रिल एक संगठित अभ्यास है जो पुलिस कर्मियों में अनुशासन, आदेश पालन और टीम भावना विकसित करता है।

Q2. पुलिस ट्रेनिंग में ड्रिल कितनी अवधि तक होती है?
आमतौर पर ड्रिल सत्र रोज़ाना 30 मिनट से 1 घंटे तक चलता है और पूरी ट्रेनिंग अवधि में निरंतर जारी रहता है।

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Q3. क्या ड्रिल सिर्फ शारीरिक अभ्यास है?
नहीं, यह मानसिक अनुशासन, धैर्य और सामूहिक सोच विकसित करने का तरीका भी है।

Q4. ड्रिल से टीमवर्क कैसे बढ़ता है?
जब सभी रिक्रूट्स एक ही ताल में कदम बढ़ाते हैं, तो पारस्परिक भरोसा और सहयोग स्वाभाविक रूप से बढ़ता है।

Q5. ड्रिल के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
पोश्चर, आदेश सुनने की क्षमता, कदमों की समानता और साथी के साथ समन्वय का विशेष ध्यान रखें।

Q6. क्या महिला रिक्रूट्स के लिए अलग ड्रिल होती है?
मूलभूत ड्रिल समान होती है, परंतु शारीरिक मानकों और endurance training में हल्का अंतर रखा जाता है।


11 अक्टूबर 2022

9 mm पिस्टल की सुरक्षा , खोलना ,जोड़ना, भरना और खाली करना का इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के लेसन को सरल शब्दों में

पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने  9 mm पिस्टल की परिचय और बेसिक डाटा  के बारे जानकारी प्राप्त की और अब इस इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के इस लेसन में हम 9 mm पिस्टल  की सुरक्षा , खोलना ,जोड़ना, भरना और खाली करना का इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग के लेसन को सरल शब्दों में जाएँगे (9 mm Pistol ki surksh, kholna, safail, jodna, bharna aur khali karna ka IWT saral sabdo me  ) ! इस पोस्ट को आसान बनानके लिए हमने इसे कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग में जिस क्रमबद्ध तरीके से सिखाया जाता है उसी क्रम में लिखेगे! 

1. शुरू-शुरू का काम -

  • (क) क्लास की गिनती और गुपों में बाँट
  • (ख) हथियार और सामान का निरीक्षण
  • (ग) बंदोबस्ती की कार्यवाही

2 दोहराई :-पिस्टल की विशेषताएँ और सीक्यूबी. पर किये जायें।

3. पहुँच :-अचानक और कम रेंज पर निकलनेवाले टारगेट को जल्दी से बर्बाद करने के लिए यह जरूरी है कि पिस्टल के मैगजीन को भना-खाली करना और सफाई प्रत्येक जवान को आना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर पिस्टल को खोलकर टूट-फूट की बदली और सफाई किया जा सके। यह तभी संभव है, जब हर जवान पिस्टल को खोलना, जोड़ना और सफाई करना अच्छी तरह जानता हो।

4. उद्देश्य -9 एम.एम. पिस्टल को खोलना, सफाई, जोड़ना, भरना और खाली करने का तरीका सिखानाहै (उद्देश्य को दोहराये) ।

5. सामान :-9 एमएम पिस्टल, मैगजीन, 9 एम.एम. ड्रील काट्रिज, पिस्टल केश, क्लिनिंग रॉड, चिन्दी, टारगेट फिगर 11 और ग्राउण्डशीट।

6. भागों में बाँट -

  • भाग 1- पिस्टल की सुरक्षा. खोलना, सफाई और जोड़ना।
  • भाग 2- मैगजीन को भरना और खाली करना।
  • भाग 3-पिस्टल को भरना और खाली करना।

7.अच्छी आदतें - पिस्टल इस्तेमाल करनेवाले जवान को चंद एक अच्छी आदतों पर अमल करना चाहिए

  • (क) बंद पिस्टल को हमेशा भरा हुआ समझा जाय।
  • (ख) पिस्टल को किसी को देते या लेते समय निरीक्षण किया जाय।
  • (ग) निरीक्षण करने के बाद ट्रिगर दबाते समय बैरल आसमान की तरफ रखी जाय, जब पिस्टल भरा हुआ हो तो हैमर को आगे के पोजीशन में रखा जाय।
  • (घ) जब फायर करने की जरूरत न हो तब अंगुली को ट्रिगर पर न रखा जाय।
  • (ड) पिस्टल का मजल किसी साथी की तरफ या ऐसे हालात में जहाँ फायर करने से कोई हादसा हो सकता है न किया जाय । 
  • (च) पिस्टल के साथ नाजायज छेड़छाड़ न किया जाय और इसे बगैर जरूरत केश से बाहर न निकाला जाय।

भाग 1- पिस्टल की सुरक्षा, खोलना, सफाई और जोड़ना

सुरक्षा :-

(क) परख पिस्टल पर कार्रवाई

(i) पिस्टल को केश से निकालें (पिस्टल किस हाथ से निकाली जाये, यह फायरर के मास्टर हाथ

पर निर्भर है)।

(ii) मजल ऊपर की तरफ और कलमे वाली अंगुली ट्रिगर गार्ड पर ।

(iii) दाहिने हाथ के अंगूठे से मैगजीन कैच को दबाएँ और बायें हाथ से मैगजीन को उतारें (पाउच या

केश में रखें)।

(iv) बायें हाथ से स्लाइड को पूरा पीछे खींचें और स्लाइड के लॉकिंग लीवर कटाव को दाहिने हाथ

के अंगूठे से पिछलेवाले हिस्से को अगलेवाले कटाव में मिलाएँ।

(v) मैगजीन को लें और मैगजीन प्लेटफार्म को आगे की ओर रखते हुए बायें हाथ की हथेली पर

मैगजीन को रखें। पिस्टन और मैगजीन का निरीक्षण करें और वापस पिस्टल का हुक्म दें।

(ख) वापस पिस्टल पर कार्रवाई

  • (i) बायें हाथ की मदद से मैगजीन को चढ़ये (ध्यान रहे कि मैगजीन खाली है)।
  • (ii) बायें हाथ से स्लाइड को थोड़ा पीछे खींचें और दायें हाथ के अंगूठे से ही स्लाइड लॉकिंग लीवर को नीचे की तरफ दबाएँ और स्लाइड को आगे की तरफ जाने दें। 
  • (iii) बैरल को सामने सुरक्षित दिशा में करके ट्रिगर प्रेश करें और पिस्टल को वापस केश में रख दें।

पिस्टल को खोलना :- खोलने से पहले यकीन कर लेना चाहिए कि पिस्टन में भरी मैगजीन नहीं चढ़ी है तथा पिस्टल पर रस्सी लगी हो तो खोल दें।

  • (i) मैगजीन कैच दबाते हुए मैगजीन को निकालें।
  • (ii) बायें हाथ से स्लाइड को पूरा पीछे खींचें और स्लाइड के आगे वाले कटाव में सेफ्टी कैच को लगायें।
  • (iii) स्लाइड लॉकिंग लीवर के पिछले हिस्से को ऊपर दबाते हुए पिस्टल के दाहिने तरफ वाले पिनको अंदर दबाते हुए उसे निकालें ।
  •  (iv) बायें हाथ से स्लाइड को पीछे रोके रखें और दाहिने हाथ के अंगूठे स सेफ्टी कैच को नीचे की तरफ दबायें और स्लाइड पर कन्ट्रोल रखते हुए उसे आगे जाने दें और बॉडी से अलग करें । 
  • (v) स्लाइड को उल्टा करके बायें हाथ से पकड़ें और दाहिने हाथ से मेन स्प्रिंग को मजल की तरफ खींचते हुए मेन स्प्रिंग और गाइड को बाहर निकालें। 
  • (vi) बैरल को थोड़ा पीछे और ऊपर को उठाते हुए निकालें। 
मैगजीन को खोलना:-  बटम प्लेट को ऊपर उठाते हुए और स्प्रिंग पर काबू रखते हुए प्लेट, स्प्रिंग और प्लेटफार्म को बाहर निकालें इससे ज्यादा पिस्टल को न खोला जाय तथा खोले गये पुर्जे को साफ जगह

सफाई :-सफाई में काम आनेवाले सामान- चिन्दी, क्लियरिंग रॉड या पुलभू ब्रश. साफ कपड़ा और सूत।

  • (i) मौसम को ध्यान में रखते हुए पिस्टल की सफाई करें ।
  • (ii) पिस्टल को सीखे हुए तरीके से खोलें।
  • (iii) बैरल और चैम्बर की सफाई के लिए (10x712 am) चिन्दी का इस्तेमाल करें तथा (10x5 cm) चिन्दी का इस्तेमाल करते हुए तेल लगायें। 
  • (iv) चिन्दी. सूत और ब्रश की मदद से पिस्टल के बॉडी और अन्य हिस्सों को भी साफ करें। यकीन करें धूल, गर्दा तथा पुराने तेल के दाग साफ हो गये हैं। 
  • (v) यदि मैगजीन गीला या ज्यादा गंदा हो गया हो, तो मैगजीन की सफाई करें। ध्यान रहे कि मैगजीन को बार-बार न खोला जाय। 
  • (vi) पिस्टल के अन्दर और बाहरी हिस्सों पर हल्का तेल लगायें । 
  • (vii) पिस्टल को जोड़ें और स्लाइड को आगे-पीछे हरकत दें ताकि सभी पुर्जा में तेल बराबर हो जाय। 
जोड़ना :-जोड़ने की कार्रवाई इस प्रकार की जाय - 

  • (i) मैगजीन का जोड़ना-सिंग को पहले प्लेटफार्म पर लगायें और प्लेटफार्म का मोटा वाल मैगजीन के सामने की तरफ रखते हुए सिंग और प्लेटफार्म को मैगजीन में डालें। स्प्रिंग पर काबू रखते हुए बटम प्लेट का कैच वाला हिस्सा आगे की तरफ रखते हुए बटम प्लेट को खिसकाएँ.  यकीन करें कि बटम प्लेट सही जगह पर बैठ गया है। 
  • (ii) पिस्टल को जोड़ने से पहले यकीन करें कि पिस्टल के हिस्से-पूर्जे का नम्बर सही है। 
  • (iii) स्लाइड को बायें हाथ से उल्टा पकड़ते हुए बैरल को स्लाइड में डालें. मजल आगे की तरफ धकेल दें जबतक की बैरल ठीक से बैठ न जाय, फिर पीछे की ओर खींचें । 
  • (iv) प्लंजर का लूप नीचे की ओर रखते हुए मेन सिंग और प्लंजर को आपस में लगायें । 
  • (v) स्लाइड के निचले और पिछले हिस्से को पिस्टल के बॉडी पर बने हुए फ्रंट गाइड पर रखें और स्लाइड को इतना पीछे खींचें कि सेफ्टी कैच आगेवाले कटाव में लग जाये। 
  • (vi) लॉकिंग लीवर को स्लाइड के बॉडी पर लगायें और इतना दबायें कि सही तरीके से अपनी जगह पर बैठ जाय। 
  • (vii) यकीन करें कि लॉकिंग लीवर का पिछला हिस्सा नीचे हैं । स्लाइड को पीछे रोकते हुए सेफ्टी कैच को नीचे की तरफ दबाएँ और स्लाइड को आगे जाने दें। 
  • (viii)खाली मैगजीन को चढ़ाएँ और बैरल को ऊपर करके ट्रिगर प्रेस करें। अगर पिस्टल में लाइन यार्ड लगाना हो तो छोटी गाँठ को बट के रिंग में फंसायें बड़ी गाँठ को दाहिने या बायें कंधे में डालें। 

भाग 2- मैगजीन को भरना और खाली करना 

मैगजीन को भरना:- यकीन करें कि मैगजीन और राउण्ड साफ है, मैगजीन में खराबी न हो, जिससे फायर के दौरान रुकावट पड़े। मैगजीन को भरते समय राउण्डों की गिनती की जाय।  बायें हाथ से मैगजीन को ऐसे पकडें कि मैगजीन का छोटावाला भाग अपनी तरफ हो मैगजीन प्लेटफार्म के अगलेवाले किनारे को राउण्ड के पेंदे से दबाते हुए दोनो लीप्स के नीचे से आगे खिसकाओ। बायें हाथ के अंगूठे से राउण्ड के पेदे को दबाते हुए अन्य राउण्ड ऊपरवाले राउण्ड पर रखते हुए नीचे और आगे की तरफ करें। हर राउण्ड को भरते समय यकीन किया जाय कि राउण्ड का पेदा मैगजीन की दीवार के साथ लगा हुआ है। इस प्रकार मैगजीन में 13 राउण्ड भरे जाते हैं।

मैगजीन को खाली करना:- बायें हाथ से मैगजीन को इस तरह पकड़ें की राउण्ड का बुलेटवाला हिस्सा नीचे की तरफ हो। अंगूठे से राउण्डों को एक-एक करके बाहर निकालें और उन्हें साफ जगह पर रखे। गिनती करें व डिच में वापस बंद करें। मैगजीन को वापस पिस्टल केश में रखें और केश को बंद करे। ऐसी हालात में जब मैगजीन को भरा हुआ रखने की जरूरत पड़े तो समय व हालात के अनुसार दिन में एक दफा खाली करके रख दिया जाये ताकि मैगजीन का किंग सही काम करे (अगर सफाई करने की जरूरत हो तो मैगजीन व राउण्डों को साफ करें)

नोट - क्लास को मैगजीन भरने व खाली करने पर अभ्यास लिया जाये।

भाग 3-पिस्टल को भरना और खाली करना

भरना:-पिस्टल भर के आदेश पर पिस्टल गिप को पकड़ते हुए पिस्टल को केश से बाहर निकालें, भर पोजीशन अख्तियार करें। मजल को सुरक्षित दिशा में रखते हुए कलमे वाली अंगुली को ट्रिगर गार्ड के आर-पार रखें। दाहिने हाथ के अंगूठे से मैगजीन कैच को दबाते हुए खाली मैगजीन को उतारें और केश में रखें, केश से भरी मैगजीन को निकालें और मैगजीन वे में बैठायें और यकीन करें कि मैगजीन ठीक से फिट हो गया है। पिस्टल को शीघ्र ही इस्तेमाल में लाने की जरूरत न हो तो पिस्टल वापस केश में रखे और केश बंद करे।

खाली करना - अगर पिस्टल से फायर न करना हो या हुक्म मिले खाली कर तो कार्रवाई इस प्रकार करे -

  • (क) होल्स्टर से पिस्टल निकालकर (निकाल पिस्टल के हुक्म पर) भर पोजीशन में लाये।
  • (ख) मैगजीन कैच दबाते हुए पिस्टल से भरी मैगजीन को निकालें और होल्स्टर में रखें।
  • (ग) पिस्टल को बाथी तरफ घुमाएँ, स्लाइड के पिछले हिस्से को पकड़ें और पीछे खींचें स्लाइड को पीछे रोकते हुए चेम्बर का मुलाहिजा करें। अगर बॉडी और चेम्बर खाली हो तो स्लाइड को आगे जाने दें। 
  • (घ) खाली मैगजीन को चढ़ाएँ और ट्रिगर को प्रेस करें। पिस्टल को वापस होल्स्टर में बंद करें।

अभ्यास- पिस्टल भरने और खाली करने का क्लास से अभ्यास कराया जाय।

संक्षेप:- सवाल-जवाब द्वारा सबक को दोहराय जाय तथा क्लास के शक सवाल को दूर किया जाय।

इसके साथ ही 9 mm पिस्टल की सुरक्षा , खोलना, जोड़ना, भरना और खाली करना   से  सम्बंधित IWT का पाठ समाप्त हुवा !उम्मीद है की आपलोगों के ए पोस्ट पसंद आएगी ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे! 

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