शारीरिक व्याम के श्रृखला का ये पहला पोस्ट है इस पोस्ट में हम जानकारी करेंगे शारीरिक व्याम जो आर्म्ड फाॅर्स पुलिस ट्रेनिंग में कराया जाता है उसका शारीरिक प्रशिक्षण का इतिहास(History of Physical Training) , व्याम का भाग(System of Physical Training) और व्याम का उद्देश्य(Aim of Physical Training) इत्यदि !
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आज कल तो हम सुबह उठे है तो देखते है की बूढ़े हो या जवान सब रोड पे या पार्क वाल्किंग कर रहे है या दौड़ लगा रहे है ओ किसी ट्रेनिंग के उद्देश्य से नहीं कर रहे है बल्कि आपने आप को स्वास्थ् रखनेके लिए करते है !
एक वर्दीधारी चाहे ओ आर्म्ड पुलिस से जवान हो या लोकल पुलिस के इनकी ड्यूटी को ध्यान में रखते हुए व्याम करना बहुत ही जरुरी है! व्याम से एक व्यक्ति चुस्त , दुरुस्त और शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहता है जो की एक वर्दीधारी के लिए काफी जरुरी है!
व्याम एक वर्दीधारी को चुस्त , दुरुस्त और मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ साथ उनके अन्दर एक टीम भंवाना भी पैदा करता है जिससे वर्दीधारी एक टीम रूप में सफलता पूर्वक किसी भी काम को अनजाम तक पहुचाते है! भले भी ओ काम कितनी भी मुश्किल क्यों न हो! अच्छी समझ बनाने के लिए इस पोस्ट को तीन भाग में पूरा करेंगे :
शारीरिक प्रशिक्षण क इतिहास - जैसे की CRPF के ट्रेनिंग प्रेसिस में बताया शारीरिक प्रशिक्षण सबसे पहले 400 BC में ग्रीस नमक देश में अपनाया गया ! ऐसे तो उस समय शारीरिक प्रशिक्षण दूसरे देश जैसे भारत, चीन या पेर्सिया मिश्र यदि में भी होता था लेकिंन इसका प्रशिक्षण कोई क्रम बंध नहीं था या किसी सिल् सिलेवार नहीं था जैसे की आज है !
लिंग- स्वीडेन और लुडविग जर्मनी के दो माने हुवे नेता थे उनलोगों ने मह्सुश किया की शारीरिक प्रशिक्षण फ़ौज के लिए काफी जरुरी है और उनलोगों ने 19 शताब्दी के शरुवती के सालो मेंअपने फ़ौज में शारीरिक प्राशिक्षण को मान्यता दी !
और उस मान्यता के बाद सन 1908 से 1914 के बीच स्वीडन ने इसे पूरी तरह से अपने फ़ौज में लागु कर दिया और उनकी फ़ौज ने इसे अपना लिया !स्वीडन ने जो पीटी अपनाया था उसे शरीरी के सभी अंगो का व्याम नहीं होता था और उस व्याम का असर शारीर पे बहुत सिमित था ! इसको और अच्छा करने के लिए प्रोफेसर नील बुक्क जो की डेनमार्क के रहने वाले थे उनके नेतृत्व में गहन शोध के बाद और उनके द्वारा जो पीटी अमल में लाया गया उससे ज्यादा ताकत साथ साथ सभी अंगो का भी बराबर व्याम मिलता था!
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एक पूर्ण शारीरिक विकाश और व्याम के लिए जरुरी होता है की शारीरिक बल और तन्दुर्रुस्ती के साथ साथ शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति भी शारीर में आये ! इसी को ध्यान में रखते हुवे आज के समय में आर्म्ड फाॅर्स या लोकल पुलिस ट्रेनिंग के दौरान जो शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है ओ स्वीडन के फ़ौज और नील बुक्क द्वारा इजाद किया हुवा शारीरिक प्रशिक्षण को मिलकर एक पीटी सिस्टम बनाया गया वही आज कल सभी जगह ट्रेनिंग लिए अपनाया जाता है!
शारीरिक प्रशिक्षण का सिस्टम : शुरू के दिनों में पीटी का तीन सिस्टम था
- स्वीडेन सिस्टम
- ऑक्सफ़ोर्ड या डेनमार्क सिस्टम
- नेल्स्मिथ सिस्टम !
डेनमार्क सिस्टम को पूरा विश्व ने अपनाया ! 1906 ब्रिटिश राज्य के दौरान अग्रेज आर्मी ऑफिसर कर्नल फॉक्स को स्वीडेन भेजा गया! वह पीटी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए वहा जाने के बाद कर्नल फॉक्स स्वीडेन के पीटी से बहूत प्रभावित हुवे और जब ओ वह से लौटे तो उस समय जो भारत में ब्रिटिश आर्मी थी उसने स्वीडेन सिस्टम को अपनाया और ये सिस्टम 1908 तक चलता रहा
1918 के प्रथम विश्व युद्ध के बाद उस समय के आर्मी के तीन अधिकारिओ को प्रोफेसर नेल्स्मिथ के अधीन पीटी के लिए डेनमार्क भेजा गया ! उस के बाद तीन प्रकार के सिस्टम लागू हो गया ! डेनमार्क से वापस आने के बाद स्काउट्स को डेनमार्क से सिक कर आया हुवा पीटी का प्रशिक्षण दिया गया! स्काउट्स को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करायी गई ! स्काउट को फ्लेक्सिबल बनाने वाली एक्सरसाइज करायी गयी ! इतना सब करने के बाद ये देखा गया की इन नयी एक्सरसाइज से स्काउट्स में शक्ति का विकाश हुवा है ! उसके बाद उस शारीरिक प्रशिक्षण को पुरे देश के वर्दीधारी अपनाये !
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शारीरिक प्रशिक्षण का उदेश्य : एक वर्दीधारी को शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार करना ताकि वो शांति या युद्ध के मैदान में दिया हुवा टास्क को सफलता से कर सके !
शारीरिक प्रशिक्षण का उसूल :
- हर एक अंग का बराबर व्याम
- तरतीबवार बदन
- लगातार जरी रखना
- अच्छा रहन सहन
- गहरी नींद
- शख्त काम
- अच्छा मनोरंजन
- संतोष तथा आत्म विश्वाश
इस प्रकार से हमे पुलिस ट्रेनिंग के दौरान शारीरिक प्रशिक्षण का इतिहास और उसूलो ना नारातिवे बताया जाता है ! इतिहास एक subjective matter ये अलग अलग व्यक्ति अलग अलग तरह से narate करता है !
बहुत अच्छी jankari
ReplyDeleteGood
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